tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post4467525384305994054..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: आप अंग्रेज़ी सीखने के करीब पहुंच गए हैंravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-4197092038755741802010-06-17T20:47:35.804+05:002010-06-17T20:47:35.804+05:00ghun khaye sahteeron par barahkhadi vidhata baanch...ghun khaye sahteeron par barahkhadi vidhata baanche...phati bhit hai aur chaat hai chooti aale pe bistooiya naache isi tarah se dukhharn master gardhta hai adam ke saanche...............jai ho hum nahi sudhrab mackaleye ki aatma ko kitna santosh milta hogaझारखंडी आदमीhttps://www.blogger.com/profile/04883237008652446472noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40520057837021779802010-05-25T00:53:43.893+05:002010-05-25T00:53:43.893+05:00हमारे देश में सहेस पुरिया जैसे काफी लोग है जो हिंद...हमारे देश में सहेस पुरिया जैसे काफी लोग है जो हिंदी का प्रयोग करने को पिछड़ापण समझते है. शायद दलित के पिछड़ेपन से भी ज्यादा. वे यह भूल रहे है दुनिया में तेज़ रफ़्तार से तरक्की करने वाला चीन आज अपनी चीनी भाषा के दम पर समूची दुनिया को टक्कर दे रहा है. जिसके आगे अमरीका भी चीनी गुणगान कर रहा हैनई राहhttps://www.blogger.com/profile/16159793147449814073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-27610982483827418822010-05-21T23:35:29.644+05:002010-05-21T23:35:29.644+05:00सार्थक चिंतनसार्थक चिंतनदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-62072921768681780302010-05-21T08:18:12.418+05:002010-05-21T08:18:12.418+05:00आई कैन टाक इन इंग्लिश, आई कैन वाक इन इंग्लिश बिकाज...आई कैन टाक इन इंग्लिश, आई कैन वाक इन इंग्लिश बिकाज इंग्लिश इज ए बेरी फन्नी लैंग्वेज...यू सी सर व्हेन...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16885990187990290194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-28628598641024706992010-05-20T20:33:22.268+05:002010-05-20T20:33:22.268+05:00इंग्लिश सीखने का सबक शानदार रहा... आजकल DTH वाले भ...इंग्लिश सीखने का सबक शानदार रहा... आजकल DTH वाले भी सिखा रहे है.... सच है.... जय हो इंग्लिश मैय्या.arvindhttps://www.blogger.com/profile/12863923873130450241noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-80985716362600775652010-05-20T20:31:09.312+05:002010-05-20T20:31:09.312+05:00This comment has been removed by the author.arvindhttps://www.blogger.com/profile/12863923873130450241noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-30939225960168593532010-05-19T21:16:51.039+05:002010-05-19T21:16:51.039+05:00यानि हिंदी को नेस्ताबूत करने में अपना अमूल्य योगदा...यानि हिंदी को नेस्ताबूत करने में अपना अमूल्य योगदान देंगेमनोज खलतकरhttps://www.blogger.com/profile/08827924057674053734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-87881768696300955552010-05-19T21:12:03.552+05:002010-05-19T21:12:03.552+05:00लोग अपनी अयोग्यता, अज्ञान के कारण पीछे है और दोष ए...लोग अपनी अयोग्यता, अज्ञान के कारण पीछे है और दोष एक निरीह भाषा बेचारी हिंदी को दिया जा रहा है. हिंदी की हत्या की सुपारी ले रखी है. जयचंद और मीरजाफर अब लाखो की तादाद में है जो हिंदी भाषा को मिटाना चाहते है. हिंदी को मिटा कर आगे बढ़ना चाहते है.. परन्तु अपना अस्तित्व मिटा कर आने वाली पीढ़ी को क्या देंगे . अब हमें मिटने वाले न तो खेबर से आयेंगे ना दर्रा से वो तो हमी से ही आकर दूध का कर्ज चुकायेंगे....मनोज खलतकरhttps://www.blogger.com/profile/08827924057674053734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-44479532773457186442010-05-19T16:34:00.233+05:002010-05-19T16:34:00.233+05:00अंग्रेजोँ ने अपनी भाषा को विश्व भाषा बनाने के लिए ...अंग्रेजोँ ने अपनी भाषा को विश्व भाषा बनाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। उसे रोजी-रोटी से जोड़ा।<br />हमने उस तिलस्म को तोड़ने के लिए क्या किया?Ashok Singh Raghuvanshihttps://www.blogger.com/profile/05383337072337947484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-36460826619969682522010-05-19T14:20:44.359+05:002010-05-19T14:20:44.359+05:00रवीश भाई आज हिंदी के रोजगार भी अन्ग्रेजी के सहारे...रवीश भाई आज हिंदी के रोजगार भी अन्ग्रेजी के सहारे चल रहे है,हिंदी न्यू मीडिया को ही लीजिये,अपने सहयोगी अन्ग्रेजी वेब पोर्टल की खबरों को हिंदी में अनुवाद करके वेबसाइट पर चिपका दिया जाता है |awarahttps://www.blogger.com/profile/10934590300805841965noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-61942712546912168522010-05-19T12:44:26.477+05:002010-05-19T12:44:26.477+05:00चार-पांच सौ रुपए और पचास-साठ घंटे में अंग्रेजी ही ...चार-पांच सौ रुपए और पचास-साठ घंटे में अंग्रेजी ही सीखी जा सकती है....अगर यही रफ्तार चलती रही तो पता नहीं हिन्दुस्तान कब इंग्लिस्तान बन जाए....खैर हिन्दी सीखने के लिए कितने खर्च करने पड़ेंगे कुछ पता चले तो बताइएगा जरुर....SACHIN KUMARhttps://www.blogger.com/profile/07876633469215289831noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-67372910689853092522010-05-19T12:09:09.471+05:002010-05-19T12:09:09.471+05:00Bahut he sundar lga...Bahut he sundar lga...D.P. Mishrahttps://www.blogger.com/profile/03670379765952413028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-5990173494119624162010-05-19T11:41:22.497+05:002010-05-19T11:41:22.497+05:00किसी भी दिन दिल्ली के किसी भी न्यूज़ चैनल को फोन प...किसी भी दिन दिल्ली के किसी भी न्यूज़ चैनल को फोन पर या ई-मेल करके आप नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को हो रही असुविधा के बारे में बताने की कोशिश करें तो उनमें से कोई भी आपकी बात नहीं सुनेगा. वह आपके ऊपर हंसेगे, आपका मजाक उड़ायेंगे और दो चार इधर उधर की बातें कर के फोन रख देंगे. आपके ई-मेल का जवाब तो छोडिये, पावती भी नहीं आएगी. वे कभी कुछ नहीं करेंगे. उनके पास मूर्खतापूर्ण बे सिर-पैर की ख़बरों का खज़ाना है(दीपिका का नया प्रेमी कौन है, देखिये आज रात साढ़े नौ बजे), उनके पास कुन्द्जहन पत्रकारों की अनाप-शनाप तनख्वाह पाने वाली टीम है, और उन्हें आम आदमी की तकलीफों से जुड़ी खबर की जरुरत नहीं है. 15 मई की उस भयानक दोपहर से पहले तक भी, जब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दो यात्री भगदड़ में कुचल कर मारे गए और लगभग चालीस घायल हो गए, कोई भी चैनल आपकी बात नहीं सुनता. जनता के प्रति जवाबदेह माने जाने वाले चैनलों ने इस हादसे के होने का इंतज़ार किया. और जैसे ही यह हादसा हुआ, हर चैनल ने अपनी लाइव खबर में अपने को जनता का सबसे बड़ा हमदर्द दिखाना शुरू कर दिया. उन्होंने पुलिस और प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया, जो सही था. मगर उनमें से किसी के पास अपने गिरेबान में झांक कर देखने का ना तो साहस था और ना ही समझ.<br /><br />शमीम उद्दीन, वसुंधरा, गाजियाबादAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-9540820627288615562010-05-18T22:41:45.309+05:002010-05-18T22:41:45.309+05:00आजकल टाटा स्काय पर भी अंग्रेजी सिखाने वाले विज्ञा...आजकल टाटा स्काय पर भी अंग्रेजी सिखाने वाले विज्ञापन आरहें हेँविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64617108545376649582010-05-18T22:39:25.009+05:002010-05-18T22:39:25.009+05:00जी बहुत सही जा रहें आप....रिपोर्ट भी देखी हैजी बहुत सही जा रहें आप....रिपोर्ट भी देखी हैविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-80379021834032282382010-05-18T19:40:47.427+05:002010-05-18T19:40:47.427+05:00मुझे तो आखिर वाली फोटो सही लगी कि अंग्रेजी वाले ही...मुझे तो आखिर वाली फोटो सही लगी कि अंग्रेजी वाले ही दहाड़ेंगे.....बाकि हिंदी वाले तो मिमियाते है....क्योंकि अंग्रेजी वालों से कौन पंगा ले हो सकता है कि कहीं गिटर पिटर में गरिया देशशांक शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00569926392676984136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-244676675104314132010-05-18T17:43:20.715+05:002010-05-18T17:43:20.715+05:00raveeh ji aa[ki ye report tv me dekha bahut achchi...raveeh ji aa[ki ye report tv me dekha bahut achchi lagi....Harshvardhanhttps://www.blogger.com/profile/03416011520058251827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-32637545655809561102010-05-18T06:01:52.284+05:002010-05-18T06:01:52.284+05:00यूरोप में जब अंग्रेजी नहीं पहुंची थी तो एक चुटकुला...यूरोप में जब अंग्रेजी नहीं पहुंची थी तो एक चुटकुला पढ़ा था: <br />स्विटज़रलैंड के एक होटल में रिसेप्शनिस्ट के पीछे अंग्रेजी में दीवार पर लिखा था 'यहाँ सब भाषाएँ बोली जाती हैं'... <br />यह पढ़ एक अंग्रेज खुश हो अंग्रेजी में धडाधड कुछ बोला, जो रिसेप्शनिस्ट की समझ नहीं आया :( <br />लेकिन उसने टूटी=फूटी अंग्रेजी में उसे समझा दिया कि उस होटल में संसार में बोले जानी वाली हर भाषा के व्यक्ति रहने आते थे और इस प्रकार सारी भाषायें उनके द्वारा ही वहां बोली जाती थीं... <br /><br />उपरोक्त 'भारत' नामक 'होटल' पर भी लागू नहीं होता है क्या?<br /> <br />यह तो दिल्ली जैसे शहरों की विशेषता है कि अभी भी अंग्रेजी का जायका यहाँ कायम है, भले ही इसे गुलामी अथवा मजबूरी कहलें या सहूलियत,,, और कई वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत में ही नहीं अपितु लगभग पूरे संसार में राज्य किया... और सच तो यह है कि चीन, कोरिया, आदि देशों में भी अब अंग्रेजी सीख रहा है आम आदमी, क्यूंकि आज आवश्यक हो गया है संसार में एक ही भाषा के उपयोग किये जाने की...जिसे कोई 'काल का प्रभाव' भी कह सकता है (?)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-66800692394260844942010-05-18T05:55:12.559+05:002010-05-18T05:55:12.559+05:00ye sanch hai ki English behad jaruri hain. Hamara ...ye sanch hai ki English behad jaruri hain. Hamara padosi China ka udaharan hamare samne hain. Emglish sikhane ki chatpatahat wahan saaf najar aati hai. waha angreji sikhane wale teacher etane mahange hai ki unhone ek naya rasta khoj liya hain. wo teacher ko apane yahan bulate hain, apene ghar me rakhate hain, unake khane pine aur sahar ghumane ka inejam karate hain aur badale me apse angreji sikhate hai. ye achchi baat lagati hain. mujhe lagata hain ki is GURU-SISHYA parmpara me wo badhiya tarike se shikh payenge.China me majburi hain. wahan english me paathya samagri maujud nahi hain.<br />Hamare yahan ye majburi nahi hain, par hame jaldbaji hain, hame koi ghol kar pilane wala chahie, isiliye chay(tea) ki dukano ki tarah har nukkad me ye dukane khul gayi hain.Brijeshhttps://www.blogger.com/profile/01390075132452794621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24555221590744911142010-05-17T23:06:18.813+05:002010-05-17T23:06:18.813+05:00mubaarqbaad!mubaarqbaad!आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-7429229589775228972010-05-17T20:49:39.031+05:002010-05-17T20:49:39.031+05:00धिस काईंड आफ भेलू एडेड परोगराम शुड भी टेलिकासटेड आ...धिस काईंड आफ भेलू एडेड परोगराम शुड भी टेलिकासटेड आलभेज....बिकास यू आर गिबिंग अस भेरी गुड कनटेंपरेरी कंनटेंट....<br /><br /> मेरी इस ठिठोली से बुरा न मानिएगा...यह उस धूसर देहात की बोली है जिसमें मैं लोटता पोटता रहा हूँ :) <br /><br /><br /> बढिया रिपोर्टिंग है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-11049488389565077612010-05-17T20:37:52.030+05:002010-05-17T20:37:52.030+05:00namaskaar!
angrejii aur hindi kii asaliyat par aap...namaskaar!<br />angrejii aur hindi kii asaliyat par aapakaa yaha blog achhaa hai.<br /><br />main chaahakar bhii hindi men nahii likh paa rahaa huu.<br /><br />kament bksaa men hindi kaise likhate hain?<br /><br />namaskaar.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14573657526655701999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-27583353012518537052010-05-17T20:30:02.559+05:002010-05-17T20:30:02.559+05:00एक बार फिर छा गए आप !
पर एक रिपोर्ट आप इस बारे मैं...एक बार फिर छा गए आप !<br />पर एक रिपोर्ट आप इस बारे मैं भी बनाये की इन झटपट छाप इंग्लिश स्कूलों से निकल कर कस्बाई <br />छात्रों का क्या वाकई में लाभ हो रहा है ? या फिर पंखा को फैन बोलने के बाद जनता पहले जैसे ही भटक रही है |Sachin Agarwalhttps://www.blogger.com/profile/16099135914440250374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-61854844310040231232010-05-17T18:14:50.301+05:002010-05-17T18:14:50.301+05:00आपकी रिपोर्ट एनडीटीवी पर देखा , हमेशा की तरह अच्छी...आपकी रिपोर्ट एनडीटीवी पर देखा , हमेशा की तरह अच्छी लगी । अंग्रेजी शासक वर्ग की भाषा है । भारत मे यह केवल एक भाषा या कम्युनिकेशन का माध्यम भर नहीं है यह आप को सामाजिक स्टेटस देती है । भारत मे जाति वर्ण ही सब कुछ निर्धारित करता है , अंग्रेजी आप के उस जाति की हीनता ( यदि हो तो ) से छुटकारा दिलाती है । क्योंकि यह आपको सीधे शासक वर्ग से जोड़ती है । रवीश जी ध्यान दीजियेगा , हमारे देश मे हमेशा दो भाषायें रहीं एक शासक वर्ग की ( संस्कृत और फ़ारसी ) दूसरी स्थानीय बोल चाल की आम आदमी की । <br /><br />अंग्रेजी रोजगार से भी जुड़ी है , क्योंकि शासन मे थोड़ा बहुत उत्तर के राज्य हिंदी मे काम करते हैं परन्तु बिजनेस की भाषा तो पूरे देश की अंग्रेजी ही है । <br /><br />मेरा मानना है कि यदि हिन्दी रोजगार या शासन की भाषा बन जाये तो अंग्रेजी का वही हाल हो जायेगा जो आज फ़ारसी और संस्कृत का है । लेकिन यहां हिंदी का मुकाबला अपनी देशी बहनों से है , अन्य प्रदेश के लोग हिंदी को नही अपनाना चाहते , हां अंग्रेजी से उन्हे कोई गिला नहीं है । आज की स्थिति यही है भविष्य मे क्या होगा कौन जाने ।विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-5872664767616893902010-05-17T18:11:48.037+05:002010-05-17T18:11:48.037+05:00रवीश जी
मैं अरसे से आपका प्रशंसक हूँ. ndtv पर लग...रवीश जी <br />मैं अरसे से आपका प्रशंसक हूँ. ndtv पर लगातार , सामाजिक सरोकारों से जुड़े. आपके द्वारा प्रस्तुत फीचर्स को देखता हूँ . आप अक्सर समाज में घट रही विसंगतियो पर ध्यान तो आकर्षित करते ही हैं साथ ही अव्मूलियित होते हमारे समय और जीवन के प्रति एक सकारात्मक सोच देते हैं , ऐसे समय में जब अनेक पत्रकार बाज़ार की मांग के चलते ढोल पीट कहानिओं को चिल्ला चिल्ला कर प्रस्तुत करते हैं एवं उन परीकथाओं के माध्यम से, जगाने का दावा कर हमारी सोच को सुलाने में प्रयत्नशील हैं आप बहुत ही सहज तरीके से अपनी बात कहते हैं जो देखने वाले को यथार्थ का अनुभव करता है <br />अभी आज ही मैंने अंग्रेजी बेचने वालों पर आपका फीचर देखा और लगा की पहाड़ गंज जैसे फीचर्स को बहुत पसंद करने के बावजूद आपतक , अपने आलस्य के चलते , अपनी बात न पहुंचा सका , सोचा आज तो कुछ कह ही दूँ. सच मानिये आपकी प्रशंसा में जो कहना चाह रहा हूँ उसके लिए शब्द कम ही हैं .<br />मैं व्यंग्य का विद्यार्थी हूँ इसलिए - दिल्ली शहर के भीतर होर्डिंग देखें तो लगेगा कि लंदन में हैं।- जैसी सशक्त व्यन्गोक्तिया पढ़कर लगता है जैसे कोई मन की बात कर रहा है <br />एक बार पुनः बधाई <br />प्रेम जनमेजयप्रेम जनमेजयhttps://www.blogger.com/profile/17737952068937436374noreply@blogger.com