tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post8847481079377592636..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: बाबूजी का मकान और मकान में उनका फ्रेमravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-86901027381222099572009-01-10T19:40:00.000+06:002009-01-10T19:40:00.000+06:00धन्यवाद् रवीश जी, इस साल मैं भी अपने पिताजी की कम...धन्यवाद् रवीश जी, इस साल मैं भी अपने पिताजी की कमी महसूस कर रहा हुं. इन पंक्तियों ने आज एक बार फिर आँखें नम कर दीं.For a roof on headhttps://www.blogger.com/profile/18190028341313629005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-42767878419891817662009-01-09T13:18:00.000+06:002009-01-09T13:18:00.000+06:00Raveesh Ji,Kuchh nahi kah sakta, shivaye iske ki r...Raveesh Ji,<BR/>Kuchh nahi kah sakta, shivaye iske ki rote - rote padha ya padhte padhte roya nahi janta. Bahut marmik.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17476194375717602710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-33224030484254904352009-01-05T20:18:00.000+06:002009-01-05T20:18:00.000+06:00ravish sir ,happy new year i m a great fan of u i ...ravish sir ,<BR/>happy new year i m a great fan of u i like ur style of reporting .i am also from motihari district i feel that we should do something for the development of this area people of this area are very backward everybody is exploiting them.can u help me in this anyway?my tel no is 9471477755prakashhttps://www.blogger.com/profile/05513186368092948492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-62885445201282692152009-01-04T19:28:00.000+06:002009-01-04T19:28:00.000+06:00रविश भाईआपका यह लिखना कि " कुछ पाने का अहसास ख़तम ...रविश भाई<BR/>आपका यह लिखना कि " कुछ पाने का अहसास ख़तम हो गया है ...." आंखों में आंसू ले आता है.अपनों का न रह जाना क्या क्या कर जाता है.<BR/>आपकी बेबाक बातें और वो भी बिना किसी झिझक और संकोच के कह देने का साहस इस भाग दौड़ और आत्म केंद्रित और आत्म मुग्ध लोगों के इस हुजूम में काबिले तारीफ है.<BR/>अगर अतिशयोक्ति और अतिशय प्रसंशा का भाव न लगे तो यह कहने का जी करते है कि इस तरह का साहस कबीर में था.<BR/>सादरKaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटनाhttps://www.blogger.com/profile/07416678636893602698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-82396485811685660272009-01-03T22:34:00.001+06:002009-01-03T22:34:00.001+06:00इस प्रविष्टि की कशिश ही ऐसी है कि इसे पढ़कर पहली ब...इस प्रविष्टि की कशिश ही ऐसी है कि इसे पढ़कर पहली बार मैं किसी के लिखे पर कमेंट देने को मजबूर हो गयाgautam yadavhttps://www.blogger.com/profile/04080059195830277669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-91427209109086760712009-01-03T22:34:00.000+06:002009-01-03T22:34:00.000+06:00इस प्रविष्टि की कशिश ही ऐसी है कि इसे पढ़कर पहली ब...इस प्रविष्टि की कशिश ही ऐसी है कि इसे पढ़कर पहली बार मैं किसी के लिखे पर कमेंट देने को मजबूर हो गयाgautam yadavhttps://www.blogger.com/profile/04080059195830277669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-12081460821719672132009-01-03T20:52:00.000+06:002009-01-03T20:52:00.000+06:00Is kavita par tippani nahin ki ja sakti, ise keval...Is kavita par tippani nahin ki ja sakti, ise keval mahsus kiya ja sakta hai.Shabdon ki apni simayen hain...sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-63385329706002997512009-01-03T20:50:00.000+06:002009-01-03T20:50:00.000+06:00This comment has been removed by the author.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-90900201731293428212009-01-03T20:18:00.000+06:002009-01-03T20:18:00.000+06:00आपके दुख में सब साथ हैं...दुआ है कि आप इससे उबर पा...आपके दुख में सब साथ हैं...दुआ है कि आप इससे उबर पाएं...और क्या कहूं....<BR/>कविता के फ्रेम में बाबूजी बिलकुल फिट बैठे हैं...बहुत ही अच्छी रचना...Nikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-51079499948207228052009-01-03T20:11:00.000+06:002009-01-03T20:11:00.000+06:00आपके लेख ने दिल की गहराई तक छुआ है । सचमुच में एक ...आपके लेख ने दिल की गहराई तक छुआ है । सचमुच में एक पिता की अहमियत कितना होता है आपने इस लेख में बयां किया है । लेकिन इस शहरी संस्कृति के लोगो के लिए पिता के मायने उतने नही रह गए है । उन्हे तो यह बोझ समान लगता है । गांव के रहने वाले लोग इसका सही कीमत जानते है । सच कहूं तो यह लेख पढ़ने से घर की याद आ जाती है और अपने पिता को खोने का गम भी सताने लगता है । लेकिन इंसान के बस में कुछ नही है । यह भी एक सत्य हैkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-42979296634455848502009-01-03T19:43:00.000+06:002009-01-03T19:43:00.000+06:00मन की भीतरी दीवार पे बाबूजी रह जाते हैं.जाने क्यों...मन की भीतरी दीवार पे बाबूजी रह जाते हैं.<BR/>जाने क्यों उनके नहीं रहने पर सबकुछ होना भी,<BR/>न होना सा लगता है. <BR/>मन की कहने की कला में आप माहिर है.<BR/>जारी रहे.ritu rajhttps://www.blogger.com/profile/03597991886714743948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-91017924267997245192009-01-03T16:05:00.000+06:002009-01-03T16:05:00.000+06:00रवीश जी.. इन कविता तो भावों से भरी थी ही... लेकिन ...रवीश जी.. इन कविता तो भावों से भरी थी ही... लेकिन उसके बाद ब्रेकेट में जो लाइन्स लिखी है, वो दिल को छू गई..। हर पल बदलती ज़िदंगी में एक पल ऐसा भी आता है जब...<BR/><BR/>"कुछ भी पाने का अहसास खत्म हो गया है। जो मिला था उसी के गंवा देने के अफसोस में मरा जा रहा हूं। लगता है किसी से बात करूं। फिर लगता है किससे बात करूं। फिर खुद से बात करने लगता हूं।" <BR/>शुभकामनाएंMeenakshi Kandwalhttps://www.blogger.com/profile/03328636440950300322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-83305131499217715682009-01-03T13:13:00.000+06:002009-01-03T13:13:00.000+06:00bahut achchhabahut achchhaसुशील राघवhttps://www.blogger.com/profile/00979189101935738399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-69156822095894320662009-01-03T13:11:00.000+06:002009-01-03T13:11:00.000+06:00इस एहसास को मैं महसूस कर रही हूँऔर उन कमरों में आं...इस एहसास को मैं महसूस कर रही हूँ<BR/>और उन कमरों में आंसू लिए खड़ी हूँ,...........<BR/>वजूद दिल के कमरों में कैद है<BR/>बहुत मर्मस्पर्शीरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-80001174480288430762009-01-03T12:21:00.000+06:002009-01-03T12:21:00.000+06:00मेरे पापा चलते फिरते इनसाइक्लोपीडिया है । जब भी मे...मेरे पापा चलते फिरते इनसाइक्लोपीडिया है । जब भी मेरे सामने वैचारिक दरिद्रता या एक शून्य सामने नजर आता है बाबूजी संकटमोचक बनकर मेरी समस्याओं को पल भर में छूमंतर कर देते है । दिल के मरीज है एम्स में दिखलाया तो बोला बाइपास करना होगा । जिद्दी भी है बाबूजी कहते है आपरेशन नही कराउंगा । <BR/>आपके विचार ऐसे स्फुटित होते है जैसे लगता है हर कोइ अपनी ही कहानी सामने देख रहा है । इन सब के बीच हमें महानगरों में ओल्ड ऐज होम भी दिखता है । जहां कितने ही मां बाप अपने संतानों के द्वारा सताये और ठुकराये हुए मौत का इंतजार कर रहे है । व्यथा होती है देखकर । कविता या कहें कि आपका व्यथित संस्मरण दिल को छू लेने वाला है ।कुमार आलोकhttps://www.blogger.com/profile/05450754013929589504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-77371656117142236432009-01-03T12:07:00.000+06:002009-01-03T12:07:00.000+06:00रविश सर ..आपकी हर प्रविष्टि पढ़ता तो रोज़ था लेकिन...रविश सर ..आपकी हर प्रविष्टि पढ़ता तो रोज़ था लेकिन उस पर अपनी प्रतिक्रया देने के लिए हमेशा झिझकता रहा ...पर आज आप के इन शब्दों में मुझे अपने पिता मिले ...जिन्हें मै 2005 से कुछ ऐसे ही ढूढ़ रहा था .....रात पठने के बाद घर जाने के लिए मन बेचैन हो उठा ..लगा कि उड़ कर माँ के पास पहुँच जाऊं ...खैर परसों कि रात काम में जागती बीती और कल कि रात आंसुवो में...... लेकिन ये रात कई रातों से ज्यादा सुकून दे गई ....ajay singh patnaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01273613128749782975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-7196740430524604312009-01-03T11:55:00.000+06:002009-01-03T11:55:00.000+06:00ये एहसास है हर कहीं होता है हर कमी को पुरा करता ...ये एहसास है हर कहीं होता है हर कमी को पुरा करता है <BR/><BR/>वो हो न हो उनकी यादों से ही उनकी कमी पुरी की है <BR/>मार्मिक रचना है आपकी <BR/><A HREF="http://akshaya-mann-vijay.blogspot.com/" REL="nofollow"><BR/>अक्षय-मन </A>!!अक्षय-मन!!https://www.blogger.com/profile/05340059809215740706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-3363283917422722422009-01-03T10:36:00.000+06:002009-01-03T10:36:00.000+06:00सबकी कही में अपनी कही। प्रमोद जी ...आदर्श जी ने सह...सबकी कही में अपनी कही। <BR/>प्रमोद जी ...आदर्श जी ने सही कहा है ...<BR/>लम्हे जो बीत जाते हैं, यादें बन जाते हैं। <BR/>कुछ लोग इसे खजाना कहते हैं...किस काम का ?अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-30332763432202047072009-01-03T04:16:00.000+06:002009-01-03T04:16:00.000+06:00कहते हैं कि भावनाओं को शब्द देना संभव नहीं. फिर भी...कहते हैं कि भावनाओं को शब्द देना संभव नहीं. फिर भी अगर अगर इन्हें प्रकट करने के लिए शब्द होते को इससे शक्तिशाली नहीं होते. ख़ासकर बाबूजी के प्रति.पंकजhttps://www.blogger.com/profile/14013842890365261468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-85727195968491892182009-01-03T03:33:00.000+06:002009-01-03T03:33:00.000+06:00Very touching Ravish....Very touching Ravish....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15971947908133431884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-5480598188701560222009-01-03T02:48:00.000+06:002009-01-03T02:48:00.000+06:00ऐसे ही तो याद आते हैँ हमारे अपने -रवीश जी, इतने कम...ऐसे ही तो याद आते हैँ हमारे अपने -रवीश जी,<BR/> इतने कम शब्दोँ मेँ <BR/>इतनी गहन अनुभूति बयान कर गये और सभी के मन को गहराई तक छू लिया आपने -<BR/>आपके बाबुजी, <BR/>अब आप मेँ समा गये हैँ <BR/>उन्हेँ सहेजियेगा <BR/>और हम <BR/>उन्हेँ सविनय <BR/>श्रध्धा सुमन अर्पित करते हैँ <BR/>नव वर्ष शुभ हो !<BR/> - लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40712102984445257282009-01-03T01:23:00.000+06:002009-01-03T01:23:00.000+06:00बहुत ही मार्मिक।बहुत ही मार्मिक।prabhat gopalhttps://www.blogger.com/profile/04696566469140492610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-82740234740132801352009-01-03T01:05:00.000+06:002009-01-03T01:05:00.000+06:00बिल्कुल छवि सी बन गई, एक्दम यथार्थ।बिल्कुल छवि सी बन गई, एक्दम यथार्थ।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-35196262461053242762009-01-03T00:45:00.000+06:002009-01-03T00:45:00.000+06:00Parkar Aankhen num ho gayi, bahut bhavuk rachna li...Parkar Aankhen num ho gayi, bahut bhavuk rachna likhi hai Ravishji.Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40615314730889123282009-01-03T00:02:00.000+06:002009-01-03T00:02:00.000+06:00नमस्कार रविश जी,हम लोग मेरे दादा ससुर जी को भी बाब...नमस्कार रविश जी,हम लोग मेरे दादा ससुर जी को भी बाबूजी कहा करते थे ,आज वो हमारे बीच नही हैं ,लेकिन आपकी कविता पढ़कर मुझे उनकी याद आ गई ,बहुत ही मार्मिक कविता हैं ,आखो में आंसू भर ही आए . आपके बाबूजी को मेरा सादर नमन . <BR/><BR/><BR/><BR/>मैंने ३१ तारीख के हिंदुस्तान पेपर में छपी,ब्लॉग वार्ता पढ़ी,जो मुझे इंटरनेट पर किसी ने स्केन करके भेजी ,आपकी बहुत आभारी हूँ की आपने मेरे ब्लॉग को 'ब्लॉग वार्ता'में स्थान दिया,दरअसल मैंने जब यह ब्लॉग शुरू करने का सोचा तो मन में काफी संशय था की शास्त्रीय संगीत की जानकारी देने वाला ब्लॉग कोई पढेगा भी की नही ?किंतु जैसे जैसे लिखती गई पाठको की प्रतिक्रियाओ और फ़िर आप जैसे श्रेष्ठ पत्रकारों द्वारा मिले प्रोत्साहन के कारण इस ब्लॉग पर हमेशा लिखते रहने का विचार पक्का हो गया . आपने मेरे ब्लॉग के सम्बन्ध में हिंदुस्तान अख़बार में बहुत ही अच्छा लिखा हैं ,उसके लिए आपको बहुत धन्यवाद . आशा करती हूँ आप जैसे वरिष्ट पत्रकारों से इस ब्लॉग को लिखने के लिए हमेशा इसी तरह प्रोत्साहन मिलता रहेगा मुझे .और मैंने जो यह बडा सा निश्चय किया हैं भारतीय संगीत के प्रचार प्रसार का,उसमे कामयाब हो पाऊँगी .<BR/><BR/>सादर <BR/>वीणा साधिका <BR/>राधिकाRADHIKAhttps://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.com