tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post4278880071375578314..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: दैनिक भास्कर के रघुरामन और चौकसेravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-72563565671894972922010-12-16T10:35:15.748+05:002010-12-16T10:35:15.748+05:00सिर्फ इन दोनों के कारन ही दैनिक भास्कर खरीदता हूँ ...सिर्फ इन दोनों के कारन ही दैनिक भास्कर खरीदता हूँ और कुछ पढ़ा जाये या न इनके लेख हर हाल में पढने का समय निकल लेता हूँ. आहा जिंदगी से जब से यशवंत व्यास जी गए हैं वो बात ही नहीं रही. किसी भी संसथान के लिए कुछ लोग ही मील का पत्थर होते हैं.<br />गुरविंदर मित्तवाgurvinder mittwahttps://www.blogger.com/profile/09850705321182877463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-90251471962542919302009-10-27T12:13:28.215+05:002009-10-27T12:13:28.215+05:00me jab bihar se delhi aya to hindustan aur jagran ...me jab bihar se delhi aya to hindustan aur jagran padne ki hi adat thi. yaha akar bhaskar se parichay hua or saath hi in do pratibhao se bhi... aj bhaskar keval inhe do logo ke karan padhta hu.. pichle do barso se adat barakrar hai age bhi rahegi....kalpana lokhttps://www.blogger.com/profile/01081218720099126174noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-23231599635062890832009-10-18T23:45:16.016+05:002009-10-18T23:45:16.016+05:00यह महज इत्तफ़ाक है कि पत्रकरिता में आने से पहले जिस...यह महज इत्तफ़ाक है कि पत्रकरिता में आने से पहले जिस पत्रकार से पहली बार मिलकर इस फ़िल्ड में आने का निश्चय किया, वह हैं जयप्रकाशजी. हां यह अलग बात है कि उन्होंने जो दिशा अपने ड्राइंग रूम में बैठकर दिखाई थी,वह मैने नहीं किया. दूसरा दिलचस्प मामला यह है कि जामिया से पास करने के बाद रघुरामनजी ने भास्कर में पहली नौकरी दी थी.<br />हालांकि दोनों के लेखन का का कायल हमेशा रहा है और अब तो व्यक्तित्व का भी.विनीत उत्पलhttps://www.blogger.com/profile/10187277796958778493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-59466732766741386332009-10-18T15:11:58.776+05:002009-10-18T15:11:58.776+05:00इसमें छपने वाली संडे को जाहिदा हीना को भी पढ़ना जी....इसमें छपने वाली संडे को जाहिदा हीना को भी पढ़ना जी...बहुत शानदार है।Kulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-55369488290164428012009-10-15T21:56:42.528+06:002009-10-15T21:56:42.528+06:00सुशांत
सहमत हूं। दोष से कौन मुक्त है। हम भी नहीं...सुशांत <br /><br />सहमत हूं। दोष से कौन मुक्त है। हम भी नहीं। लेकिन जो अच्छा रच रहा है अब उसी में मन रमाने का जी करता है। कुछ सीख लिया जाए। आप लोग अच्छा लिखते हैं,पत्रकारिता में अब उनकी बात कीजिए तो बहुत कुछ कर रहे हैं।ravish kumarhttps://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-21069260305397577022009-10-15T18:13:35.357+06:002009-10-15T18:13:35.357+06:00बात तो बरोबर सही है कि अभी तक टीवी चैनलों मे कमसे ...बात तो बरोबर सही है कि अभी तक टीवी चैनलों मे कमसे कम मसाज पार्लर का विज्ञापन नहीं आया है, जैसा कि बड़े-2 स्वनामधन्य संपादकों और संपादिकाओँ के अखबारों में रोज ही दिखता है। हां, टीवी वाले मसाज पार्लर पर पड़ने वाले छापे के विजुअल को जरुर लूप में डालकर दिखाते हैं। अब यहां किसको दोष दिया जाए। जो अखबार वाले टीवी वालों को भूतप्रेत और ग्रह नक्षत्र की बात पर पानी पी-पी कर गालियां देते हैं उनसे कोई पूछे कि राशिफल का कालम कितने दशक पुराना है। लेकिन एक बात है कि अच्छे लोगों की तारीफ करनी ही चाहिए। चौकसेजी और रघुरामनजी को मैने खूब पढ़ा है-कई बार लगता है कि एक कारपोरेट का बंदा कैसे इतना उम्दा लिखता है-वो भी हिंदी अखबार के लिए!(मुझे जहांतक जानकारी है, रघुरामनजी भास्कर के पेरोल पर हैं कोई बाहर से संबद्ध नहीं)दूसरी तरफ चौकसेजी के लेखों की बात की जाए तो हमेशा समाजिक सरोकार ढूंढ़ती उनकी कलम हमें एक अलग दुनिया में ले जाती है-जहां फिल्म का मतलब खालिस मनोरंजन नहीं होता, वो तो कई मुद्दों को समेटकर चलने वाला आख्यान होता है! रवीशजी इस पोस्ट के लिए साधुवाद स्वीकार करें।sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-8478042719926524132009-10-15T16:00:08.036+06:002009-10-15T16:00:08.036+06:00रविश जी अभी तक तो मैने इन्हे पढ़ा नही है जैसे ही प...रविश जी अभी तक तो मैने इन्हे पढ़ा नही है जैसे ही पढ़ लूंगा तो कुछ न कुछ तो ज़रुर कहूंगा कि कैसे हैशशांक शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00569926392676984136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40467112737062388972009-10-15T13:06:44.717+06:002009-10-15T13:06:44.717+06:00This comment has been removed by the author.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64033304100863176982009-10-15T10:27:35.831+06:002009-10-15T10:27:35.831+06:00मैं ही उल्लू निकला जो इनके बारे में नहीं जान पाया।...मैं ही उल्लू निकला जो इनके बारे में नहीं जान पाया। लेकिन कई महीनों से मैं भी इन दोनों को पढ़ने लगा। मैं भी भास्कर इनके कारण ही खरीदता हूं। देर से जानने का जो सुख है वो बहुत दिनों से जानने से ज़्यादा होता है।ravishndtvhttps://www.blogger.com/profile/02492102662853444219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-312579982869438062009-10-15T10:26:36.005+06:002009-10-15T10:26:36.005+06:00एन. रघुरामन से संबंधित ये पोस्ट भी पढ़ें -
http:/...एन. रघुरामन से संबंधित ये पोस्ट भी पढ़ें -<br /><br />http://raviratlami.blogspot.com/2008/01/blog-post_25.html<br /><br />इसमें उन्होंने घटिया ईमेल फारवर्ड चुटकुले का रूप रंग संवार कर किस तरह मैनेजमेंट का फंडा बताया था और जिस पर उन्हें बाद में माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी.<br /><br />जब आप रोज फंडे देने लगेंगे तो मसाला कहाँ से मिलेगा?<br /><br />वैसे, रघुरामन जी के फंडों का मैं भी नियमित पाठक हूं. मसाला चाहे रीसायकल्ड ही क्यों न हो... :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-47994775470913523052009-10-15T05:08:32.529+06:002009-10-15T05:08:32.529+06:00बड़े भाई आप कोयले की खान से हीरे खोज लाते है बाजेव...बड़े भाई आप कोयले की खान से हीरे खोज लाते है बाजेवाली गली के मालिक के बारे में जानकारी दी तो मेरा इतिहास संरक्षण वाला भाव और छलांगें मारने लगा और चीजों को रखने का सबूर भी केशवानी जी से सीख लियाKK Mishra of Manhanhttps://www.blogger.com/profile/11115470425475640222noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-55626232853692573102009-10-15T02:52:56.700+06:002009-10-15T02:52:56.700+06:00apan to kai salo se pad rahe hain
dono hi bahut ...apan to kai salo se pad rahe hain <br /><br />dono hi bahut shandar likhte hainराजीव जैनhttps://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-76075955147798019462009-10-15T00:35:55.843+06:002009-10-15T00:35:55.843+06:00चौकसे जी की समीक्षायें आम फिल्मी समीक्षाओं की भाषा...चौकसे जी की समीक्षायें आम फिल्मी समीक्षाओं की भाषा और 'गॉसिपबाज़ी' से हट कर है । जयप्रकाश जी पढ़े-लिखे व्यक्ति है और उनमे दायित्व-बोध भी है इसी लिये वे पसन्द किये जाते है । रघुरामन जी रोचक शैली मे बड़े बड़े ' फंडाओं' को प्रस्तुत करने की क्षमता रखते है इसीलिये दोनो पसन्द किये जाते है । वास्तविकता यह है कि बहुत से पाठक इन्हे पढने के लिये ही अखबार खरीदते हैं ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-55124992937634160102009-10-14T23:05:02.071+06:002009-10-14T23:05:02.071+06:00आप सही कहते हैं रघुरामन साहब और चौकसे जी जिस पृष्ठ...आप सही कहते हैं रघुरामन साहब और चौकसे जी जिस पृष्ठ पर प्रकाशित होते हैं, उसमें जान फूंक सी जाती है। मैं पत्रकारिता के साथ-साथ एग्जीक्यूटिव कोर्स के तहत प्रबंधन की डिग्री में अध्ययन कर रहा हंू। आपको जानकर ताज्जुब होगा, रघुरामन साहब के संदर्भ हमारी प्रबंधन कक्षाओं में अकसर चर्चा में रहते हैं। साथ ही उनके लेखों के संग्रह की डिमांड प्रबंधन शिक्षा से ताल्लुक रखने वाले प्रोफेसर्स की भी उतनी ही रहती है, जितनी की विद्यार्थियों की। वे विद्यार्थी जो फ्रेशर्स नहीं है, बल्कि अपनी-अपनी कंपनियों में अच्छे ओहदों पर हैं। जिनमें से कई तनख्वाह के रूप में जयपुर में रहकर लाखों रुपए महीना पाते हैं। कई अपनी कंपनी के रीजनल हैड हैं। लेकिन सब के सब रघुरामन जी के फैन हैं। आपने सही मुद्दा उठाया है। शुक्रिया।<br /><br />बेहतरीन लेखन को सब सलाम करते हैं। रघुरामन जी को हमारे आर.ए.पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के सभी पसंदकर्ताओं की ओर से सलाम।Publisherhttps://www.blogger.com/profile/01006958398741952904noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-79497097642640191832009-10-14T22:29:50.824+06:002009-10-14T22:29:50.824+06:00बिलकुल सही कह रहे हैं आप जयप्रकाश जी फिल्मों के बह...बिलकुल सही कह रहे हैं आप जयप्रकाश जी फिल्मों के बहाने समाज के स्याह पहलु को उजागर करने वाले एक मात्र फिल्म समीक्षक हैं, उनके विषय में जितना कहा जाये कम है....रामकुमार अंकुशhttps://www.blogger.com/profile/01532826001976862972noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-50021069537489676532009-10-14T22:23:34.111+06:002009-10-14T22:23:34.111+06:00बहुत गरिया लिये हम सब यारी और दिलदारी में।बहुत गरिया लिये हम सब यारी और दिलदारी में।Jayram Viplavhttps://www.blogger.com/profile/16251643959205358549noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-25968094080595865062009-10-14T22:21:16.187+06:002009-10-14T22:21:16.187+06:00रघुरामन जी को प्रतिदिन पढ़ता हूँ बहुत सटीक चिन्तक ...रघुरामन जी को प्रतिदिन पढ़ता हूँ बहुत सटीक चिन्तक हैं आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-30760640219500977692009-10-14T22:07:26.558+06:002009-10-14T22:07:26.558+06:00रघुरामन जी को ज्यादा पढना नहीं हुआ... पर जे प्रकाश...रघुरामन जी को ज्यादा पढना नहीं हुआ... पर जे प्रकाश चौकसे को पढना सुखद लगता है...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40268969598194712222009-10-14T21:55:34.225+06:002009-10-14T21:55:34.225+06:00रघुरामन जी और चौकसे जी के लेखों में एक जीवन दर्शन ...रघुरामन जी और चौकसे जी के लेखों में एक जीवन दर्शन भी छिटका होता है,...दैनिक भास्कर के दोनों मोतियों को ठीक पहचाना आपने ,,मै भी इनके लेखन का कायल हूँ...Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.com