tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post1990242983223638983..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: क्या आपका संघर्ष एक्सक्लूसिव है?ravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64592234549334493102009-08-17T12:15:23.541+06:002009-08-17T12:15:23.541+06:00रविश जी,
संघर्ष नहीं, अभिशप्त कहिए।
जब काम आपकी इच...रविश जी,<br />संघर्ष नहीं, अभिशप्त कहिए।<br />जब काम आपकी इच्छाओं के विरुद्ध लगने लगे...जब काम स्वाभाविक और लोग अस्वाभाविक हो जायें...जब आप जैसे लोग काम को काम जैसे करने का उपदेश झाड़ने लगें...जब आदमी के सपनें उसे हास्यास्पद बनाने लगें...जब आपकी ब्लॉगीय डकार किसी को निराश करने लगे...बहुत मन करता है कहने को कि आप का काम आप या आप जैसों को मुबारक...लेकिन कोई विकल्प(हैसियत भी कह सकने में अब कोई संकोच नहीं रह गया) नहीं...अजय यादवhttps://www.blogger.com/profile/01904765264212725735noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-73404228352773180022009-08-14T01:00:46.237+06:002009-08-14T01:00:46.237+06:00I think the word 'sangharsh' has been gros...I think the word 'sangharsh' has been grossly misused over the years. At the time of independence, this word had a very positive connotation. It was often used to connote our "Struggle for Independence", for instance. Our existentialist search for a 'good and meaningful' life or the urge to 'achieve' is often misconstrued as 'struggle' today...Thank You Sir for deconstructing this concept...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08861519177377527695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-21309143921910850422009-08-14T00:59:18.452+06:002009-08-14T00:59:18.452+06:00I think the word 'sangharsh' has been gros...I think the word 'sangharsh' has been grossly misused over the years. At the time of independence, this word had a very positive connotation. It was often used to connote our "Struggle for Independence", for instance. Our existentialist search for a 'good and meaningful' life or the urge to 'achieve' is often misconstrued as 'struggle' today...Thank You Sir for deconstructing this concept...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08861519177377527695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-72583376233573265082009-08-09T09:22:38.646+06:002009-08-09T09:22:38.646+06:00apki tarah mai bhi sawal ki talash kar raha hu ..m...apki tarah mai bhi sawal ki talash kar raha hu ..mil jayega to jaroor bata dungaRavi Mishrahttps://www.blogger.com/profile/11351147942648063673noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-60142955738560072972009-08-08T18:47:39.328+06:002009-08-08T18:47:39.328+06:00डॉ .अनुराग said...
रिक्शा वाले ओर मजदूर बेचारे ...डॉ .अनुराग said... <br /><br /><br />रिक्शा वाले ओर मजदूर बेचारे बिना ये जाने की संघर्ष क्या है पूरी उम्र उसी में गुजार देते है ...इस दुनिया में नोर्मल बने रहना भी संघर्ष है....ओर कुछ लोगो के लिए रोज जीना भी.....<br /><br />ye baat kuchh jami..Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-65328908620677071882009-08-08T16:07:59.824+06:002009-08-08T16:07:59.824+06:00रवीश भइया संघर्ष करना सीखिए। मैं भी अब तक समझता था...रवीश भइया संघर्ष करना सीखिए। मैं भी अब तक समझता था कि संघर्ष कर रहा हूं। बेहतर एंकर बनने के लिए संघर्ष , बेहतर बूलेटिन प्रोड्यूसर बनने के लिए संघर्ष, पहचान के लिए संघर्ष, और न जाने कितने संघर्ष। पर सच से साबका पडा तो गुमान काफूर हो गए। अब आप संघर्ष करें, मैं देख-पढ के सीख लूंगा।<br /> असित नाथ तिवारी, बेतियाASIT NATH TIWARIhttps://www.blogger.com/profile/00088572745446527981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-48922079811429921602009-08-08T13:56:53.216+06:002009-08-08T13:56:53.216+06:00हमारे शहर के कई साहब जादे भी टोयटा गाडी में अलन ...हमारे शहर के कई साहब जादे भी टोयटा गाडी में अलन सोली की शर्ट पहनकर कहते है स्ट्रगल कर रहे है..<br />शुक्र है की संघर्ष का पेटेंट पत्रकारों ओर साहित्यकारों ने नहीं करवाया .वर्ना कई टेंडर खुलते ओर कई संघर्षकारी रोज सेंसेक्स की माफिक ऊपर नीचे होते...औसत हिन्दुस्तानी जब तक अपना काम नहीं निकलवा लेता .संघर्ष में है ऐसे इलुसन में ही रहता है ...सॉफ्टवेयर इंजिनियर हो.या किसी सरकारी महकमे का क्लर्क ....अलबत्ता इस वर्ड का इस्तेमाल वो नहीं करता ...क्यूंकि इसका कोपी राइट पहले साहित्यकारों के पास था .अब सुना है पत्रकारों के पास भी है....<br />रिक्शा वाले ओर मजदूर बेचारे बिना ये जाने की संघर्ष क्या है पूरी उम्र उसी में गुजार देते है ...इस दुनिया में नोर्मल बने रहना भी संघर्ष है....ओर कुछ लोगो के लिए रोज जीना भी.....पर छोडिये प्रमोद जी कहते है न....कुदाल उठाये बगैर कैसे मिलेगा ..पर क्या खोदोगे वो भी जरूरी है.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-70307929813799973362009-08-08T13:56:38.231+06:002009-08-08T13:56:38.231+06:00aap ke post ko keval patrakarita ke khache me phit...aap ke post ko keval patrakarita ke khache me phit karke dekhana thik nahi hai. lagbhag har kisi ki yahi dasata hai.<br />aakhirkhar koi kisliye 'sangharsh' kar raha hai ya yesa sochata hai. maine pahali baar aap ko pada. Mai khush hu ies liye.Nemish Hemanthttps://www.blogger.com/profile/10683661974496091426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-19199556353661592972009-08-08T12:21:54.149+06:002009-08-08T12:21:54.149+06:00क्यों संघर्ष की बीन बजा रहे हो रवीश? कुछ तो छोड़ो ...क्यों संघर्ष की बीन बजा रहे हो रवीश? कुछ तो छोड़ो उनके लिए जो चप्पल घिसते हुए रोड मास्टरी करने को संघर्ष कहते हैं और कहते हैं उनके अनुयायी होंगे और वो उनके चप्पल घिसड़ मार्ग को अपना मक्का कहेंगे। <br />संघर्ष की खूब छिछालेदर की है, क्या होगा उनका जो खुद की पारखी नज़र की जमकर तारीफ करते हुए कहते हैं कि इतने साल का अनुभव संघर्ष से आया है। <br />सब संघर्ष कर रहे हैं, रवीश नहीं करते। इमानदारी यही है। भैया मुझे खुद संघर्ष साला भेडिया नज़र आता है, जो पसलियों का मास नोचकर खाने की जुगत में रहता है। सिगरेट पहले ही उस मास को नोच रही है, अब संघर्ष से भी नोचवाएं। नहीं। मैं खुद रोटी का जुगाड़ करने के लिए काम करता हूं। दाम की लालसा मुझे भी रहती है, हर बार लगता है कि कम मिल रहा है। जब कोई पीछे बंध जाएगी तो और ज्यादा हाथ पैर मारेंगे।<br />संघर्ष क्या है। बाइस परिभषा पढ़ीं। हम तो यही कहेंगेष संघर्ष छोडो संन्यास की राह पर निकलो, मिला ठीक नहीं मिला फिर भी ठीक। हंसते रहो तो संघर्ष से थोबड़े पर आने वाली शिकन की ऐसी तैसी।मधुकर राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/18175900220847414275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-69793378073600489202009-08-08T02:44:18.310+06:002009-08-08T02:44:18.310+06:00मैं आपको समझाने का संघर्ष नहीं कर सकता ..............मैं आपको समझाने का संघर्ष नहीं कर सकता .............आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq'https://www.blogger.com/profile/01695360902881473207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-19355894254772570792009-08-08T01:57:52.282+06:002009-08-08T01:57:52.282+06:00संघर्ष को ठीक-ठीक पहचानने के लिए भी बड़ा संघर्ष है!...संघर्ष को ठीक-ठीक पहचानने के लिए भी बड़ा संघर्ष है! अब देखिये न आपको और मुझे लेकर अबतक 22 लोग (टिप्पणियों के सहारे) इस संघर्ष में लग गये हैं।SHASHI SINGHhttps://www.blogger.com/profile/15088598374110077013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-10943911322994810802009-08-08T00:57:28.714+06:002009-08-08T00:57:28.714+06:00darasal, ravish ji dusaron se sunnana chate hain k...darasal, ravish ji dusaron se sunnana chate hain ki unhone jo kiya wo sangharsh hai. vaise jaha tak aap pahuche hain ravish ji wo apka sangharsh hi hai. agar yeh zahir taur per apko nahi maloom to aap mahan ki category me chale jate hain agar aap jante hain to bhi aur use mante nahi to bhi aap mahan hi hain lekin aap mankar bhi kahalwana chathe hain to bhaiya aap maje ue patrkar hai. ama khabre nikal rahe hain kya. vaise apke sangarsh ko mera salaam.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16885990187990290194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64132835815305905982009-08-08T00:56:22.607+06:002009-08-08T00:56:22.607+06:00Struggle is started the moment you are conceived i...Struggle is started the moment you are conceived in your mother's womb which continues till you die,of course there are breaks in between ,but the eternal struggle for various type of things keeps on going.Amitabh Bachchan is struggling still with his growing age and Bill Gates is struggling with his own set of problems.<br /><br />WE would die the moment we don't struggle.Struggle creates challenges and new discoveries.<br /><br />To be human is to struggle.<br /><br />regards,<br />PragyaUnknownhttps://www.blogger.com/profile/10887632886503253994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24594379664956659092009-08-08T00:25:21.634+06:002009-08-08T00:25:21.634+06:00संघर्ष लड़ते रहने की जिद है, कई बार किसी वजह से,कई ...संघर्ष लड़ते रहने की जिद है, कई बार किसी वजह से,कई बार बिना वजह!<br />काम करना एक चीज़ है,संघर्ष करना दूसरा पहलू है!<br />किसी सीमा पर जब कोई जवान लड़ता है,तो गोलियां चलाना, रणनिति बनाना उसका काम है! पर लड़ाई में जीतने की उसकी जिद उसका संघर्ष है!<br />२५००/- की नौकरी उसका काम हो सकती है,पर अपने बीबी-बच्चो, माँ बाप का पेट भरना उसका संघर्ष है!<br />काम पर जाना मज़बूरी हो सकती है, पर 50 आदमियों के साथ खिरकी पे लटक कर ज़िन्दगी दाव पर लगा के वहां पहुंचना, उसका संघर्ष है!<br />80 साल की उम्र में मरना एक अच्छी मौत हो सकती है,पर अपने पौते की शादी देखने के लिए जिंदा रहने की उसकी ख्वाइश, उसका संघर्ष है!<br />सूखे के बाद भी,भूखे मरने की हालत के बावजूद,अगले साल फिर से खेती करना उसका संघर्ष है!<br />अब यह भी ज़रूरी नहीं की जीने के लिए संघर्ष १०० फीसदी जरुरी है!<br />रविश जी, आप को अगर लगता है की आप ने संघर्ष नहीं किया तो आप खुश नसीब है!<br />कई बार संघर्ष काम करवाता है और कई बार काम संघर्ष करवाता है!<br />गौर से देखेंगे तो कही न कही संघर्ष को जरुर ढूंड पाएँगे!vikashttps://www.blogger.com/profile/04469358672482165630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-25424084615744436562009-08-07T20:05:54.083+06:002009-08-07T20:05:54.083+06:00इस बात ने आज मुझे झकझोर दिया कि आख़िर हमारा संघर्ष...इस बात ने आज मुझे झकझोर दिया कि आख़िर हमारा संघर्ष क्या है, हम कैसे उसे डिफाइन करते हैं। ये हम सब पर डिपेंड करता है, फिर भी से कि हम सभी इसी सोसायटी के हिस्से हैं और हमीं ने इसके क़ायदे -क़ानून बनाए हैं जो कभी हमें अच्छे लगते हैं तो कभी दकियानुसी और ओल्ड कहकर ख़ारिज कर देते हैं।....आज आगर इसे समझने की ज़रूरत इसलिए आन पड़ी कि ये हमें झकझोर रहा है कि हम अपनी ज़िंदगी में कर क्या रहे हैं............चन्दन कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10262314277358804438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-34503033190793330822009-08-07T19:05:10.678+06:002009-08-07T19:05:10.678+06:00This comment has been removed by the author.Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-84767337543764419202009-08-07T17:34:28.217+06:002009-08-07T17:34:28.217+06:00रवीश जी,
अच्छा आलेख है। मैं तो जीवन को और बुरा होन...रवीश जी,<br />अच्छा आलेख है। मैं तो जीवन को और बुरा होने से बचाने और उसे बेहतर बनाने के लिए काम करने को संघर्ष कहता हूँ। जब यह संपूर्ण मानवता के लिए हो तो यह महान हो जाता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40110280257432890822009-08-07T16:39:01.776+06:002009-08-07T16:39:01.776+06:00interesting and honest..:)
newton has said f1=-f2 ...interesting and honest..:)<br />newton has said f1=-f2 :)<br />by the way what is your goal :)Subodh Deshpandehttps://www.blogger.com/profile/11441929884905603105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-67560170575007588332009-08-07T16:29:14.962+06:002009-08-07T16:29:14.962+06:00आपके लेख से मेरे ज्ञानचक्षु भी खुल गए। संघर्ष काम ...आपके लेख से मेरे ज्ञानचक्षु भी खुल गए। संघर्ष काम से पहले का फेज़ है। पहले संघर्ष कीजिए, यह फ्री में या 'चाय' के एवज में किया जाता है। फिर जब काम मिल जाए तो काम कीजिए। काम वह है जिसके बदले दाम मिलते हैं। जब दाम न मिले तो समझो संघर्ष चल रहा है। फिल्मों के स्टार पहले संघर्ष करते हैं, फुटपाथ पर सोते हैं, फिर काम मिलता है तो जूहू या बारसोवा में बंगला ले लेते हैं। जमीनी स्तर के कार्यकर्ता पहले-पहल संघर्ष करते हैं। अन्याय के खिलाफ आंदोलन करते हैं, बंद कराते हैं। और जब कोई बड़ा ठेका या टिकट मिल जाता है तब उनका संघर्ष पीछे छूट जाता है। <br /><br />जहाँ अच्छे खासे काम को संघर्ष कहा जा रहा हो, तो समझो ज़रूर कोई पर्दादारी है। या तो इसमें दाम नहीं है, यदि है तो भी आपके पल्ले कुछ नहीं पड़ने वाला है।<br /><br />- आनंदआनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-41710834920982932942009-08-07T16:12:02.671+06:002009-08-07T16:12:02.671+06:00संघर्ष के बारे में इतने शानदार तरीके से पहली बार प...संघर्ष के बारे में इतने शानदार तरीके से पहली बार पढ़ रही हूँ.<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Treasurer-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-91925791743445346022009-08-07T15:08:34.916+06:002009-08-07T15:08:34.916+06:00sahi baat ko uker kar rakh diya hai aapnesahi baat ko uker kar rakh diya hai aapneprabhat gopalhttps://www.blogger.com/profile/04696566469140492610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64947106308705331812009-08-07T14:52:42.311+06:002009-08-07T14:52:42.311+06:00अब देखो, इस तरह का जादुई जथार्थबाद बिना आत्मा का ...अब देखो, इस तरह का जादुई जथार्थबाद बिना आत्मा का अंदर फावड़ा और कुदाली चलाये बिना थोड़े न आता है? अइसे ही दौड़ते रहे तो देखोगे, संघर्सबात में केतना जल्दी परंगत हो जाओगे..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-37167337024270154572009-08-07T13:10:02.878+06:002009-08-07T13:10:02.878+06:00रविश जी
संघर्ष को बहुत सतही अंदाज में ले गए हैं आप...रविश जी<br />संघर्ष को बहुत सतही अंदाज में ले गए हैं आप। अगर आपने व्यंग्य किया है तो ये सही से स्थापित नहीं हो पा रहा और अगर आप सीरियस होकर संघर्ष की खिल्ली उड़ा रहे हैं तो बात और भी गंभीर है। बचपन में हेरफेर कहानी तो पढ़ी ही होगी, उसी तरह का असर लग रहा है, संघर्ष तो आपने भी किया ही होगा।Yachnahttps://www.blogger.com/profile/02256776980796502196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-59873554096006738092009-08-07T13:06:06.955+06:002009-08-07T13:06:06.955+06:00संघर्ष क्या रविश जी, जब पहली बार चलना सीखा होगा तब...संघर्ष क्या रविश जी, जब पहली बार चलना सीखा होगा तब भी तो कई बार गिरें होंगे उस वक्त ध्यान है क्या कि वे भी एक संघर्ष होगा, लेकिन उस वक्त ध्यान नहीं जाता बस चलना होता है, लेकिन जब हम किसी काम को बहुत दिनों तक करते है लेकिन सफल नहीं होते तब हमें लगता है कि यार चलों ये संघर्ष है, करते रहो...लेकिन अगर लक्ष्य पता है औऱ सच में उसे पाना है तो संघर्ष क्या है उसे भूल जाओं बस करते रहो...आप भी करते रहिये, संघर्ष जैसी कोई चीज नहीं होती है...बस हमारा दिमाग है जो कई असफलताओं को संघर्ष नाम देकर जीने की आशा जगाता है औऱ जीतने की ओर एक कदम और चलवाता हैशशांक शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00569926392676984136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-65190361694712348062009-08-07T12:56:59.460+06:002009-08-07T12:56:59.460+06:00विज्ञान का नियम है कि ब्रह्मांड की हर वस्तु MAXIMU...विज्ञान का नियम है कि ब्रह्मांड की हर वस्तु MAXIMUM STABILTY प्राप्त करने की कोशिश करती है। मानव की प्रकृति भी वैसी ही है। मानव मन भी स्थिर होना चाहता है, वह तृप्त होना चाहता है। तृप्ति एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें मन स्थिर हो जाता है। तृप्ति के बिना ये स्थिरता कभी आ नहीं सकती। लेकिन मन तृप्त नहीं पाता। वह संतुष्ट होकर ही क्षणिक स्थिरता का आनंद उठाने की कोशिश करता है। ये तृप्ति या संतुष्टि उसे तभी मिलेगी जब वह नीयत उद्देश्यो की पूर्ती कर ले। निरंतर वह उन उद्देश्यों की पूर्ती के लिए प्रयत्न करता है। और यही प्रयत्न संघर्ष कहलाता है। अपनी समझ और अपनी ताकत दोनों का सही इस्तेमाल करना संघर्ष है। जिंदगी तो हर कोई जी सकता है लेकिन उसे सही ढंग से जीने के लिए सही फैसले और सही राह का चुनाव करना पड़ता है। जिंदगी की राह में कई बार मुशकिलें भी आती हैं। इन सबसे निपटने की कला है संघर्ष। ये एक सतत प्रक्रिया है। लक्ष्यों का निर्धारण करना और उन्हें सफलतापूर्वक प्राप्त करना संघर्ष है।<br /><br />आपने सही कहा कि ये मानसिक अवस्था है। संघर्ष लड़ाई, कलह, युद्ध आदि शब्दों का पर्यायवाची नहीं। संघर्ष का अर्थ है किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाने वाला प्रयत्न। ये उद्देश्य किसी भी तरह का हो सकता है। और बिना उद्देश्य के, बिना कुछ उमंगों के जीना मानव के लिए संभव नहीं। इसलिए हर कोई संघर्ष करता है... अपनी-अपनी ज़रूरत के हिसाब से, अपने-अपने लक्ष्यों को प्राप्त करके तृ्प्त/संतुष्ट होने के लिए। कोई फोन करके नौकरी मांगना भी संघर्ष है क्योंकि वह अपने लक्ष्य (नौकरी) को प्राप्त करके संतुष्ट होना चाहता है। प्रिंसीपल से झगड़कर मांग मंगवाने में भी संघर्ष है। आदमी रोज़ संघर्ष करता है.. और यहां तक कि कई बार वह खुद से भी संघर्ष करता है...। अपनी मांगें मंगवाने के लिए आंदोलन करना भी संघर्ष है। हम बैठे-बैठे तो जिंदगी नहीं जी सकते न? सरल शब्दों में कहें तो संघर्ष सिर्फ जिंदगी जीने की कला है...।Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.com