tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post6838821315258929106..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: सबसे ख़तरनाक होता हैravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-38124700509278557612007-03-14T22:42:00.000+06:002007-03-14T22:42:00.000+06:00पहले मंगलेश डबराल और अब पाश. मेरे दोनों पसंदीदा कव...पहले मंगलेश डबराल और अब पाश. मेरे दोनों पसंदीदा कवियों को फिर से पढ़ाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.Bhupenhttps://www.blogger.com/profile/05878017724167078478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-72765997756742728872007-03-14T05:03:00.000+06:002007-03-14T05:03:00.000+06:00सपने हर किसी को नहीं आतेबेजान बारूद में पड़ी राख क...सपने हर किसी को नहीं आते<BR/>बेजान बारूद में पड़ी राख को सपने नहीं आते<BR/>शेल्फ पर पड़े इतिहास-ग्रंथों को सपने नहीं आते<BR/>....सपनों के लिए लाजमी है झेलने वाले दिलों का होना, इसलिए सपने हर किसी को नहीं आते।<BR/><BR/>खुद को बदलने से लेकर दुनिया बदलने तक के लिए जरुरी है सपनों का होना....<BR/>पूनमpoonam pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02121794594652837679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-59214532081961052882007-03-13T22:02:00.000+06:002007-03-13T22:02:00.000+06:00sachmuch wichaar karne laayak panktiyan hain.. muj...sachmuch wichaar karne laayak panktiyan hain.. mujhe lagta hai jyadatar logon ko yahi lagegaa sapne mar gaye ya maar diye gaye is bhaag dod ki zindagi mein...Monika (Manya)https://www.blogger.com/profile/02268500799521003069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-25331881832849046922007-03-13T20:59:00.000+06:002007-03-13T20:59:00.000+06:00मैं सोच रहा था किसी को घुटना दिखाने के बाद, और हिं...मैं सोच रहा था किसी को घुटना दिखाने के बाद, और हिंदी फिल्मों के साठ के दशक वाले नायकीय अंदाज़ में कमरे से बाहर जाने के बाद आप कुछ दी बग जैसा कोई धांसू सा पोस्ट करेंगे, और यहां देख रहा हूं कि आप अपनी बजाय औरों को याद करवाने के फेर में पड रहे हैं. बडा डिप्रेसिंग लग रहा है. दीवार में एक सीन था. फिल्म का नायक मदन पुरी को होटेल के उसके बिस्तरे से उठा कर खिडकी से बाहर नीचे फेंक देता है. मदन पुरी का तो वजन ज्यादा था, बग का नहीं है, कमसकम सपने में ही वह सीन खेल लीजिये.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.com