tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post5893619020349385246..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: जमाई बाबू के लिए डिस्काउंटravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-19283144852948403122011-10-11T23:53:17.737+05:002011-10-11T23:53:17.737+05:00dehej ki aag aise lagti hai,jo pani dalne se bujti...dehej ki aag aise lagti hai,jo pani dalne se bujti nhi blki aur badti hai,aag lgane wale aur bujhane wale hum hi log hai,to apne girebhan me jhakna hoga aur dhej ko mitana hoga........parveenhttps://www.blogger.com/profile/06011388957251990423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-73703152529681387882009-06-29T16:57:11.431+06:002009-06-29T16:57:11.431+06:00सरकारें दहेज देती हैं, बैंक इसका विज्ञापन करते हैं...सरकारें दहेज देती हैं, बैंक इसका विज्ञापन करते हैं, अंग्रेजी (अशिष्ट) अखबार मेट्रीमोनियल्स के साथ इशारों भरे परिशिष्ट निकालते हैं, बाप-भाई-रिश्तेदार खुशी-खुशी इंतजाम करते हैं। क्योंकि दहेज जुटाना यानि हवा के साथ चलना आसान है बजाय दहेज-विरोध के यानि हवा बदलने के।Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-62669123279178305682009-06-29T16:08:17.633+06:002009-06-29T16:08:17.633+06:00dahej ke virodh mein sirf kanoon banta hain leking...dahej ke virodh mein sirf kanoon banta hain leking wahi kanoon banane wale dahej ka khula len den karte hain. Ab to bihar mein sarkar bhi dahej mein garibo ki betiyon ko 5000 ka dahej dene lagi hainSuryahttps://www.blogger.com/profile/08164032960823082021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-19620260190385448362009-06-27T21:18:39.844+06:002009-06-27T21:18:39.844+06:00रवीश भाई, दहेज को लेकर भारत में कितनें आंदोलन चले ...रवीश भाई, दहेज को लेकर भारत में कितनें आंदोलन चले इसका कोई जवाब नहीं,कितनें कानून बनें ये भी सभी जानते हैं। अब सवाल ये है कि कितनें लोग आज भी इस सच्चाई को नहीं मानते की दहेज प्रथा हमारे समाज के लिए कितना बड़ा अभिशाप है। मैं एक टीआरपी आधारित चैनल में कार्यरत हूं एक बार वहां के एक वरिष्ठ एंकर जो "रोज की बात" करते हैं कहनें लगे कि जिस प्रकार भारत में छूआछूत होती है ये सच्चाई है, तो उसके लिए आरक्षण क्यों हो? देश में दहेज लिया जाता है ये भी सच्चाई है तो क्या उसके लिए भी कानून बना दिया जाए? मुझे अफसोस हुआ उनपर। <br />हमें ये भी देखना चाहिए की कितनें लोग पत्रकारिता की दुनिया में होकर भी अपनी शादी में मोटे दहेज के साथ खुद को जोड़ते हैं? यहां सब भोकाल मचा देते हैं कि ये सही है और वो गलत हैं लेकिन अपनी बारी पर सब वही करते हैं जो कि नहीं करना चाहिए।नवीन कुमार 'रणवीर'https://www.blogger.com/profile/17518069543329053477noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-80271561569191415202009-06-27T18:49:44.062+06:002009-06-27T18:49:44.062+06:00बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का,
जो चीरा तो कतरा...बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का,<br />जो चीरा तो कतरा-ए-खूं भी न निकला !Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-43982310372279414682009-06-26T16:57:29.574+06:002009-06-26T16:57:29.574+06:00जब हम किसी शादी में जाने से मना करेंगे तो ज़रुर हमस...जब हम किसी शादी में जाने से मना करेंगे तो ज़रुर हमसे पूछा जाएगा कि भाई दहेज ऐसी बड़ी चीज़ कबसे हो गयी कि आप संबंधों को दांव पर लगा दो ! तब जो विमर्श शुरु होगा उसमें सारी बातें अपने आप आएंगी। इब्तिदा-ए-इश्क है यह तो मेरे दोस्त....Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-1904853402630373092009-06-26T13:24:12.258+06:002009-06-26T13:24:12.258+06:00लेकिन ये दहेज नामकी प्रथा...नारी सशक्तिकरण, प्रेमव...लेकिन ये दहेज नामकी प्रथा...नारी सशक्तिकरण, प्रेमविवाह, जातिवाद,बेटे से मोक्ष आदि तमाम तरह की चीजों से जुड़ा है-हमें इस बात को याद रखनी चाहिए। अगर विमर्श इस दिशा में आगे बढ़े तो बेहतर है, क्योंकि करोड़ों लोगों को सिर्फ एक आदर्श की बात कहकर दहेज लेने से रोकपाना मुश्किल लगता है-पैसे की चमक कई चीजों पर भारी पड़ जाती है।sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-56649062736862182582009-06-26T10:53:32.114+06:002009-06-26T10:53:32.114+06:00आईए, आज कस्बा के प्रांगण में शपथ लें कि आज से जो भ...आईए, आज कस्बा के प्रांगण में शपथ लें कि आज से जो भी कोई हमारे घर शादी का कार्ड लेकर आएगा पहले उससे पूछेंगे कि आप दहेज ले या दे तो नहीं रहे हैं ? यदि हां तो कृपया हमारे आने की कामना छोड़ दें। या फिर दहेज का ख्याल छोड़ दें। ऐसा करने के बाद हम तुरंत कस्बा को सूचित करेंगे। संभव हुआ तो रवीशजी इसे एनडीटीवी पर जगह देंगे। देखते हैं बदलाव कैसे नहीं आता।<br />सोच क्या रहे हैं ? बदलाव की खातिर भंवरीदेवी ने पूरे गांव से और तसलीमा ने दुनिया भर से पंगा ले लिया, यह तो छोटी-सी बात है।<br />हो सकता है कहीं कुछ लोग बिना ढोल-नगाड़े के ऐसा कर भी रहे हों।Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-69961187833472137722009-06-26T00:30:14.031+06:002009-06-26T00:30:14.031+06:00रविश जी ! इतना सब लिख कर फिर सवाल भी कर लेना आपके ...रविश जी ! इतना सब लिख कर फिर सवाल भी कर लेना आपके साहस की गवाही दे रहा है .......कितनी बड़ी शर्मनाक बात है की जो दामाद दहेज़ ले उसी की पूजा की जाय,पर कहीं न कहीं से शुरूवात तो होती ही है अच्छाई की ,जैसा की शेफाली ने लिखा है की उनके घर में ये शुरूवात हो चुकी है .....बधाई इतनी प्रमुख बात को उठाने के लिए .सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-10419185119205363522009-06-25T22:02:06.642+06:002009-06-25T22:02:06.642+06:00रवीशजी ...बहुत बढ़िया रविश जी आपकी स्पेशल रिपोर्ट ...रवीशजी ...बहुत बढ़िया रविश जी आपकी स्पेशल रिपोर्ट हर रोज देखती हूं... रात को देख नहीं पाता..क्योंकि ऑफिस जाना होता है... सुबह 11.30 को जरूर देखता हूं ....| आपके शब्द में जो लय और तारतम्य होता है ,,रूकने पर मजबूर कर देते है.. खासकर आपकी नई नई जानकारियां... आपके ब्लॉग के बारे में सुना तो था लेकिन आईड़ी नहीं थी... कुछ ही दीन पहले पता चली है... अब रोज पढ़ता हूं...आप बस ऐसी ही रोचक बातें लिखते रहिये और हम पढ़ते रहेंगे| <br /> धन्यवादAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/10851288873329425502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-1736993577910422092009-06-25T20:23:28.965+06:002009-06-25T20:23:28.965+06:00ग़ज़ल
लड़के वाले नाच रहे थे लड़की वाले गुमसुम थे
या...ग़ज़ल<br /><br />लड़के वाले नाच रहे थे लड़की वाले गुमसुम थे<br />याद करो उस वारदात में अकसर शामिल हम-तुम थे<br /><br />बोलचाल और खाल बाल जो झट से बदला करते थे<br />सोच-समझ की बात करें तो अभी भी कुत्ते की दुम थे<br /><br />बाबा, बिक्री, बड़बोलापन, चमत्कार थे चौतरफ़ा<br />तर्क की बातें करने वाले सच्चे लोग कहाँ गुम थे!<br /><br />उनपे हँसो जो बुद्ध कबीर के हश्र पे अकसर हँसते हैं<br />ईमाँ वाले लोगों को तो अपने नतीजे मालूम थे<br /><br />अपनी कमियाँ झुठलाने को तुमने हमें दबाया था<br />जब हम ख़ुदको जान चुके तब हमने जाना क्या तुम थे<br /><br />1 जुलाई 2006 <br /><br /><br />-संजय ग्रोवर<br />(www.anubhuti-hindi.org से)<br />KUCHH HUYA KYA !Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-89840915541073470912009-06-25T16:43:27.178+06:002009-06-25T16:43:27.178+06:00आपने बहुत गहरी और तीखी बात कही है। पर शर्म का एहसा...आपने बहुत गहरी और तीखी बात कही है। पर शर्म का एहसास कराए तो कौन, वो भी दहेज लिए हुए होगा।<br /><br /><a href="http://alizakir.blogspot.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://tasliim.blogspot.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sciblogindia.blogspot.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24462202547977698922009-06-25T13:56:45.650+06:002009-06-25T13:56:45.650+06:00Ravishji
Kmal ke lekhak hain app. Kabhi kabhi lag...Ravishji <br />Kmal ke lekhak hain app. Kabhi kabhi lagta hai "Kamal Khan" aur App dono Judowan lekhak hai. App dono ka lekhan sachmuch kamal hai. Waise Prasang-wash, Jhabua (M.P.) ke Bheel Beelala Samaj main ladke wale dahej dete hain aur use rasm ko jagda todna kahte hain.<br />umdda lekhan ke liye ek bar fir se aur dil se badhai."तिनका" https://www.blogger.com/profile/12013680023441566562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-16822556602378747082009-06-25T11:06:18.031+06:002009-06-25T11:06:18.031+06:00'काजू बर्फी' से रवीश जी खान भाई भी याद आ स...'काजू बर्फी' से रवीश जी खान भाई भी याद आ सकते हैं जिन्होंने भारत में आ पहली दफा किसी दोस्त के घर बर्फी खायी और दीवाने हो गए बर्फी के, यद्यपि उसके दाम काफी महेंगे लगे... <br /><br />रास्ते में एक दिन काफी सस्ते दाम में बर्फिनुमा साबुन दिख गया...<br />उन्होंने एक किलो (तब सेर होता था) खुश हो तुंरत खरीद लिया...<br />जब दोस्त उनके घर पहुंचा तो उसने पाया कि उनके मुंह से झाग निकल रही थी! <br />उन्होंने पूछा कि मियाँ क्या हो रहा है, तो वो बोले में पैसे खा रहा हूँ :)<br /><br />किन्तु हाल ही में जब किसी चैनल पर 'विशेष रिपोर्ट' देखी, दूध, घी आदि में मिलावट के बारे में, तो लगा कि हम भी तो खान भाई सामान आजकल, कलियुग में, साबुन ही खा रहे हैं - यह समझ कर कि हम देसी घी खा रहे हैं (फिर भी सूख क्यूँ रहे हैं?:)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-3515746173859244212009-06-25T09:38:20.942+06:002009-06-25T09:38:20.942+06:00क्या आप कभी टट्टी (शौचालय) में बैठ किसी लज़ीज़ खाने ...क्या आप कभी टट्टी (शौचालय) में बैठ किसी लज़ीज़ खाने अथवा भोजन का आनंद, या केवल उसकी कल्पना ही करते, या कर सकते, हैं? <br /><br />इसी प्रकार आरंभिक काल, कलियुग, में जब मानव ज्ञान केवल शून्य से पच्चीस प्रतिशत ही संभव है कोई कैसे निर्णय अथवा अनुमान भी लगा सकते हैं कि सतयुग में स्तिथि क्या रही होगी 'महान भारत' की जिसे केवल अमृत शिव ने ही अंततोगत्वा प्राप्त किया हो (और हम सब बाकि लोग ३३% ले पास होगये हों :)?JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-84595727661228505812009-06-25T08:51:15.388+06:002009-06-25T08:51:15.388+06:00सर इस अजीब कहानी के बारे में पहली बार पढ़ने को मिल...सर इस अजीब कहानी के बारे में पहली बार पढ़ने को मिला। वैसे दामाद तो हमेशा से ही अपनी ससुरालवालों का खून चूसने पर लगे रहते हैं, और इसकी शुरुआत तो रिश्ता लगने के साथ ही शुरु हो जाती है। और फिर ये सिलसिला कभी नहीं रुकता। शादी के बाद अगर लड़के की फ़रमाइश पूरी नहीं हो, तो फिर भगवान ही बचाए। वैसे भी ये हिदुस्तान है, परंपराएं यहां तरक्की का रास्ता रोकने में सबसे आगे रहती हैं। आखिर यही तो है मेरा देश महानअबयज़ ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-1024587585182088952009-06-24T16:23:19.470+06:002009-06-24T16:23:19.470+06:00रवीश जी. काफ़ी लम्बे समय से "हिन्दुस्तान"...रवीश जी. काफ़ी लम्बे समय से "हिन्दुस्तान" में आपके ब्लॊग के बारे मे देख रहा था. आज सोचा कि आपसे मुखातिब हुआ जाये. "कस्बा" वाकयी एक उम्दा अड्डा है. उमीद कर्ता हूं कि अब मैं भी इस अड्डे पर आता रहूंगा. --- मुईन शम्सी (दिल्ली) plz visit: www.moinshamsi.wordpress.comMoin Shamsihttps://www.blogger.com/profile/16201782290132870233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-11843638283694524802009-06-24T13:24:38.449+06:002009-06-24T13:24:38.449+06:00परंपरा को बदलने के लिए हिम्मत चाहिए ...मेरे घर में...परंपरा को बदलने के लिए हिम्मत चाहिए ...मेरे घर में ..पहले मेरे ननदोई के भाई ने ये परंपरा तोड़ी..एक रुपया न खुद लिया न बारातियों को देने दिया .ना कोई धूमधाम ..न दिखावा ...गिनती के चंद बाराती ..उनको देख कर मेरे ननदोई ने हिम्मत की ...फिर मेरे पति ने ....उनको देख कर मेरे भाई ने ...उम्मीद करती हूँ की ब्लॉग जगत के कुंवारे भी इसे पढेंगे और हिम्मत करेंगे ...परम्पराओं को तोड़ने कीशेफाली पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-75220262289046292482009-06-24T13:24:37.506+06:002009-06-24T13:24:37.506+06:00परंपरा को बदलने के लिए हिम्मत चाहिए ...मेरे घर में...परंपरा को बदलने के लिए हिम्मत चाहिए ...मेरे घर में ..पहले मेरे ननदोई के भाई ने ये परंपरा तोड़ी..एक रुपया न खुद लिया न बारातियों को देने दिया .ना कोई धूमधाम ..न दिखावा ...गिनती के चंद बाराती ..उनको देख कर मेरे ननदोई ने हिम्मत की ...फिर मेरे पति ने ....उनको देख कर मेरे भाई ने ...उम्मीद करती हूँ की ब्लॉग जगत के कुंवारे भी इसे पढेंगे और हिम्मत करेंगे ...परम्पराओं को तोड़ने कीशेफाली पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-14171714132218893092009-06-24T12:54:40.044+06:002009-06-24T12:54:40.044+06:00किसको क्या कहे साहब? हमारे कुछ मित्र जो कॉलेज के ज...किसको क्या कहे साहब? हमारे कुछ मित्र जो कॉलेज के जमाने में दहेज के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे, वही अब शादी कि उम्र होने पर बेशर्मी से कहते हैं की वो सब तो कहने की बातें थी, हम तो जितना मिलेगा उतना बटोरेंगे..<br />अब कोई इस तरह का उत्तर दे तो भला क्या कहें उससे?PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-38123394757370189112009-06-24T12:37:06.171+06:002009-06-24T12:37:06.171+06:00dahej pratha .......ek kuriti ye slogan 4th,5th cl...dahej pratha .......ek kuriti ye slogan 4th,5th class se padhte aa rahe hai lekin aj bhi is kuriti ke karandhaar ham hi bane hue hai .....ladki ko jyada nahi padhaya jata kyonki use sirf padhana hi nahi hai uske liye dahej bhi jodna hai ........aur jo ladko ko jyada padha dete hai kabil bana dete hai vo isi baat par dahej ki maang karne lagte hai ise itna padhaya hai uski kimat to vasulenge hi ............ek vigayapan dikhakar...... badhiya sandesh diya apneअति Randomhttps://www.blogger.com/profile/04443001003779463643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-28048849880352417202009-06-24T11:55:38.482+06:002009-06-24T11:55:38.482+06:00*****इतना तो कर ही दें कि जिसने दहेज लिया है, उसे ...*****इतना तो कर ही दें कि जिसने दहेज लिया है, उसे किसी न किसी तरह शर्म का अहसास करा दें। *****<br /><br />फिलहाल तो यह ब्लाग पर भी संभव नहीं लगता। मगर फिर भी......<br /><br />शीघ्र ही www.samwaadghar.blogspot.com पर पढ़िए व्यंग्य ‘‘आदरणीय जीजाजी’’।<br /><br />JC साहब की टिप्पणियों को पढ़कर राजेंद्र अवस्थी का ‘काल-चिंतन’ याद आ जाता है जिसे पढ़कर ‘कादम्बिनी’ के कुछेक उप संपांदक भी असहाय/पराजित मुद्रा में कंधे उचका देते थे। आभार।<br /> <br />Shambhu kumar said... <br />देश के कई हिस्सों में सुना है अभी भी लोग दहेज नहीं लेते... जैसे झारखंड में आदिवासी समाज के लोग <br /><br />फिक्र मत कीजिए, आदिवासियों को भी भाजपा ‘‘शिक्षित’’ कर रही है.....Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-82199059904390568252009-06-24T10:45:01.935+06:002009-06-24T10:45:01.935+06:00यदि लड़कियां चाहें तो दहेज प्रथा का अन्त हो सकता ह...यदि लड़कियां चाहें तो दहेज प्रथा का अन्त हो सकता है, लेकिन लड़कियां भी तो अपने से ज्यादा पढा-लिखा दूल्हा तलाशती हैं। आज मध्यम वर्गीय लड़कों का विवाह नहीं हो रहा और उच्च वर्ग का सौदा हो रहा है। हमारे यहाँ तो जामाता को दसवां ग्रह बताया है। बढ़िया पोस्ट, बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-63005838237285477032009-06-24T10:36:55.763+06:002009-06-24T10:36:55.763+06:00ravish ji aap ka likha ye blog maine abhi kuch din...ravish ji aap ka likha ye blog maine abhi kuch din pahle dekh ye blog aapke shoch aur vicharo ko darsata hai .syad kabhi kuch pad kar kisi ya mare hi dimag ke soch main badlab aa jaye<br />thax for your writingUnknownhttps://www.blogger.com/profile/04942801069520907774noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-84943788206889404932009-06-24T08:57:02.126+06:002009-06-24T08:57:02.126+06:00गुरू पुराना पोथा फेसबुक से ब्लॉग पर। दहेज कौन लेता...गुरू पुराना पोथा फेसबुक से ब्लॉग पर। दहेज कौन लेता है जी, सरकार पहले से ही चौकन्नी है। 1962में Anti Dowry Act बना दिया था। हमने दो अंग्रेजी में एस्से भी लिखा था डॉरी सिस्टम के खिलाफ। ग्यारहवीं क्लास में। एक कसरत थी ये, सालाना तौर पर कुछ एक ही टॉपिक परीक्षा में आते थे। उनमें हिट था ये। कहा गया है कि भारत संस्कृति पर चलने वाला देश है। लोग कानून से नहीं डरते तो इसका मतलब रिवायत निभा रहे हैं। भैया दुष्यंत कुमार को भी दहेज मिला था, शकुंतला से शादी करने के समय, और दहेज राजकुमार सिद्धार्थ को भी मिला था।मधुकर राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/18175900220847414275noreply@blogger.com