tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post7171541038164392169..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: रिमझिम गिरे सावन-इस गाने में दिखती है बंबईravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-89975766676595058792010-05-30T08:26:05.612+05:002010-05-30T08:26:05.612+05:00आप कहाँ कहाँ से विचार पकड़ लाते हैं? सचमुच सीखने क...आप कहाँ कहाँ से विचार पकड़ लाते हैं? सचमुच सीखने को मिलता है!sajhamorchahttps://www.blogger.com/profile/06172646582040096087noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-23293374877177842392010-05-30T07:30:01.326+05:002010-05-30T07:30:01.326+05:00RAVISH JI, MUST WATCH THE MOVIE 'CHOTTI SI BAA...RAVISH JI, MUST WATCH THE MOVIE 'CHOTTI SI BAAT' AND SONGS OF 'RAJNIGANDHA'. THESE ARE MORE NOSTALGIC THAN THE DISCUSSED SONG. MEMOIRS ARE ALWAYS NOSTALGIC.VARUN GAGNEJAhttps://www.blogger.com/profile/06972458861151524462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53428840093476680812010-05-29T17:39:16.003+05:002010-05-29T17:39:16.003+05:00सही कहा रवीश जी,
वैसे किसी का हाथ पकड़कर चलनें की ...सही कहा रवीश जी,<br />वैसे किसी का हाथ पकड़कर चलनें की आशा को गोली मारिए, जिसका हाथ पकड़ा है उसी को थामें चलिए और मौसमी को भूल मौसम का आंनद लीजिए, ग्रांट रोड़ चौपाटी पर भेलपूरी खाईये। मरीन ड्राईव आज भी ख़ूबसूरत है। <br />वैसे बरसाती गानों में मुझे अमिताभ-स्मिता पाटिल का आज रपट जाए तो...(नमक हलाल) ज्यादा रोमानी लगता है।नवीन कुमार 'रणवीर'https://www.blogger.com/profile/17518069543329053477noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40467259892893501442010-05-29T14:01:41.983+05:002010-05-29T14:01:41.983+05:00e dil hein mushkil jeena yahaan zara haske zara ba...e dil hein mushkil jeena yahaan zara haske zara bachke yeh hein mumbai meri jaan.........!!! mumbai ki khoobsurati har shakl men lajawaab hein..!! kal bhi aaj bhi, aaj bhi kal bhi.....Railway News Expresshttps://www.blogger.com/profile/04114255563368077743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-63743530336803142002010-05-28T12:53:31.557+05:002010-05-28T12:53:31.557+05:00रवीश जी यह गाना मुझे इतना पसंद है कि लगभग तीन साल ...रवीश जी यह गाना मुझे इतना पसंद है कि लगभग तीन साल से यह मेरे मोबाइल की रिंगटोन बना हुआ है। बदलने का मन ही नहीं करता। क्योंकि अपन भी उसी जमाने के जो हैं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-21918468302483860342010-05-27T10:49:00.115+05:002010-05-27T10:49:00.115+05:00ravish ji ab barsaat bhi kahan hai..ho jaye to dil...ravish ji ab barsaat bhi kahan hai..ho jaye to dil khush ho jaye!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-30269826735951672462010-05-27T10:47:35.256+05:002010-05-27T10:47:35.256+05:00रविशजी, सोचने वाली बात ये है कि जब फिल्में नहीं बन...रविशजी, सोचने वाली बात ये है कि जब फिल्में नहीं बनी थीं, कुछ ही सदी पहले तक, तो क्या 'प्राचीन भारतीय' भूत में जाने में असमर्थ था? <br /><br />बदलते नाम अवश्य बाधा ही बनें किन्तु 'बनारस' यानी 'वाराणसी' अथवा, पुरातन काल में गंगा के तट पर बसी, 'काशी' ही काफी हो सकता है "सत्यम शिवम् सुंदरम" वाले भूतनाथ तक पहुँचने में - कहते हैं न कि बुद्धिमान को इशारा ही काफी होता है! <br /><br />एक बार यदि शून्य (नादबिन्दू विष्णु), यानी आरंभिक स्थिति को पकड़ लिया तो फिर उसके विभिन्न रूपों का आनंद उठाने में अवश्य कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए! <br /><br />आकाश, अग्नि, जल, वायु और पृथ्वी को पंचभूत (शिव के मित्र) या पंचतत्व कहा गया है, जो प्रकृति में किसी भी साकार रूप के बनने में अनिवार्य माने गए हैं!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-88286841859917389672010-05-27T09:57:32.801+05:002010-05-27T09:57:32.801+05:00रवीश जी,
मैं जानता हूं कि शायद तमाम टिप्पणियों मे...रवीश जी, <br />मैं जानता हूं कि शायद तमाम टिप्पणियों में ये टिप्पणी खो जाए पर कहना ज़रूरी है। वो ये कि एक लंबे अरसे से मैं ये सोच रहा था। मुझे पुरानी फिल्में सिर्फ इसलिए पसंद आती हैं क्योंकि वो शहरों की कल की तस्वीर और ज़िंदगी की नब्ज़ को समझाती हैं। <br />एक्टर एक्ट्रेस को अगर पल भर के लिए सेकेंडरी मान लिजिए तो उनके आसपास के जूनियर कलाकार और लोकेशन दरअसल उस दौर के बारे में बिना किसी डायलॉग के भी बहुत कुछ बता देते हैं।<br />न जाने क्यों पुरानी चीजों और पुराने दौर को भी समझने की एक ललक पैदा हो गई है। मुझे लगता था कि शायद मैं ऐसा सोचता हूं। <br />न जाने क्यूं ऐसा होता है कि जब कोई पुरानी फिल्म देखता हूं तो उसके आसमान या फिर उसके वक्त को पकड़कर अपने शहर बनारस के आंगन में भी उतरने की कोशिश करता हूं। लगता है कि जब ये फिल्म बन रही होगी उस वक्त देश में क्या चल रहा होगा...और मेरे शहर में उस टाइम लाईन पर ज़िंदगी कौन सी कहानी गढ़ रही होगी। <br />कल ही दो बीघा ज़मीन देखी है। उसमें कल का कोलकाता दिखाया गया है। उम्मीद है आपने भी देखी होगी गुज़ारिश है एक बार फिर से देखिए समय निकालकर विषय को समझाने में कहीं कोई फोर्स नज़र नहीं आता बल्कि बात सीधी उतरती चली जाती है। और हां कोलकाता के आसामान को पकड़कर एक बार अपने घर के आंगन में उसी टाइम लाइन पर उतरिए कमाल का अनुभव होगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16885990187990290194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-90752915133175693102010-05-26T21:05:12.774+05:002010-05-26T21:05:12.774+05:00सावन की बूंदें,बूंदों में मुंबईं, दिलोदिमाग पर
छा ...सावन की बूंदें,बूंदों में मुंबईं, दिलोदिमाग पर<br />छा जाने वाले लफ्ज़ और दिलकश धुन। ये<br />सब स्क्रीन पर वाकई जादू जैसा अनुभव 'क्रिएट' करते हैं ।ALPYU SINGHhttps://www.blogger.com/profile/11800465430932214772noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40081018220008571102010-05-26T19:48:36.470+05:002010-05-26T19:48:36.470+05:00ये तो मायावी जगत बॉलीवुड का कमाल है कि 'बॉम्बे...ये तो मायावी जगत बॉलीवुड का कमाल है कि 'बॉम्बे' को भुलाने ही नहीं देता... जैसे मो. रफ़ी का पचास के दशक में गाया गीत, "ऐ दिल है मुश्किल जीना यहाँ / ये है बॉम्बे , ये है बॉम्बे, ये है बॉम्बे मेरी जान"...अब तो खैर किसी भी शहर में जीना मुश्किल हो चुका है :)<br /><br />जहाँ तक नाम बदलने का सवाल है, हम जैसे 'बूढों' को उदाहरणतया दिल्ली में आर एम् एल अस्पताल कहने से सोचना पड़ता है कि शायद मतलब विलिंगडन हॉस्पिटल से हो; तिलक ब्रिज शायद हार्डिंग ब्रिज; अब सीपी हो गया जो कनोट प्लेस था जब लोगों के पास समय था; आदि आदि, मेट्रो का स्टेशन लेकिन राजीव चौक सबकी जुबान पर छा गया है अलबत्ता...<br /><br />किसी भी नाम से उसे पुकार लो गुलाब की खुशबू बदल नहीं जाती कह गए शेख पीर!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-38439724350660904762010-05-26T18:11:26.500+05:002010-05-26T18:11:26.500+05:00kadak dhoop aur pasine se tar batar garmi mein aa...kadak dhoop aur pasine se tar batar garmi mein aap rimjhim sawan ka anand le bathe ho! drishya bhi aur gaana bhi dono dilkash hain.गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-11387097752641339812010-05-26T17:00:03.622+05:002010-05-26T17:00:03.622+05:00Ravishji- padh kar anand aya aur saval zehan mai a...Ravishji- padh kar anand aya aur saval zehan mai aya.<br /><br />itne shehro ke nam badle( sahi ya galat mai uski charcha mai nhi jaogakiyo ki chrcha Do jano mai kam se kam hoti hai)aur sab ne use suyikar bhi liya kabhi esa vaad vivad nhi sune ko mila.<br /><br />phir Bombay ko Mumbai bolne mai adhiktr logo ko kathnayi kioyo hoti hai?<br /><br />Mai ispasht kardu mai Marathi ya kisi sanstha se nhi hu- ye isliye kehna thik laga kiyo ki aaj loog har bat mai kisi vivad ki jad ko dhunte haiAditya Tikkuhttps://www.blogger.com/profile/07149181405696484311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-47133735479823493602010-05-26T12:24:28.613+05:002010-05-26T12:24:28.613+05:00Ravish Baboo !!! Behtar post, Sundar abhiwykti!!!
...Ravish Baboo !!! Behtar post, Sundar abhiwykti!!!<br /><br />ek sawaal aapke liye khaas jawaab zaroor dijiyega<br /><br /><br /><b>समान रूप से सुन्दर दो जुड़वां बहनें सड़क पर चल रही हैं| एक केवल कलाई और चेहरे को छोड़ कर परदे में पूरी तरह ढकी हों दूसरी पश्चिमी वस्त्र मिनी स्कर्ट (छोटा लहंगा) और छोटा सा टॉप पहने हो | एक लफंगा किसी लड़की को छेड़ने के लिए किनारे खडा हो ऐसी स्थिति में वह किस लड़की से छेड़ छाड़ करेगा ? उस लड़की से जो परदे में है या उससे जो मिनी स्कर्ट में है? स्वाभाविक है वह दूसरी लड़की से दुर्व्यवहार करेगा! ऐसे वस्त्र विपरीत लिंग को अप्रत्यक्ष रूप से छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार का निमंत्रण देते हैं|</b><br /><br />Aapka fan,<br />Saleem Khan<br />Founder, Hamari Anjuman<br />http://hamarianjuman.blogspot.comSaleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-52285968796484367502010-05-26T12:23:54.731+05:002010-05-26T12:23:54.731+05:00Ravish Baboo !!! Behtar post, Sundar abhiwykti!!!
...Ravish Baboo !!! Behtar post, Sundar abhiwykti!!!<br /><br />ek sawaal aapke liye khaas jawaab zaroor dijiyega<br /><br /><br /><b>समान रूप से सुन्दर दो जुड़वां बहनें सड़क पर चल रही हैं| एक केवल कलाई और चेहरे को छोड़ कर परदे में पूरी तरह ढकी हों दूसरी पश्चिमी वस्त्र मिनी स्कर्ट (छोटा लहंगा) और छोटा सा टॉप पहने हो | एक लफंगा किसी लड़की को छेड़ने के लिए किनारे खडा हो ऐसी स्थिति में वह किस लड़की से छेड़ छाड़ करेगा ? उस लड़की से जो परदे में है या उससे जो मिनी स्कर्ट में है? स्वाभाविक है वह दूसरी लड़की से दुर्व्यवहार करेगा! ऐसे वस्त्र विपरीत लिंग को अप्रत्यक्ष रूप से छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार का निमंत्रण देते हैं|</b><br /><br />Aapka fan,<br />Saleem Khan<br />Founder, Hamari Anjuman<br />http://hamarianjuman.blogspot.comSaleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-26572723400983917102010-05-26T12:16:48.812+05:002010-05-26T12:16:48.812+05:00बारिश गिरने के लिए जगह कहाँ है अब मुंबई में ?बारिश गिरने के लिए जगह कहाँ है अब मुंबई में ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-26826226767471893522010-05-26T12:08:40.368+05:002010-05-26T12:08:40.368+05:00Ravish sir
Aab to na woh sawan hota hai aur na hi ...Ravish sir<br />Aab to na woh sawan hota hai aur na hi woh mausam. Haan dahakna phir bhi jari hai 48°C mein.Kundanhttps://www.blogger.com/profile/10559779166281203545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-87741494155246450952010-05-26T10:24:43.547+05:002010-05-26T10:24:43.547+05:00रवीश जी को सादर प्रणाम....भाई जी बहुत ही रोचक..मजा...रवीश जी को सादर प्रणाम....भाई जी बहुत ही रोचक..मजा आ गया...आपने रिमझिम गिरे सावन की याद ताज़ा कर दी...बहुत बहुत धन्यवाद...Anoop Aakash Vermahttps://www.blogger.com/profile/03733212501581660966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-35586730613498973412010-05-25T23:12:41.297+05:002010-05-25T23:12:41.297+05:00आदरणीय रवीश जी,
आज पहली बार आपके ब्लॉ...आदरणीय रवीश जी,<br /> आज पहली बार आपके ब्लॉग से रूबरू हुआ हूँ। आपको पढकर अच्छा लगा। आपके इस विचार पर मैं यही कहना चाहुंगा कि आजकल हमारी मुबंईया फिल्मे हमारी ना रहकर केवल मल्टीप्लेक्स ऑडियंस और NRI ऑडिंयस की होकर रह गई हैं। अब फिल्मो में सावन के गीतो की जगह रैन डांस ने लेली हैं। अब नही देखने को मिलते हैं फिल्मो में सावन के वो सुहाने दिन जब मुबंई की सडको पर अक्सर बारिश के गीतो को फिल्माया जाता था। सिर्फ अब तो स्मृतियां ही शेष रह गई हैं।<br /> <br /> चंद्रशेखर गुप्ता,<br /> रायपुर[छ.ग.]Unknownhttps://www.blogger.com/profile/04265870645455464965noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-43186336021599525032010-05-24T16:18:30.624+05:002010-05-24T16:18:30.624+05:00http://www.youtube.com/watch?v=WKry5yQqNr0http://www.youtube.com/watch?v=WKry5yQqNr0Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-91800383684780116182010-05-24T16:18:30.625+05:002010-05-24T16:18:30.625+05:00This comment has been removed by the author.Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-31656728559531327922010-05-24T14:15:36.363+05:002010-05-24T14:15:36.363+05:00Ravishji, ek aur rochak lekh. ab kab phir se Devan...Ravishji, ek aur rochak lekh. ab kab phir se Devanand/Nutan ko qutabminar pe dekhge ( tere ghar ke samne), phir kab dhikhai dega Gangtok, delhi ka india-gate, mumbai ke chaale,(Katha)aur bhi tamam khubsoorat aur dikash Hindustani nazare.....<br /><br />Ishwar Bollywood ke producers ko taufiq de.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13247063924203213441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64437250649319981432010-05-24T13:09:37.343+05:002010-05-24T13:09:37.343+05:00main 'sanchi' ki bat se sahamat hoon. wide...main 'sanchi' ki bat se sahamat hoon. wideshon ke sundar drishyon ko saraha jarur ja sakata hai, lekin apane desh ke drishyon ko dekh kar jo apanapan mahsus hota tha, wo khatm ho gaya hai.अर्चनाhttps://www.blogger.com/profile/13916920569285303890noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-28271814942088867802010-05-23T23:53:23.657+05:002010-05-23T23:53:23.657+05:00अब वह ज़माना ही न जाने कहाँ खो गया है जिसमें चरित्...अब वह ज़माना ही न जाने कहाँ खो गया है जिसमें चरित्र अभिनेता नायक को कहता था, "चर्चगेट पर 5 बजे मारिया तुम्हारा इंतज़ार करेगी| उसके हाथ में लाल गुलाब होगा और तुम उसे 5 का फटा नोट दिखाओगे,तो जवाब में वह भी 5 के नोट का दूसरा हिस्सा दिखाएगी| तुम उसे लाल कहोगे और वह गुलाब कहेगी| <br /><br />ठीक है, विदेश देखने का मौका मिल जाता है, मगर वह सुंदरता नहीं| मैं स्विट्ज़रलैंड, इंग्लैंड, जर्मनी फिल्मों में देख देख कर ऊब गया हूँ, मगर अब बम्बई, या ऐसी जगहें भूलें से भी देखने को नहीं मिलती |Sachihttps://www.blogger.com/profile/04099227991727297022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-55383816096073050872010-05-23T21:58:15.561+05:002010-05-23T21:58:15.561+05:00कंक्रीट के जंगल, चारोँ तरफ भीड़, रोड जाम, हार्न की ...कंक्रीट के जंगल, चारोँ तरफ भीड़, रोड जाम, हार्न की चिल्ल पोँ से ऊबे मन को पुरानी यादेँ शांत नहीँ बल्कि और भी बेचैन करतीँ हैँ।<br /><br />आया है मुझे फिर याद वो जालिम गुजरा जमाना बचपन का<br /><br />रवीश जी यादेँ जालिम ही होतीँ हैँ।Ashok Singh Raghuvanshihttps://www.blogger.com/profile/05383337072337947484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-14303183903357165742010-05-23T21:52:58.520+05:002010-05-23T21:52:58.520+05:00मुंबई वाले , बारिश से अब भी नहीं डरते...कितनी भी म...मुंबई वाले , बारिश से अब भी नहीं डरते...कितनी भी मूसलाधार बारिश हो, घर से निकल पड़ते हैं. बच्चों को कीचड़ में खेलने से बिलकुल नहीं रोकते...बल्कि पहली बारिश में अगर बच्चा डर रहा हो तो उसे गोद में लेकर भीगने जाते हैं....हर मैदान में कीचड़ से लथपथ बच्चे फूटबाल खेलते नज़र आएंगे.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com