tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post3416783312282584173..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: वन रूम सेट का रोमांस- दिल्ली मेरी जान (7)ravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-25546960794305872662014-02-26T23:18:28.301+05:002014-02-26T23:18:28.301+05:00 हा हा....मेरे पास आज तक कोई गोला गिरावक खूबसूरत ज... हा हा....मेरे पास आज तक कोई गोला गिरावक खूबसूरत जवान गोला नही गिरा पाया.मेरा अपना कोई अनुभव तो नहीं है लेकिन मैने अपने दोस्तों को गोला गिराते और गोला झेलते देखा है.ज़्यादातर रणनीति के तहत ही गोला झेलती हैं.कुछ ही मूर्ख होती हैं. Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09484580663230554269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-57440453745876133222014-02-26T22:55:13.920+05:002014-02-26T22:55:13.920+05:00हा हा हा..."गोला गिराना" ये आज भी उतना ह...हा हा हा..."गोला गिराना" ये आज भी उतना ही प्रसिद्ध है.बिहार और यू पी के हम दोस्त आपस में इसका प्रयोग किसी अवधारणा की तरह करते हैं:) :) <br /> Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09484580663230554269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-12402677835393416562014-01-13T12:15:02.725+05:002014-01-13T12:15:02.725+05:00कंप्यूटर पर तमाम विंडो खुल गए हैं सब में ये कहानी ...कंप्यूटर पर तमाम विंडो खुल गए हैं सब में ये कहानी के एक एक पार्ट खुले हुए हैं.....बंद करने का तो मन ही नहीं करता....इतनी बढ़िया तरीके से लिखा गया .......वाकई दिल को छू जाता है<br /><br /> सर अपने याद शहर में इस कहानी को ज़रूर सुनाइयेmansheshttps://www.blogger.com/profile/07907274831734902700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-61653027219877208392010-02-18T22:00:12.515+05:002010-02-18T22:00:12.515+05:00ye kahani aapni si lagti hai lagta hai mere jindag...ye kahani aapni si lagti hai lagta hai mere jindagi k bare me hi likha hai,,,,,,dhanyabad,,,,,,anmol aryanhttps://www.blogger.com/profile/10216096985838008141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-20293596390946234262010-01-02T13:08:16.420+05:002010-01-02T13:08:16.420+05:00Agar aap is par Qitab chhapwayeN to iske LOKARPAN ...Agar aap is par Qitab chhapwayeN to iske LOKARPAN ke liye maiN taiyar huN :-)Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-67980213255624032672009-12-31T22:04:00.143+05:002009-12-31T22:04:00.143+05:00प्राचीन काल में जोगी दाढ़ी-मूंछ, जटा-जूट, काटते नह...प्राचीन काल में जोगी दाढ़ी-मूंछ, जटा-जूट, काटते नहीं थे और जंगल में निवास करते थे जिससे उनके मन में कोई विकार उत्पन्न न हो जाए, भगवान् (शून्य) से ध्यान छूट न जाए और आत्मा डोलती ही रह जाए अनंत काल तक...फिर भी राजा विश्वामित्र जैसों की साधना में रम्भा, मेनका आदि अप्सराएँ इन्द्र देवता द्वारा उनकी परीक्षा के लिए भेज उनकी साधना में विघ्न पड़ ही गया, ऐसा हमारी कहानियाँ दर्शाती हैं...<br /><br />पहले बालकों के मन में आरंभ से ही ब्रह्मचर्य पालन करने की धारणा कूट-कूट कर भर दी जाती थी...किन्तु अब काल के प्रभाव से, पश्चिम के दबाव से, हम त्रिशंकु सामान अधर में लटके हैं - शादी के समय 'तीन ट्रक दहेज़' चाहते हैं और चाँद में भी पहुंचना चाहते हैं, बैलगाड़ी या ट्रक में बैठ कर शायद ;) इसी लिए तो हमारा देश महान कहलाया ;)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-49668663012819613532009-12-31T20:45:06.946+05:002009-12-31T20:45:06.946+05:00आदरणीय रवीश जी...
वैसे तो मैं आपका ब्लॉग तकरीबन ढा...आदरणीय रवीश जी...<br />वैसे तो मैं आपका ब्लॉग तकरीबन ढाई सालों से पढ़ता आ रहा हूं। किंतु पहली बार पाठक के तौर पर आपको नए साल की बधाई भेज रहा हूं। शायद ये फेसबुक टाइप बाधाई लगे। मैं आपका मित्र तो नहीं लेकिन पाठक ज़रूर हूं....इसलिए बड़े ही दिल से आपको और आपके पूरे परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामना संदेश भेज रहा हूं। कबूल कर लिजिएगा। जय हिंद....<br />( फणीश्वर नाथ रेणु जी के बाद किसी के लिखे हुए शब्द और उसमें पिरोए हुए भावनाओं के मोती अपने जैसे लगते हैं)अमृत कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/00404648697774307768noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-63374973716673549172009-12-31T17:57:26.817+05:002009-12-31T17:57:26.817+05:00ravish ji acha aap apna opinion batayiye .ek ladka...ravish ji acha aap apna opinion batayiye .ek ladka jo 19 sal tak mooch rakha uske bad delli aya btec karne aur dekhta hai ki sab mooch nahi rakhte..use kya karna chaiye?<br /><br />mai is situation se gujra lekin maine mooche nahi udwayi..chahe senior kuch bhi kahe..ek vishwas jo pitaji aur ma ko juda hua hai kya wo todna sahi hai? lekin ek tarf sochta hu kya mooch hatane se sahi me log bigad jate hai?<br />aap kuch kahe plzzz..ankurbanarasihttps://www.blogger.com/profile/15099361087545216997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-69419622684098234172009-12-31T13:12:09.268+05:002009-12-31T13:12:09.268+05:00रवीश जी, मैं टिप्पड़ी देने से अपने रोक नही पा रहा ह...रवीश जी, मैं टिप्पड़ी देने से अपने रोक नही पा रहा हूं।<br /><br />बहुत दिन बाद ब्लोग पर आया और वन रूम सेट की पूरी सीरीज एक बार में पढ़ गया । उम्र का वह हिस्सा अन्दर तक कचोटता रहा । मैं १९८० में दिल्ली पढ़ने आया, यहां से सीनियर सेकंड्री, दिल्ली विश्वविद्यालय से बी. एस. सी. और फिर सी.ए. किया । यह पीरियड १९८० से १९९० का था । यद्यपि मैं वन रूम सेट मे नही रहा मगर हमने वन रूम सेट का अनुभव दोस्तों के यहां प्राप्त किया, जहां जाता रहता था खासकर सी ए की पढ़ाई के दौरान, इसलिए आपकी बातें साझी सी लगीं और पूरी सीरीज एक बार में पढ़ गया । <br /><br />यूपी बिहार के लोगों का एक बड़ा तबका ऐसा भी है जहां लोग १९६० और १९७० के दसक मे दिल्ली आये और अकेले रहे, परिवार पीछे गांव मे रहा। उनके बच्चों की आरम्भिक शिक्षा वहीं हुई और जब वे थोडे बडे हुए तब दिल्ली आये आगे पढ़ने के लिए जैसे मैं १०वीं यूपी से करने बाद आया और पिता जी के साथ रहा, माताजी सुल्तानपुर ( यूपी) मे ही रहीं । हम एक अलग मानसिकता से गुजरे , आधे परिवार के साथ , जो कभी सुपरविजन से मुक्त नही हो पाये और परिवार का पूरा सुख भी नही पा सके। कभी इस ग्रुप की मानसिकता और इनके कुछ बनने की कोशिश की प्रक्रिया पर भी लिखा जाना चाहिए ।विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-38871926259562426602009-12-31T11:57:42.936+05:002009-12-31T11:57:42.936+05:00रविश जी
आपके दिल्ली प्रवास का यह धारावाहिक यूं ही...रविश जी <br />आपके दिल्ली प्रवास का यह धारावाहिक यूं ही लगातार चलता रहे , यही ख्वाहिश है.<br />मैं तक़रीबन आपसे एक लगभग एक दशक पहले ( सन 1981 में ) दिल्ली विश्विद्यालय में सवा सत्रह साल की उम्र में हंसराज <br />कॉलेज में इकोनोमिक्स ऑनर्स में दाखिला लिया और कॉलेज हॉस्टल में रहने लगा.जुलाई 1981 से लेकर अगले दस साल का दिल्ली <br />प्रवास रोलर कोस्टर राइड हीं रहा. हंसराज , दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स और फिर जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय .एक अर्थ में दिल्ली में हीं बड़ा होते हुए दीन - दुनिया की समझ बनी और बिगड़ी . पढ़ा और पढ़ने का ढोंग किया . संस्कार बने और बिगड़े .दिल्ली के जादुई माहौल को देखा और महसूस किया और दिल्ली के जादुई मोहपाश में जो लिपटा वो सही कहूँ तो आज तक बाहर नहीं हो पाया हूँ. दिल्ली का जादू और जादूगरनियाँ .उस सबका असर और उसकी <br />मदहोशी , अल्लाह कसम आज भी बरकरार है और शुरूर है के समय के साथ बढ़ता हीं जा रहा है.हमारे दौर के प्रवासी <br />बिहार छात्रों के ये नायब अनुभव अभी तक हसीं ठहाकों और गप्प गोष्ठियों में वाचिक परंपरा में हीं सिमटे हुए हैं.कोई सामर्थ्यवान <br />संवेदनशील हमसफ़र उस दौर की हसरतों और अफसानों को अब तक कलम बद्ध नहीं कर पाया.<br />रविशजी ,आपके इस प्रयत्न की प्रशंसा मैं मुक्त भाव से करने में संकोच करता हूँ की कहीं ये अतिशयोक्ति न लगे .पता नहीं यह संकोच भाव <br />हमारे दौर के बिहारी चरित्र की खासियत है या के कमजोरी.खैर जो हो सो हो.<br />मैं अमृत कुमार तिवारी जी की बार से पूरी तौर पर सहमत हूँ के इस लेख माला को पुस्तकाकार अगर आप नहीं देते हैं तो हम जैसों की बाजिव <br />शिकायत रह जाएगी. यह और बात है की शीर्षक आप जो चाहें रखें .<br />सादरKaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटनाhttps://www.blogger.com/profile/07416678636893602698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-54578271066083169072009-12-31T10:04:06.466+05:002009-12-31T10:04:06.466+05:00बाबा , एक गाना भी आया था - "हमरा पीछे लागल बा...बाबा , एक गाना भी आया था - "हमरा पीछे लागल बा ..मुछ मुंडा ...हीरो होंडा ले के ....लईका के नेता हऊवे.......नेता के लईका हऊवे ..."Ranjanhttps://www.blogger.com/profile/03013961954702865267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-20657974178153670512009-12-31T08:55:41.211+05:002009-12-31T08:55:41.211+05:00जीवन यद्यपि एक काल-चक्र है जिसमें सभी को 'कभी ...जीवन यद्यपि एक काल-चक्र है जिसमें सभी को 'कभी ख़ुशी गम' मिलते हैं...भूत में विचरने से कई आनंद दायक सन्दर्भ फिर भी मिल जाते हैं और संकलित किये जा सकते हैं...इसी लिए प्राचीन ज्ञानी भारतीय गुजर गए दिन को भी 'कल' कह गए और आने वाले को भी 'कल'...<br /><br />नव वर्ष मंगलमय हो सभी के लिए - राठौर के लिए भी!!!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-73823789480883921222009-12-31T00:47:31.715+05:002009-12-31T00:47:31.715+05:00SACHIN KUMAR
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'देख फलनवां का...SACHIN KUMAR<br />..................<br />'देख फलनवां का बेटा। छह महीने तक दाढ़ी नहीं बनाइस। कलेक्टर बन गया है। तीन ट्रक दहेज का सामान मिला है।" अब कहने की बारी लड़के की होती थी। लड़का बाप को कम, मां और बहन को ज़्यादा सफाई देता था। बेटे के मन की बात इन्हीं चैनलों से बाप तक पहुंचती थी। आज भी पहुंचती है। हवा लगना एक सामाजिक रासायनिक प्रतिक्रिया है। ये नौजवान अंग्रेजी के अभाव में न जाने कितनी प्रेम कहानियों से ग़ायब कर दिए गए,इसका कोई आंकड़ा नहीं मिलेगा। ख़बरदार जो इसे बड़बड़ाना कहा। इसे गोला गिराना कहते थे। अंग्रेज़ी विहीन ये लड़के गोला के दम ही पर निकल पड़े गर्ल्स होस्टलों की तरफ। टेन्स और प्रिपोज़िशन के आतंक से मुक्त। ' ओह किसको शामिल करूं और किसे हटाऊं...बड़ी मुश्किल से इसे EDIT कर इतना कम कर सका...अब समझा की INTER,BA में वो लड़के क्या करते थे...वो गोला गिराते थे....एक मेरे दोस्त के भाई साहब हैं...जब अंग्रेजी बोलते थे क्या कमाल के बोलते...I DIDNOT WENT THERE...YOU CAN NOT DONE THAT..और इसी तरह कुछ-कुछ...रफ्तार जो होती थी...सब अवाक हो जाए...क्या अंग्रेजी बोलता है...टेन्स और प्रिपोज़िशन की बात छोड़ दीजिए...PAST कब FUTURE बन जाता और FUTURE कब PRESENT....SACHIN KUMARhttps://www.blogger.com/profile/07876633469215289831noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-48353150633828627552009-12-30T20:56:49.774+05:002009-12-30T20:56:49.774+05:00हवा लगना एक सामाजिक रासायनिक प्रतिक्रिया है।
हा....हवा लगना एक सामाजिक रासायनिक प्रतिक्रिया है। <br /><br />हा...हा..हो..हूह...इया....हाहाहाहाहाहाहाह<br />,,,,...उफ्!!!!!!!!ह हा हा हहा....हे हेह ..होह...<br />देवता कुछ नहीं कहा जाता। पेट का व्यायाम करवा दिया आपने...होह....हंसी को सांकेतिक रूप देना पड़ रहा है। महाराज, एक किताब नहीं छपेगी तो जिंदगी भर आपके इस पाठक की शिकायत रह जाएगी। " वन रूम सेट रोमांस दिल्ली मेरी जान" की किताब आनी ही चाहिए। हिंदी में भी कोई तो हो जो चेतन भगत को टक्कर दे सके।<br />.......चलिए एक बार और पढ़ लेता हूं....ढाका-चिका..ढाक-चिका...अमृत कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/00404648697774307768noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-11771494751308231182009-12-30T20:47:04.458+05:002009-12-30T20:47:04.458+05:00हमने तो पहले पहल जब मूंछ मुडाई थी तो बहाना बनाना प...हमने तो पहले पहल जब मूंछ मुडाई थी तो बहाना बनाना पडा था कि सलून में नाई ने गलती से मूंछ खराब कर दी, और मजबूरन पूरी मूंछ मुडानी पड गई। पिताजी तो समझ ही गये कि गोला गिरा रहा हूँ, लेकिन अम्मा मेरी नहीं समझी......या समझ कर भी नासमझ बनी रहीं........इधर दाढी में सिर्फ कैंची लगाने की छूट थी वो भी इसलिये कि अभी से शेविंग करोगे तो कडी हो जाएंगी...... इसी बहाने काफी दिन तक तो हम कैंची छाप रहे, एक अलग ही स्टाईल रही हल्की दाढी वाली....... इस स्टाईल को अंग्रेजी सलून जहां तीन सौ रूपये में शेविंग होती है वहां कहा जाता है ....<b> To be shaven </b>...यानि कि तीन सौ ले लिया है लेकिन अभी भी शेव करना बाकी है :)<br /><br /> अच्छा संस्मरण लिखा है, बहूत खूब।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-59425303810157303092009-12-30T18:39:17.419+05:002009-12-30T18:39:17.419+05:00बहुत ही रोचक संस्मरण...इसे पुस्तकार दीजिये...आपकी ...बहुत ही रोचक संस्मरण...इसे पुस्तकार दीजिये...आपकी भाषा और कथ्य पर कमाल की पकड़ है...लिखते रहिये हम पढ़ते रहेंगे...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-5981956790868333632009-12-30T17:40:01.234+05:002009-12-30T17:40:01.234+05:00वाह! वाह! क्या बात है, अरे यह गोला कैस गिराया जाता...वाह! वाह! क्या बात है, अरे यह गोला कैस गिराया जाता है हमे भी सिखा दीजिये.<br /><br /><br />लकिन एक बात है मन में, क्या सिर्फ दाढ़ी मूंछ shave ker ke he आदमी स्मार्ट हो सकता है? आज कल टीवी पर एक कैम्पेन भी चल रहा है shave इंडिया कर के देख के सोचा यह सिर्फ मार्केटिंग है या वाकई इस बात में कोई दम भी है. क्या वाकई स्मार्ट दिखने क लिए दाढ़ी मूंछ का ना होना ज़रूरी है?Ashish Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/11793451870495749038noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-65515237674200228412009-12-30T13:02:28.739+05:002009-12-30T13:02:28.739+05:00हा हा हा , का रविश जी सब कुछ ठेलिए दीजिएगा का । पत...<i> हा हा हा , का रविश जी सब कुछ ठेलिए दीजिएगा का । पता नहीं लोग कितना साल ई सब शोध कर के केतना नयका फ़ार्मूला सब निकाला था ...ऊ में भी एक दम टौपम टौप गोला ज्ञान ....और आप हैं कि ओसका टरेनिंगवा से लेकर कर कोर्स तक और उसका अचीवमेंट तक सब खोल कर रख दिए </i>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-44051068526473228552009-12-30T12:18:32.222+05:002009-12-30T12:18:32.222+05:00मज़ा आया। विनीत का कमेंट भी मज़ेदार। गोला गिराने वाल...मज़ा आया। विनीत का कमेंट भी मज़ेदार। गोला गिराने वालों पर ये ससुर ‘टंगड़ी मारने वाले’ अफ़वाहबाज़ भारी पड़ जाते हैं।Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-79034302000601350912009-12-30T09:53:05.574+05:002009-12-30T09:53:05.574+05:00हिन्दू कॉलेज और फैकल्टी में जब मेरा नाम टंगा था तो...हिन्दू कॉलेज और फैकल्टी में जब मेरा नाम टंगा था तो लिखा था विनीते कुमार संत जेवियर्स रांची। लोगों की सुनी-सुनाई बातों के हिसाब के आधार पर दस दिन गायब रहा। 11वें दिन पहुंचने पर लड़कियों ने मुझे गौर से देखा। सब कहने लगीं। अरे ये तो काला नहीं है। कोई शर्ट का कालर पलटकर ब्रांड देख रही थी तो कोई मेरे वुलैंड पहने जाने पर हैरान हो रही थी। एक लड़की ने पूछा भी कि झारखंड में ये सब मिलता है क्या? दूसरे ने पूछा-ये सब अपना है क्या? तीसरे ने कहा कि लिवाइस की जींस मोनेस्ट्री से ली है? थोड़ा टाइम तो लगा लेकिन समझ गया कि गोला गिरानेवाले बाबा ने अपना काम कर दिया है।<br />कुछ समय बीता। एक बहुत ही प्यारी लड़की से दोस्ती हो गयी। नाम भी बिल्कुल एक से,सिर्फ उसमें आकार लगा हुआ। बेगुसराय के एक एनबीबी(नॉन रिलायवल बिहारी) ने उसे चढ़ाया कि अरे इसके साथ मत घुमा-फिरा करो। पैसेवाला है,इस्तमेमाल करके छोड़ देगा। हिन्दी विभाग की लड़कियों के लिए इस्तेमाल करके छोड़ देगा शब्द आप समझ सकते हैं। उस लड़की ने अगले दिन से मुंह फेर लिया।..हमने किसी भी लड़की के लिए मूंछ सफाचट नहीं कराए,दूसरों की टीशर्ट नहीं पहनी। इसलिए नहीं कि हम बहुत स्मार्ट और एडवांस थे,बस इसलिए कि हमने दिल्ली की ट्रेन सीधे न पकड़कर भाया रांची पकड़ी दी। आधा से ज्यादा चीजें और बातें करके आए थे।.विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-62156772419291370912009-12-30T09:49:18.877+05:002009-12-30T09:49:18.877+05:00well arranged thoughts. Nice one, sirwell arranged thoughts. Nice one, sirAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02302906750478280828noreply@blogger.com