tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post3248052746037502703..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: अधूरी उदास नज़्में- सस्ती शायरीravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-56358802188821706812009-03-19T12:16:00.000+06:002009-03-19T12:16:00.000+06:00dear ravish ji hindi main type karna nahi ata esli...dear ravish ji <BR/>hindi main type karna nahi ata esliye bus itna kahongi<BR/>apki nazm ne saare purane ghaav taaza kar diye haiA2Z - PDhttps://www.blogger.com/profile/11328950012012794107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-29706879245806267722009-03-13T22:10:00.000+06:002009-03-13T22:10:00.000+06:00Hillarious.. I like it. hahaha...Hillarious.. I like it. hahaha...Gautam Mehtahttps://www.blogger.com/profile/13457511878098592765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-58783626136717839022009-03-10T23:43:00.000+06:002009-03-10T23:43:00.000+06:00भाई रवीश जी,अधूरे हैं नज़्म पढ़ कर बहुत आनंद आया. क...भाई रवीश जी,<BR/>अधूरे हैं नज़्म पढ़ कर बहुत आनंद आया. कलम की मौत के बाद की बोर्ड से मुहब्बत है ऐसा मत कहिये रवीश जी, आपकी कलम से तो इस देश को अभी बहुत उम्मीदें हैं. देश आपकी ओर बड़ी हसरतों से देख रहा है. लोगों की आवाज़ देश की बहरी सरकार तक आपको ही पहुंचानी है. आज ही खबर देखी कि हिमाचल प्रदेश में मेडिकल के एक छात्र को रैगिंग में इतनी यातनाएं दी गयी कि उसकी मौत हो गयी. इस एक खबर ने होली का सारा उत्साह ही ख़त्म कर दिया. उस पर पुलिस के एस एस पी और मुख्य मंत्री का बयान सुनकर तो ऐसा लगा कि उनके लिए ये एक रूटीन सी घटना है, जांच होगी और दोषियों को सजा मिलेगी, रैगिंग के जिम्मेदार छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया है. लेकिन जो असल में जिम्मेदार है उनमें से प्रिंसिपल तो इस्तीफा देकर घर बैठे है और वार्डन और एक और अधिकारी को सस्पेंड दर दिया गया है. अरे भाई उन्हें तो सबसे पहले गिरफ्तार करना चाहिए था. क्योंकि ये सभी लोग इस अपराध में बराबर के हिस्सेदार हैं. जिस घर का चिराग बुझ गया ज़रा उनके दिल से पूछिए. <BR/>रवीश जी आपसे बड़ी उम्मीदें है कृपया इस मुद्दे को अपने चैनल पर जिंदा रखियेगा और सरकार पर लगातार दबाव बनाए रखिये ताकी दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके.<BR/>हलाँकि दिल तो नहीं कर रहा लेकिन फिर भी आप सब को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.<BR/>श्रीकृष्ण वर्मा<BR/>देहरादून<BR/>team-skv.blogspot.com <BR/>10/3/2009SKVhttps://www.blogger.com/profile/11547532858253886113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-35302029234176826262009-03-10T01:37:00.000+06:002009-03-10T01:37:00.000+06:00अधूरे हैं नज़्म कबाडा तो निकालिए ३ ***************...अधूरे हैं नज़्म कबाडा तो निकालिए ३ <BR/>**************************<BR/>तुम्हारे घर झूठ का बस्ता छोड़ आया हूँ <BR/><BR/>खोलना मत मेरे सारे वादे निकल आयेंगे <BR/><BR/>अपनी मासूमियत से मुह मोड़ आया हूँ <BR/><BR/>पाले थे जो तुमने वो इरादे बदल जायेंगे .<BR/><BR/><BR/>तुम्हारी आँखों में जब से देखा है अपना चेहरा <BR/><BR/>सच से भागता मारा मारा फिर रहा हूँ मै<BR/><BR/>परिभाषाओं से दूर बहती जा रही है ये दुनिया <BR/><BR/>झूठ के झरने से हार धारा धारा गिर रहा हूँ मै.<BR/><BR/><BR/>ख़बरों में दिल नहीं लगता शायर हो गया हूँ <BR/><BR/>कलम की मौत के बाद कीबोर्ड से मुहब्बत है <BR/><BR/>कर्त्तव्य धर्म से मुह छुपाता कायर हो गया हूँ <BR/><BR/>खुद के पेशे को ढोना अब बड़ी मुसीबत है .<BR/><BR/><BR/>जब से मेरी सैलरी दुगनी हो गयी है दोस्तों <BR/><BR/>घर में कूड़े का सामान बहुत आ गया है <BR/><BR/>इनके वजन तले साँसे वजनी हो गयी है दोस्तों <BR/><BR/>बिक कर थोड़ा , पूरा ईमान काँप सा गया है .<BR/><BR/><BR/>कितने कितने पद हो गए हैं पत्रकारों के अब <BR/><BR/>बस बड़े बाबु की तरह फोटो अटेस्ट नहीं कर पाते <BR/><BR/>मिलकर घोलते हैं अफीम कच्चे माल और समाचारों में सब <BR/><BR/>नशाखुरानी का काम है ,खबर फैक्ट्री में रेस्ट नहीं कर पाते .<BR/><BR/><BR/>जब से उसके पास विजिटिंग कार्ड आया है <BR/><BR/>खबर नहीं पूछता ,कार्ड बढा देता है <BR/><BR/>अपना लो गुमान तो लगता हर अपना पराया है <BR/><BR/>दिखती नहीं जमीं उस आसमान पर चढ़ा देता है <BR/><BR/><BR/>सज धज कर आते हैं दफ्तर में फैशन परेड की तरह <BR/><BR/>पसीने की बदबू की भनक लगे कितने साल हो गए <BR/><BR/>सिर्फ दिखावा और छलावा से पेट भरता हैं अब सभी जगह <BR/><BR/>पसीने की कमाई जिन्होंने वो तो कंगाल हो गए .<BR/><BR/><BR/>अपनी आखों की झुर्रियों को छुपा रहे थे जतन से <BR/><BR/>बड़े बड़े एंकर ,ख़बरों के बिना भी हसीन लगते हैं <BR/><BR/>परोसकर कुछ भी ग्लेमर में सान के दगा करते हैं वतन से <BR/><BR/>गंभीर संवेदनशील ख़बरों की जगह झाड़ फानूस अर्थहीन लगते हैं .<BR/><BR/><BR/>आपको देखा है जाने किस टीवी पर <BR/><BR/>इतना ही याद रहा अब देखने वालों को <BR/><BR/>बेचारों की आँखें कमज़ोर कर दी गयी हैं धुल झोंककर <BR/><BR/>देख नहीं पाती अब ये गहरे छुपे सवालों को .<BR/><BR/><BR/>नेता ने ठीक ही कहा ये उनका स्वर्णकाल है <BR/><BR/>दफ्तर में बैठा पत्रकार हो रहा मालामाल है <BR/><BR/>बिक चूका सच का आईना जनता हो रही हलाल है <BR/><BR/>पत्रकारिता को हरा चुकी चाटुकारिता की मायाजाल है <BR/><BR/><BR/>तुम मुझे व्याकरण और लिंग से मत डराओ <BR/><BR/>व्याकरण की किताब भाषा के जन्म के बाद छपी है <BR/><BR/>फरमान देते हैं इन्सान मत बनाओ जंगलराज सजाओ <BR/><BR/>जानवरों से ही होकर मनुष्यों की बुनियाद निकली है .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-16340244246439445712009-03-09T20:20:00.000+06:002009-03-09T20:20:00.000+06:00'Shrishti ke arambh mein maun thaKyunki Brahma sam...'Shrishti ke arambh mein maun tha<BR/>Kyunki Brahma samadhi mein the'<BR/>Kah gaye gyani.<BR/><BR/>Phir Brahmnad se utpatti hui -<BR/>sampoorna anant shrishti ki. <BR/>Anant shabd bikhar gaye shunya mein<BR/>Aur record ho gaye praniyon mein<BR/>Jinhein yognidra mein <BR/>Nadbindu Vishnu dekh aur sunte gaye<BR/>Usi tarah jaise hum TV dekhte hein<BR/>Ya akhbar ityadi mein kho jate hein<BR/>Khojte 'sampoorna satya' ko<BR/>Lekin bhatak jate hein sahi marg se<BR/>Samay ki kami se -<BR/>Adhure gyan ke karan<BR/>Kah gaye gyani...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-14371820491274320272009-03-09T11:49:00.000+06:002009-03-09T11:49:00.000+06:00वाह सुन्दर दोहेवाह सुन्दर दोहेroushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-19758418660999197592009-03-09T11:05:00.000+06:002009-03-09T11:05:00.000+06:00ख़बरों में दिल नहीं लगता है शायर हो गया हूंकलम की ...ख़बरों में दिल नहीं लगता है शायर हो गया हूं<BR/>कलम की मौत के बाद कीबोर्ड से मोहब्बत है<BR/><BR/>बहुत बढ़िया बहुत सही ..<BR/><BR/>कीबोर्ड पर चलती उँगलियों से अब हर बात कहते हैं <BR/>लगता है एक दिन जुबान से बोलना हम भूल जायेंगे :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-41540548517304927272009-03-09T09:58:00.000+06:002009-03-09T09:58:00.000+06:00एक बार पढ़ने पर लगा गुलजार की त्रिवेणी है बाद में र...एक बार पढ़ने पर लगा गुलजार की त्रिवेणी है बाद में रविश का दोहा नजर आया। विविधताओं से भरे दोहे है।इरशाद अलीhttps://www.blogger.com/profile/15303810725164499298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-69555543027873526762009-03-09T03:44:00.000+06:002009-03-09T03:44:00.000+06:00तुम मुझे व्याकरण और लिंग से मत डराओव्याकरण की किता...<I>तुम मुझे व्याकरण और लिंग से मत डराओ<BR/>व्याकरण की किताब भाषा के जन्म के बाद छपी है </I><BR/>बिहार प्रांत से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक के लोगों का प्रतिनिधित्व किया है आपनेAadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-84015121485594769942009-03-09T03:41:00.000+06:002009-03-09T03:41:00.000+06:00आपकी कविताओं की अपेक्षा ये शैली अधिक प्रभावशाली है...आपकी कविताओं की अपेक्षा ये शैली अधिक प्रभावशाली है।Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-50153211980341131112009-03-09T02:31:00.000+06:002009-03-09T02:31:00.000+06:00होली में अच्छा मजाक है जी--कहते हैं पूरा, लिखते ह...होली में अच्छा मजाक है जी--<BR/>कहते हैं पूरा, लिखते हैं पूरा कीजिए,<BR/>मुक्कमल बात को अधूरा कीजिए।<BR/>फिल इ द ब्लैंक्स-बहुत किया है रवीश भाई,<BR/>होली है - लोग हो रहे हैं लाल उन्हें भूरा कीजिए।Akhileshwar Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/10881251799462130074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-2803560675574366392009-03-09T00:11:00.000+06:002009-03-09T00:11:00.000+06:00भाई रवीश जी ,क्यों अच्छी खासी ,अपने आप में मुकम्मल...भाई रवीश जी ,<BR/>क्यों अच्छी खासी ,अपने आप में मुकम्मल नज्म को अधूरी कह रहे हैं .सभी शेर एक से बढ़ कर एक हैं ...और इन्हें पढ़कर हाइकु का आनंद आ रहा है .<BR/>मैं भी अगर गजल लिखना जानता तो एकाध शेर उठा कर ..पूरा करने की कोशिश करता .<BR/>अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और होली की शुभकामनायें स्वीकारें .<BR/>हेमंत कुमारडा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03899926393197441540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-15881963784385692172009-03-08T20:13:00.000+06:002009-03-08T20:13:00.000+06:00nazm adhoore hain kahan,bata bhi dijiye,har chhand...nazm adhoore hain kahan,bata bhi dijiye,<BR/>har chhand me inhone gajab dhaaya haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-14139191274240581382009-03-08T18:41:00.000+06:002009-03-08T18:41:00.000+06:00वाह रवीश भाई दिल खुश हो गया।वाह रवीश भाई दिल खुश हो गया।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-57027606339870236402009-03-08T18:27:00.000+06:002009-03-08T18:27:00.000+06:00रवीश जी , आप के नज़्म को पूरा करने की असफल कोशिश क...रवीश जी , <BR/> आप के नज़्म को पूरा करने की असफल कोशिश की है...असफल इस लिए लिख रहा हु ..की जब तक आप इस पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देंगे , मेरी कोशिश असफल ही रहेगी .<BR/>लतिकेश<BR/>मुंबई <BR/><BR/>.1<BR/>तुम्हारे घर झूठ का बस्ता छोड़ आया हूं <BR/>खोलना मत मेरे सारे वादे निकल आएंगे <BR/>उस बस्ते को सहेज कर रखना ताउम्र <BR/>उस झूठ के सहारे जिंदगी गुजर जायेगी <BR/>2.<BR/>तुम्हारी आंखों में जब से देखा है अपना चेहरा <BR/>सच से भागता मारा मारा फिर रहा हूं मैं <BR/>सोचता हु की , अगर तुम मेरी सच्चाई को जान गए <BR/>तो फिर खुद का चेहरा, आईने में किस तरह देख पाउँगा .<BR/><BR/> <BR/>३.<BR/>ख़बरों में दिल नहीं लगता है शायर हो गया हूं<BR/>कलम की मौत के बाद कीबोर्ड से मोहब्बत है<BR/>लगता है ,अब आनेवाले दिनों में कोई कलम का सिपाही नहीं होगा .<BR/><BR/><BR/>४.जब से मेरी सैलरी दुगनी हो गई है दोस्तों<BR/>घर में कूड़े का सामान बहुत आ गया है<BR/>दिल चाहता है कूडे के इस सामान को फेंक कर घर साफ़ कर लू <BR/>लेकिन मजबूर हु ,.कूडे के इस सामान se अब मेरा सम्मान जुड़ा है <BR/>.5<BR/>कितने कितने पद हो गए हैं पत्रकारों के अब<BR/>बस बड़े बाबू की तरह फोटो अटेस्ट नहीं कर पाते<BR/><BR/>६.<BR/>जब से उसके पास विजिटिंग कार्ड आया है<BR/>ख़बर नहीं पूछता, कार्ड बढ़ा देता है <BR/>कार्ड में उसकी कर्मों की नहीं ,पद का फ़साना लिखा होता है <BR/>अपनी नाकामियों को छिपाने का तराना लिखा होता है <BR/><BR/>७.सज धज कर आते हैं दफ्तर में फैशन परेड की तरह<BR/>पसीने की बदबू की भनक लगे कितने साल हो गये<BR/>उन पसीने की बदबू में किसी कर्मवीर की खुशबू हुआ करती थी <BR/>लेकिन अब बॉडी स्प्रे ने हर किसी को मेहनत करने से निजात दिला दी है <BR/><BR/>अपनी आंखों की झुर्रियों को छुपा रहे थे जतन से<BR/>बड़े बड़े एंकर,ख़बरों के बिना भी हसीन लगते हैं<BR/>अपने चेहरे पर मेकउप की चादर चढाकर <BR/>ये बड़े एंकर खबरों पर भी मेकउप चढा दिया करते है <BR/><BR/>आपको देखा है,जाने किस टीवी पर, <BR/>इतना ही याद रहा अब देखने वालों को<BR/>यार ये बदले दौर की यादाश्त है <BR/>कल घरवाले भी कहेंगे .तुम्हे देखा है किसी और के घर में <BR/>१०.<BR/>नेता ने ठीक ही कहा ये उनका स्वर्ण काल है<BR/>दफ्तर में बैठा पत्रकार हो रहा माला माल है<BR/>ये फील गुड फैक्टर का फायदा है <BR/>या फिर कांग्रेस का कमाल है <BR/>११. <BR/>तुम मुझे व्याकरण और लिंग से मत डराओ<BR/>व्याकरण की किताब भाषा के जन्म के बाद छपी है <BR/>तभी तो एक आदमी ने कहा कि वो हिन्दी व्याकरण का कुख्यात विद्वान है <BR/>अब लोग गाँव के डकैत से कम उस विद्वान से ज्यादा डरते है .latikeshhttps://www.blogger.com/profile/04046122971331031470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-26079978990091060572009-03-08T16:10:00.000+06:002009-03-08T16:10:00.000+06:00बहुत सुन्दर..बहुत सुन्दर..आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-50926438504292567142009-03-08T13:38:00.000+06:002009-03-08T13:38:00.000+06:00ख़बरों में दिल नहीं लगता है शायर हो गया हूंकलम की ...ख़बरों में दिल नहीं लगता है शायर हो गया हूं<BR/>कलम की मौत के बाद कीबोर्ड से मोहब्बत है<BR/>waah bahut khub.mehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-9590687675871546232009-03-08T13:32:00.000+06:002009-03-08T13:32:00.000+06:00आप तो एकदम शायराना मूड में हैं रवीश भाई.भौजी से मि...आप तो एकदम शायराना मूड में हैं रवीश भाई.<BR/>भौजी से मिलके आये हैं, इसलिए क्या? ; )Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-11835984894286603852009-03-08T13:23:00.000+06:002009-03-08T13:23:00.000+06:00रविश जी बेहतरीन ग़ज़ल कह रहे हैं.और ग़ज़ल का दायर...रविश जी <BR/>बेहतरीन ग़ज़ल कह रहे हैं.<BR/>और ग़ज़ल का दायरा एक दम कोन्तेम्पोरारी <BR/>फिलहाल में लगता है की आप घर ( पटना /जितवार पुर ) हो कर आये हैं. वहाँ का कुछ लिखें <BR/>सादरKaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटनाhttps://www.blogger.com/profile/07416678636893602698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-7123373872297536302009-03-08T13:12:00.000+06:002009-03-08T13:12:00.000+06:00वाह रवीश जी, एक के बाद एक बेहतरीन दोहे..आपका ये अन...वाह रवीश जी, एक के बाद एक बेहतरीन दोहे..<BR/><BR/>आपका ये अन्दाज बहुत भाया..रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.com