tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post6442399159979714438..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: चिदंबरम की उदास रातों में कुछ सवालों के रतजगेravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-19383109891282648692010-04-13T11:49:16.265+05:002010-04-13T11:49:16.265+05:00Ravish ji,
App jo likhte hain apne blogs par unhe...Ravish ji,<br /><br />App jo likhte hain apne blogs par unhe keya aapki barkha dutt, pranav roy, abhigyan prakash, vinod dua jaise sathi bhi padhte hain keya...<br /><br />aap ko yeh comment accha nahin lagega woh log aapke sathi hain aur aapke sath kaam karte hain. lekin unhe hindi ke akhbar aur aapke jiase blogs padhne ki sakht zaroorat hai.. warna NDTV, Times Now hota ja raha hai.. fir toh Arnnav ji bhi barkha ji se achhi angrezi bol lete hain.. log unhi ko dekhenge..Nesar Ahmadhttps://www.blogger.com/profile/08015567144447800549noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-10236613851885260162010-04-11T17:32:19.931+05:002010-04-11T17:32:19.931+05:00Hi Ravish ji,
U always come with a new topic on...Hi Ravish ji,<br /> U always come with a new topic on ur blog, which really reflects the true picture of our society. Ur new presentation on NDTV " Ravish Ki Report" is also very interesting. Ur special way of expression may be summarized as " saralta me Sampurnta". But u have yet not paid attention to my request to write on the apathy of "stray animals", which I am really looking forward to read from ur pen. Plz. do consider my request.<br />Ur true admirer ever,<br />Neelendu,<br />socialcanvass.blogspot.comNeelendu Sharanhttps://www.blogger.com/profile/16818361325627001349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-60613368954399136422010-04-11T15:14:54.904+05:002010-04-11T15:14:54.904+05:00Paart II -
दूसरी बात नक्सलियों से बातचीत की तो ...Paart II - <br /><br />दूसरी बात नक्सलियों से बातचीत की तो वे भारत के नागरिक हैं बात तो होनी ही चाहिये । लेकिन नक्सली जिस विचार धारा को लेकर चल रहे हैं उसमे जनतंत्र को पूरा निरस्त करके नया निजाम लाने की बात है । यह बात विकास की नहीं है मतलब यह कि समाजिक कारण होगा पर वह केवल बहाना मात्र है कारण केवल और केवल राजनैतिक है वह भी माओवादी विचारधारा की नीति है । इसका गरीबी , विकास से कुछ लेना देना नहीं है । मेरा मानना यह है कि जब कोई नयी विचारधारा ( जिसे मै राजनैतिक धर्म कहता हूं ) या नया धार्मिक पंथ ( जिसे मै सामजिक राजनीति कहता हूं )अस्तित्व मे आते हैं तो उसके प्रवर्तक उसमे सारी अच्छी बातें रखते हैं और समाज कल्याण व उत्थान की धारा पर आगे बढ़ते हैं , लेकिन जैसे ही वे प्रवर्तक नेपथ्य मे जाते हैं और उनके चेले लीडरशिप संभालते हैं तो मुख्य बात से भटक कर आडंबरों को बढ़ाया जाता है और उनके नाम पर समाज का शोषण ही होता है । मै इस भूमिका के समर्थन में किसी धर्म , पंथ , सामाजिक संगठन या राजनैतिक दल का उदाहरण देकर सिद्ध करने नही जा रहा , यह शाश्वत सत्य है और सब पर लागू है । इसी परिप्रेक्ष मे नक्सल वाद को देखिए , आज यह आन्दोलन १९६७ का गरीबों को अधिकार दिलाने वाला आन्दोलन नही रह गया है इसमे वेस्टेड इन्टेरेस्ट पैदा हो गये हैं जो भारत के संविधान को निरस्त करते हैं । आप नक्सल आंदोलन के जनक कानू सान्याल ( वे नक्सल शब्द के इस्तेमाल से नाराज होते थे , इसे जन अधिकार आन्दोलन के नाम से ही बुलाना चाहते थे ) के आखिरी दिनों के इंटरव्यू सुनिये कि इस भटकाव से वे कितने दुखी थे । शायद इसी दुख के कारण उन्होने आत्महत्या कर लिया । इस लिए यह केवल युद्ध है और इसे भारत को अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए लड़ना ही होगा और जीतना ही होगा । पिछड़ापन, शोषण और अधिकारों की लड़ाई तो चलनी ही चाहिए और समाधान होना चाहिए । इस बात मे सारे बुद्धिजीवी और प्रबुद्ध लोग आगे आयें लेकिन इस के नाम पर भारत का विखंडन स्वीकार नहीं होना चाहिए । इस तरह की बातें अपने मक़सद को जायज ठहराने के लिए हर कोई करता है , हम यही बात पंजाब मे सुनते थे , आसाम मे सुनते थे और कश्मीर मे भी यही सुनते हैं । यह लड़ाई श्रीलंका की लिट्टे के विरुद्ध हुई लड़ाई जैसे लम्बी , रक्तरंजित और कष्ट दायक होगी । कृपया धैर्य रखें और अतिइमोशनल न होवें । यह लड़ाई भारत का संविधान और जनतंत्र बचाने की लड़ाई है और इस पर भारतीय जनता पार्टी के समर्थन को भी आपने मज़ाक मे उड़ा दिया ( शायद पूर्वाग्रह के कारण ) । बहुत अजीब बात है । <br /><br />इस सरकार द्वारा मीडिया के इस्तेमाल खास कर अंग्रेजी मीडिया के और उनसे अभिभूत होने की बात है तो शायद आज पहली बार आपने इस सरकार के छ: साल के कार्यकाल के सबसे बड़े गुण की तरफ इंगित किया है । जहां तक आदिवासी क्षेत्र के सांसदो व विधायकों को अंग्रेजी चैनलों पर न बुलाने की बात है तो यह तो जग जाहिर है , अंग्रेजी मीडिया का अपना मायावी संसार है जहां वे सरकार चाहे कोई भी हो उसके बगलगीर रहते हैं और उनका व्यवहार हमेशा एलीटिस्ट होता है कोई नयी बात नहीं है । सारी ब्रेकिंग न्यूज , सारी ऑफ द रिकार्ड ब्रीफ़िंग और सारे विश्वस्त सूत्रों वाली बातें उन्हे आसानी से प्राप्त हैं , यहां आप से सहमति है ।<br /><br /><br />मरीचिका - www.mireechika.blogspot.comविजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-21885453630636185052010-04-11T15:13:16.477+05:002010-04-11T15:13:16.477+05:00नक्सल समस्या पर आपके विचार पढ़े, आप से काफ़ी हद तक...नक्सल समस्या पर आपके विचार पढ़े, आप से काफ़ी हद तक असहमत हूं :<br /><br />आप के विचार मे सरकार का यह स्टैंड कि सेना अपने ही नागरिको के विरुद्ध नहीं लड़ सकती तो फिर अर्धसैनिक बल कैसे लड़ रहे हैं और उन्हे सेना से प्रशिक्षण प्राप्त हो रहा है , इसलिए सरकार के स्टैंड मे विरोधाभास है , ठीक नही है । आप शायद जान बूझकर असलियत की उपेक्षा करके अपनी बात को साबित करने के लिए अर्धसत्य का सहारा ले रहे हैं क्योंकि आप भी जानते हैं कि सेना को आंतरिक युद्ध मे न इस्तेमाल करने का ऐतिहासिक कारण है । १८५७ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मे सेना के विद्रोह के बाद इस पर गहन विचार के बाद आन्तरिक सुरक्षा के लिए पुलिस का गठन हुआ । पुलिस एक्ट बना । १९६२ के चीन युद्ध के बाद यह महसूस किया गया कि सेना को हमेशा सीमाओं की सुरक्षा मे नहीं लगाना चाहिये बल्कि केवल युद्ध के समय ही लगाना चाहिए इस लिए सीमा सुरक्षा बल का गठन हुआ और अन्य बल , जिन्हे अर्धसैनिक बल कहते हैं वे अस्तित्व मे आये । इनकी सबसे अन्तिम कड़ी सी आई एस एफ है । मै विस्तार से नही लिख रहा केवल मुख्य बात कह रहा हूं कि इसी परिप्रेक्ष मे कोई भी सरकार द्वारा सेना का इस्तेमाल आन्तरिक लड़ाई मे इस तरह करना , इस १५० साल की नीति से हटना होगा । हां यदि विदेशी घुसपैठ हो जैसे कि २६/११ या कश्मीर मे हो , ऐसे अपवाद वह अलग बात है । <br /><br /><br />"मरीचिका - www.mireechika.blogspot.comविजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-21644870856334408372010-04-11T11:39:28.667+05:002010-04-11T11:39:28.667+05:00Namaskar,
Samaik tipani ke liye dhanyawad.Lekin is...Namaskar,<br />Samaik tipani ke liye dhanyawad.Lekin is samasya ka hal baat cheet se ho payega isse main sahmat nahi hoon. Idiology ka patan ho chuka hai. LTTE aur Punjab ke udahran hamare samne hai. Naksalwad ka area kafi bada ho gaya hai iska hal itna asan bhi nahi hai lekin batcheet se samsya nahi khatam hone wali hai.Bandook bandook ki hee bhasa samjhatee hai. Iske liye chane sena laganee pade ya CRPF.Mahendra Singhhttps://www.blogger.com/profile/02983305155812215864noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-32781884205662029122010-04-10T23:59:55.688+05:002010-04-10T23:59:55.688+05:00सहमति।सहमति।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-78511218417296069092010-04-10T20:14:19.596+05:002010-04-10T20:14:19.596+05:00रवीशजी, आपकी नजर में नक्सलवाद का अंत बातचीत ही है।...रवीशजी, आपकी नजर में नक्सलवाद का अंत बातचीत ही है। यहां हमें आपसे सहमत होने में थोड़ी दिक्कत हो रही है। वजह ये है कि आपने जिक्र किया है कश्मीर समस्या, पंजाब में आतंकी गतिविधियों की, असम समस्या की। हम कुछ पल के लिए ये स्वीकार कर लेते हैं कि बातचीत ने समस्याओं को कुछ हद तक शांत किया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या नक्सली ऐसे हैं जो बातचीत से मान जाएंगे। नक्सल प्रभावित इलाकों में जो कत्ले-आम हो रहे हैं वे रुक जाएंगे। आपकी ही पोस्ट के मुताबिक हम भी ये मानते हैं कि ये सरकार की कमी है कि वो ये पता नहीं कर पा रही है या करना नहीं चाहती कि नक्सलियों के पनपने और बढ़ने के क्या कारण हैं। कैसे आदिवासियों और नक्सल प्रभावित इलाकों की जनता के दिल जीते जा सकते हैं। कश्मीर की समस्या में सिर्फ पाकिस्तान या आतंकी संगठनों से बातचीत से समस्या का समाधान नहीं होगा। अगर ऐसा होता तो इस समस्या का कब का समाधान हो गया होता। सरकार ने बातचीत में कोई कमी नहीं छोड़ी है। अब बातचीत का ये मतलब नहीं होना चाहिए कि भारत कश्मीर को उठाकर पाकिस्तान को दे दें या फिर कश्मीर को भारत से अलग कर दे। ठीक इसी तरह नक्सल प्रभावित इलाकों की जनता लोकतंत्र में जी रही है। हरेक को अपनी बात कहने का हक है। नक्सली भी अपनी बात कह सकते हैं। लेकिन उनके कहने का तरीका आपको भी पता है। वे अपनी बातें लाशें बिछाकर कहते हैं। उन्हें लगता है कि लाशें बिछाकर वे समाज और देश में क्रांति कर रहे हैं। अगर हम ये कहें कि सरकार को नक्सल प्रभावित इलाकों की जनता का विश्वास जीतना इस वक्त जरूरी हो गया है तो हम समझते हैं कि आपको इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि जो हमारी समझ है वो ये है कि जो भी नक्सल समस्या विकराल रूप धारण किए हुए है वो सरकार के प्रति जनता के अविश्वास के चलते ही है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो नक्सल प्रभावित इलाकों में जनता का विश्वास हासिल करने के लिए युद्धस्तर पर ऐसा अभियान छेड़े जिसमें किसी के सीने से खून की एक बूंद भी न निकलती हो।Janduniahttps://www.blogger.com/profile/06681339283219498038noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53576264230010610022010-04-10T19:37:48.656+05:002010-04-10T19:37:48.656+05:00आपके पोस्ट का हमेशा इंतजार रहता है क्योकि हमेशा कु...आपके पोस्ट का हमेशा इंतजार रहता है क्योकि हमेशा कुछ न कुछ ऐसा पता चलता है जो शायद हमारे लिए नया होता है........पश्यंती शुक्ला.https://www.blogger.com/profile/01592413448159409404noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-46245369156369477952010-04-10T15:33:46.343+05:002010-04-10T15:33:46.343+05:00jan neta ab sarkaro mein nahi hai...sirf shasak ha...jan neta ab sarkaro mein nahi hai...sirf shasak hai....angrejo ke dna wale so.......Unknownhttps://www.blogger.com/profile/06782360176088403100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-83334829628802859962010-04-10T12:16:54.614+05:002010-04-10T12:16:54.614+05:00bahut badhiya. samajik aur aarthik samasyaon ka sa...bahut badhiya. samajik aur aarthik samasyaon ka samadhan kabhee bhee golee naheen ho sakati.Sanjiv Raihttps://www.blogger.com/profile/03815158543716557738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-56262545285229537972010-04-10T11:12:00.472+05:002010-04-10T11:12:00.472+05:00जब हम फ्रेंच पढ़ रहे थे तो हमने सीखा एक शब्द '...जब हम फ्रेंच पढ़ रहे थे तो हमने सीखा एक शब्द 'रोमैं फ्लव्', शब्दों का नद, जो ऐसी स्तिथि में मीडिया बना देता है...प्रश्न यह उठाना चाहिए कि समस्या नयी है क्या? यदि उत्तर नहीं में है तो फिर वैज्ञानिक की भांति सोचना होगा क्या इसका निदान पहले भी पाया गया था या नहीं? सब जानते हैं कि आज भी कई बीमारियाँ हैं जिनका इलाज पश्चिमी वैज्ञानिक नहीं ढूंढ पाए हैं और इस कारण हम, माफ़ करना, 'नकलची बन्दर' भी नहीं जानते,,,किन्तु पूर्व में, इसी धरती पर, ज्ञानी लोग गहराई में जा प्रतीत होता है सभी समस्याओं का निदान खोज पाए थे, जिसकी कुछ कलियुगी झलक आपने भी हाल ही में कुछेक अन्य प्रदेशॉ में, कुछ हद तक बातचीत कर सुलझाये जाने का संकेत दिया,,,हांलांकि वो स्थायी थे या अस्थायी इसका सत्य केवल कालोपरांत ही जाना जा सकता है, क्यूंकि राख़ से भी चिंगारी हवा पाने से भड़क सकती है जानते हैं सभी!... <br />जहाँ तक पुलिस का सम्बन्ध है, एक रेल यात्रा के दौरान जहां दीन दयाल जी की हत्या हुई, उसी मुगलसराय यार्ड से, एक अफसर ने स्वयं बताया कि कैसे डाकू और पुलिस के बीच एक मूक समझौते के अनुसार, लाखों का माल यार्ड से गायब होता था और उसके एवज में रेल-यात्रियों और पुलिस केम्प को नहीं छूआ जाता था! और ऐसे पता नहीं कितने मूक समझौते अनंत काल से चल रहे हैं विभिन्न विपरीत शक्तियों के बीच,,,और मानव को इस पृथ्वी पर आये पश्चिमी वैज्ञानिक कहते हैं लगभग पचास लाख साल तो हो ही चुके हैं,,,यद्यपि हिन्दू जोगी युगों युगों कि बात करते हैं जहां तक मानव का प्रश्न है यद्यपि भगवान शून्य से जुड़ा होने के कारण इस चक्र से परे है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-18234082520703535282010-04-10T10:41:38.356+05:002010-04-10T10:41:38.356+05:00बहुत बढ़िया लेख रविश जी. सारी बातें एकदम साफ़...बहुत बढ़िया लेख रविश जी. सारी बातें एकदम साफ़...Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-2847615117707397542010-04-10T10:05:19.130+05:002010-04-10T10:05:19.130+05:00sir, sahi likha hai aapne ,kisi bhi desh ki sarkar...sir, sahi likha hai aapne ,kisi bhi desh ki sarkar ko agar desh ki kisi bhi samsya ka karan pata nahi hai to yah us desh ke nagriko ka durbhgya hai.....ankah ke badle ankah ke sidhant se puri duniya andhi ho jayege <br /> thanks a lotkamlakar Mishra Smriti Sansthanhttps://www.blogger.com/profile/03099892762957449804noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64229781343716642232010-04-10T09:31:28.132+05:002010-04-10T09:31:28.132+05:00इस सरकार के लोग आंकड़ों और उसके विश्लेषण की भाषा सम...इस सरकार के लोग आंकड़ों और उसके विश्लेषण की भाषा समझते है, वर्ल्ड बैंक, आई.एम.ऍफ़ जैसे संस्थान सरकारों को यही सिखा रहे हैं......भाव, जीवन मूल्य, रिश्ते, सामाजिक ताना बाना, संवाद आदि इनके लिए कोई मायने नहीं रखता. .... तो आइए एक बार आंकड़ों का खेल भी देख लें...... जब से नक्सलवाद शुरू हुआ है तब से हथियारों की संख्या, हथियारों पर किया गया खर्च, सुरक्सा कर्मियों की संख्या बढ़ी है या कम हुई है.... ज़ाहिर है बढ़ी है. ... तो जैसे जैसे तथा जब से यह संख्या बढ़ी है, नक्सली हिंसा, अशांति, आम लोगों की मौत, सुरक्षा कर्मियों की मौत का आंकड़ा बढ़ा है या घटा है? ... ज़ाहिर है बहा है.... ग्राफ बनाकर देखेंगे तो एक सीधी रेखा ऊपर की उठती हुई निकलती है..... आंकड़े भी बताते है कि नक्सली हिंसा के जिस समाधान पर सरकार चला रही है वह समस्या को बढ़ा.रहा है. पता नहीं इस आकंडे का विश्लेसन करने का वक्त हमारे हुक्मरानों के पास क्यों नहीं है..... शायद इसीलिए कि .......बकौल निदा फाज़ली - "सात समंदर पार से कोई करे व्यापार... पहले भेजें सरहदें फिर भेजे हथियार'Education Highlights by Oshohttps://www.blogger.com/profile/11360985788537727505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-45192292930940727652010-04-10T08:12:10.457+05:002010-04-10T08:12:10.457+05:00अच्छी पोस्टअच्छी पोस्टदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-86501520411719849272010-04-10T07:52:56.544+05:002010-04-10T07:52:56.544+05:00Fairly Balanced analysis !Fairly Balanced analysis !मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-34050612823389136442010-04-10T00:23:41.475+05:002010-04-10T00:23:41.475+05:00बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 10.04.10 की चिट्ठा चर्चा...बहुत अच्छी प्रस्तुति।<br />इसे 10.04.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।<br />http://chitthacharcha.blogspot.com/मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-72246473969755023702010-04-09T23:36:31.404+05:002010-04-09T23:36:31.404+05:00रवीशजी नमस्कार,
आपका ब्लॉग देखा... नडीटीव्ही आप...रवीशजी नमस्कार,<br /><br />आपका ब्लॉग देखा... नडीटीव्ही आपकी रिपोर्ट देखते-देखते मै आपका फॅन हो गया हूं. आज आपका ब्लॉग देखा और आपके ब्लॉग को http://blogvishwa.maaybhumi.com/ पर लगाने से खुद को नही रोक पाया. आप बहुत अच्छा लिखते है... मै खूद एक मराठी पत्रकार हूं... इसी तरह लिखते रहे...maaybhumi deskhttps://www.blogger.com/profile/00691406401451753779noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-28110435058091404182010-04-09T23:34:48.932+05:002010-04-09T23:34:48.932+05:00This comment has been removed by the author.maaybhumi deskhttps://www.blogger.com/profile/00691406401451753779noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-28323443666246553902010-04-09T23:21:19.287+05:002010-04-09T23:21:19.287+05:00आप पत्रकार है - जिस 'बेहतर ढंग' से आप अपनी...आप पत्रकार है - जिस 'बेहतर ढंग' से आप अपनी बात - यहाँ 'ब्लॉग' पर लिखते हैं ...वैसा ही कुछ ..टी वी पर देखने को क्यों नहीं मिलता है ??Ranjanhttps://www.blogger.com/profile/03013961954702865267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-26944911912341736742010-04-09T22:45:10.757+05:002010-04-09T22:45:10.757+05:00फर्स्ट किलासी वाला लिखे हैं. हलांकि सवधान रहिए कि...फर्स्ट किलासी वाला लिखे हैं. हलांकि सवधान रहिए कि चिदम्बरम का लोक सब कवनो रबीस कोमार का खोजाई तो नै कर रहा है ?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53230020530790722312010-04-09T22:43:34.334+05:002010-04-09T22:43:34.334+05:00नक्सलवाद के पैदा होने के कारणों के बारे में क्यों ...नक्सलवाद के पैदा होने के कारणों के बारे में क्यों नही सोचा जाता? उन कारणों को खत्म करने के लिए क्यों नहीं कोई ठोस कदम उठाए जाते? <br />जब तक इस ओर न सोचा जाएगा तो आज के सारे नक्सलवादी खत्म हो जाने पर भी फिर से पैदा हो जाएँगे। कारण को मारना पड़ेगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-75124185052420902362010-04-09T22:42:06.352+05:002010-04-09T22:42:06.352+05:00रवीश जी, आपकी टिप्पणी की पूर्णता इसी में लगती है क...रवीश जी, आपकी टिप्पणी की पूर्णता इसी में लगती है कि कोई टिप्पणी न की जाए। इतने संक्षेप में अत्यंत समसामयिक और समुचित। एक साथ ढेर सारे सवालों का जवाब। बधाई।sansadjee.comhttps://www.blogger.com/profile/02069335494339526076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-23186986805517344882010-04-09T22:27:33.120+05:002010-04-09T22:27:33.120+05:00एक विचारोत्तेजक आलेख।एक विचारोत्तेजक आलेख।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-58254759721319632482010-04-09T22:20:54.597+05:002010-04-09T22:20:54.597+05:00चिदम्बरम बनाम संसद की नकली उदासी बनावटी दुख
क्या ...चिदम्बरम बनाम संसद की नकली उदासी बनावटी दुख <br />क्या लौटा पाएगा उन जवानों को और उनके परिजनो के खाक हो चुके सपनों को ?सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.com