tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post1842642176941175722..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: भैंस का पुनर्मूल्यांकनravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-55023055054044735122007-05-25T15:10:00.000+06:002007-05-25T15:10:00.000+06:00ravish ji,bhaisn sahi main bahut hi fayde mand hai...ravish ji,bhaisn sahi main bahut hi fayde mand hai....gujarat k kaie chote gavo main bhaisn hona mahetvaka mana jata hai,kai ghar ka gujran bhaisn ki badolat hi chalte hai,aaj bhi kisi bap ko aapni beti ko bihana hai to vo aasa ghar dhundta hai jis ghar main bhaisn ho,beti khus rahegi...gujarat main gai k sath main bhaisn ko bhi ijjat di jati hai.....Prabin Barothttps://www.blogger.com/profile/14750482567828031785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-41637464412713289232007-05-24T14:43:00.000+06:002007-05-24T14:43:00.000+06:00garam bhains ki matwali chal se wakif honge. uske ...garam bhains ki matwali chal se wakif honge. uske uddam kamuk alaap ko background music ki tarah sune. ek choti si cheentdaar, salme-sitare wali skirt pahnakar kya remix ka ek naya album nahi nikal sakta. koi bhi remixia bhains ke jariye uddipan ke adim shrot tak pahunch sakta hai. tv screen ko apne chapal pairon se khodti kamneeya bhaison ki smriti jagane ke liye ravish bhai badhai.chashmishhttps://www.blogger.com/profile/08867553461993326317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-37289005972004411142007-05-24T12:46:00.000+06:002007-05-24T12:46:00.000+06:00रविश जीभैस का चित्रण शायद ही किसी ने इस तरह से किय...रविश जी<BR/><BR/>भैस का चित्रण शायद ही किसी ने इस तरह से किया हो। आपका लेख पढ़ सचमुच भैस के बारे में अब सोचने को मन करता है। दूध देती है... पर सीधी रहती है। दूध निकलने पर भी कुछ नहीं कहती। लेकिन समाज की गाय जो लात मारती है.. फिर भी पूजी जाती है। ये गाय भैज का भेद कब तक ... यदि हमने इसी तरह भेस को निरादर किया तो एक दिन अच्छी अच्छी प्रतिभाएं दम तोड़ देंगी। आत्महत्या कर लेंगी। आपका चित्रण और विचार वाकई काबिले तारीफ है।अमित कुमार शर्माhttps://www.blogger.com/profile/17741445890924883932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-79800893039186704212007-05-21T00:15:00.000+06:002007-05-21T00:15:00.000+06:00गांधी जी ने भैंस से प्रेरणा ली या नहीं अब इसका तो ...गांधी जी ने भैंस से प्रेरणा ली या नहीं अब इसका तो ठीक-ठीक पता लगाना मुश्किल है। ली भी हो तो मुझे कतई ऐतराज़ नहीं है। लेकिन भैंस के सहिष्णु स्वभाव को आज आपने ही लोगों के सामने रखा है। और वो भी सौ आने सच हो सकती है। फिर भैंस के जिस स्वभाव की पहचान ही आपने की है तो लोगों से क्या शिकायत है कि वो गांधी के सहिष्णुता को क्यों दर्शन मानते हैं और भैंस की सहिष्णुता को क्यों मूर्खता मानते हैं। आप पहले से इसे जानते थे तो आप की राय ही ज्यादा मायने रखती थी। हमें आज मालूम हुआ है आगे गांधी जी और भैंस को कम-से-कम इस मामले में एक नज़र से देखने की कोशिश करेंगे। आगे भी हमारी भूल-चूक सुधारते रहें। <BR/>http://kharikhoti.wordpress.comAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/17582146888418258654noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-16331062804414289812007-05-20T00:53:00.000+06:002007-05-20T00:53:00.000+06:00रवीश भाई भैस माहतम बहुत लाजवाब लगा है,..भैस कीतनी ...रवीश भाई भैस माहतम बहुत लाजवाब लगा है,..भैस कीतनी सीधी होती है ये तो हम शुरू से देखते आ रहे है,...मगर कितनी आलसी भी होती है अपने चेहरे से मक्खी तक नही उड़ाती है,.हाँ आपने भैस से बहुत सारी बातें सीखा दी है,...<BR/>बहुत-बहुत बधाई भैस पुराण पर।<BR/>सुनीता चोटिया(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-68653408015441841152007-05-19T19:30:00.000+06:002007-05-19T19:30:00.000+06:00http://pangebaj.blogspot.com/2007/05/blog-post_19....http://pangebaj.blogspot.com/2007/05/blog-post_19.html<BR/><BR/>भैंस महीमा यहॉं पर भी है।नीरिजाhttps://www.blogger.com/profile/13853859524149004315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-123066993416354092007-05-19T16:45:00.000+06:002007-05-19T16:45:00.000+06:00sach me aapki abhivyakti ka koi jawaab nahin, aapk...sach me aapki abhivyakti ka koi jawaab nahin, aapki rachnayen padh kar kuch kehne ke liye shabd hi nahi bachte.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15252091392436256567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-34638335252103951072007-05-19T16:40:00.000+06:002007-05-19T16:40:00.000+06:00भई भैस पुराण शुरु कर दिया आपने। अच्छा लग रहा है।बच...भई भैस पुराण शुरु कर दिया आपने। अच्छा लग रहा है।<BR/><BR/>बचपन मे हम कई कई बार भैंस के चट्टे पर दूध लेने जाया करते थे। वहाँ पर दूध निकालने वाले भइया द्वारा भैंस को इन्जेक्शन लगता देख दिल को बहुत चोट पहुँचती थी, इच्छा तो होती थी, इन्जेक्शन छीन कर ठोकने वाले को ही वापस लगा दें, लेकिन क्या करते, मोहल्ले का मामला था। अलबत्ता हम इत्ता जरुर करते थे, सूखे कन्डे से उस भइया को दूर से निशाना साधा जाता। जाहिर है कन्डा भैंबर का ही होता। यानि भैंस ने अपना बदला ले लिए, हम तो सिर्फ़ जरिया मात्र थे।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-61241758478661897692007-05-19T15:32:00.000+06:002007-05-19T15:32:00.000+06:00यह विषयांतर बहुत अच्छा लगा. इसके बाद उलूक, गर्धव औ...यह विषयांतर बहुत अच्छा लगा. इसके बाद उलूक, गर्धव और सूकरों को भी स्थान दें.पाणिनि आनंदhttps://www.blogger.com/profile/00279802959004788602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-14414185061955713832007-05-19T14:27:00.000+06:002007-05-19T14:27:00.000+06:00आप बेहतर जानते हैं.. देश भर में कैमरा ले के घूमते ...आप बेहतर जानते हैं.. देश भर में कैमरा ले के घूमते हैं.. मैने तो जीवन में एक डेढ़ गाय और दो चार भैंस देखी है..उनके स्वभाव के बारे में ठीक ठीक नहीं जानता.. कोई कहता है आकार प्रकार में एक जैसी होने के बावजूद दोनों में काफ़ी अन्तर है.. एक पानी में भगती है दूसरी पानी से भागती है.. दोनों के दूध में भी अन्तर है.. लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि दूध और घी की जितनी महिमा है.. सब गाय के घी की है.. धरती को भी गाय के सींग पर स्थित बताया है..आप के भीतर प्रगति शील चेतना ज़ोर मार मार कर आपको उकसा रही है कि गाय ने हजारों वर्षों तक भैस का हक छीना है..अब कुच गाय से छीनो.. मैं आप को आपके प्रगतिशील समाज का उन्मुक्त चित्र बनाने से नहीं रोकता.. बस इतना कहता हूँ कि गाय इस देश में प्लास्टिक खा रही है..भैस खली.. फिर भी आप को क्यों लगता है कि गाय से उसकी रही सही इज़्ज़त भी छीन लूँ.. आपका प्रिय जानवर मुझे नहीं पता कि क्या है.. मेरा प्रिय जानवर गाय है.. गाय के बारे में एक ही बुराई है जो मैंने सुनी है और देखी भी है.. गाय वक्त पड़ने पर हिंसक हो जाती है.. भैंस ज़्यादा सहिष्णु है.. आप सही हैं..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-79329168720450435262007-05-19T10:31:00.000+06:002007-05-19T10:31:00.000+06:00आज सुबह आपकी झाँसी होटल पर डोक्युमेंट्री देखी और ओ...आज सुबह आपकी झाँसी होटल पर डोक्युमेंट्री देखी और ओफिस आया तो नारद पर भी आपका चहरा चमक रहा था. :) यानि छा गए.<BR/>अच्छा लिखा है :)<BR/>मगर दलित ब्राह्मण को बीच में घसीटना अजीब लगा.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-62896967627857174422007-05-19T10:15:00.000+06:002007-05-19T10:15:00.000+06:00रवीश भाई भैंस पर आपका वार्तालाप अच्छा लगा लेकिन अ...रवीश भाई भैंस पर आपका वार्तालाप अच्छा लगा लेकिन अब जमाना बदल गया है। बाजार ने भैंस को काफी हद तक वह इज्जत दिला दी है जो कभी सिर्फ गाय के पास हुआ करती थी। भैंस औसतन गाय से अधिक दूध देती है और उसका दूध कहीं अधिक पौष्टिक होता है। यही कारण है कि गाय का दूध सस्ता होता है और भैंस का महंगा। किसी ग्वाले से पूछिये तो वह यही कहेगा कि भैंस पालना फायदे का सौदा है। आपको दिल्ली की सड़कों पर आवारा गाय धूमती खूब दिखायी देंगीं लेकिन आवारा भैंसे कम ही दिखायी देती हैं। वैसे भी सत्ता का चक्र बदलने के बाद गाएं अब शीर्ष पर नहीं रहीं। पिछड़ी भैसों ने गायों को सत्ताच्युत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।सुभाष मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/10721973196946843748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-82054125323493231692007-05-19T08:39:00.000+06:002007-05-19T08:39:00.000+06:00भैंस मींमासा बढ़ती जा रही है। अनामदास ने भैंबर शब्...भैंस मींमासा बढ़ती जा रही है। अनामदास ने भैंबर शब्द का इस्तमाल कर दिया है। गोबर का विकल्प आ गया है। पंडित जसराज से कहा जाए कि वो भैंस राग कम्पोज़ करें। देश के चारागाहों में लोकप्रिय हो जाएगा। रघुराज जी मैं दलितों की दयनीयता नहीं देख रहा हूं। जो समाज में रहा है उसी से चीज़ें समझने की कोशिश कर रहा हूं। इसी ब्लाग पर कई लेख हैं जिनमें आपको दलितों की ताकत दिख जाएगी। सत्येंद्र जी ने भैंसनुमा शब्द दिए हैं। गायनुमा नहीं। हम सब भैंस हैं। मूर्ख नहीं। संवेदनशील और सहनशील। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि सींग भी रखतेravishndtvhttps://www.blogger.com/profile/02492102662853444219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-82953496478587752262007-05-19T05:04:00.000+06:002007-05-19T05:04:00.000+06:00एक बात और, हमारे घर जब सत्यनारायण कथा होती थी तो ह...एक बात और, हमारे घर जब सत्यनारायण कथा होती थी तो हमें गोबर लाने के लिए भेजा जाता था, हम अक्सर गर्मागर्म भैंबर ले आते थे जो आसानी से उपलब्ध था. परम ज्ञानी पंडित जी कभी न पहचान सके, श्रद्धाभाव से गोबर गणेश की स्थापना करके रोली, चंदन, पान, सुपारी चढ़वाते थे.<BR/>अनामदासअनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53547759249144358312007-05-19T05:00:00.000+06:002007-05-19T05:00:00.000+06:00हमने तो भैंस का दूध खूब पिया है, लोग समझाते थे कि ...हमने तो भैंस का दूध खूब पिया है, लोग समझाते थे कि भैंस का दूध पीने से अकल मोटी हो जाती है लेकिन हम माने नहीं, अब अपनी अकल को रोते हैं, कहीं कमाई वाले धंधे में लगे होते...अब सोचता हूँ कि भैंस के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है, माता का खिताब गाय को दे दिया गया, और तो और मौसी बिल्ली हो गई. बेचारी भैंस. भैंस का पुर्नमूल्यांकन करके आप भी रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी और नामवर सिंह जैसे आलोचकों की क़तार में पहुँच गए हैं जिन्होंने कई साहित्यकारों का पुनर्मूल्यांकन करके उन्हें ख्याति दिलाई. सभी भैंसो की तरफ़ से उनका दूध पीने वाले एक सुपुत्र का आभार.<BR/>अनामदासअनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-38784198710806082042007-05-19T00:39:00.000+06:002007-05-19T00:39:00.000+06:00गाय की बजाय यह भैंस समय होता तो देश की बड़ी मुश्कि...गाय की बजाय यह भैंस समय होता तो देश की बड़ी मुश्किलें कम हुई होतीं. आइए, सब मिलकर भैंस राग गाएं.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-77006916442644991812007-05-19T00:38:00.000+06:002007-05-19T00:38:00.000+06:00भैंस का प्रतीक जमा नहीं। भैंस की कहावत ये भी है कि...भैंस का प्रतीक जमा नहीं। भैंस की कहावत ये भी है कि भैंस के आगे बीन बजावय, भैंस ख़ड़ी पहुराय। भैंस की इस महिमा से तो वे लोग महिमामंडित हो रहे हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि सब ते भले वे मूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति। दलित की दयनीयता मत देखिए, उसमें छिपा ओज और सबलता देखिए जो इस देश की सूरत बदलने का माद्दा रखती है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-17080738688365457742007-05-19T00:14:00.000+06:002007-05-19T00:14:00.000+06:00मजाक-मजाक में गंभीर बातें कहने की अदा कोई आपसे सीख...मजाक-मजाक में गंभीर बातें कहने की अदा कोई आपसे सीखे। भैंस के बहाने अच्छा सवाल उठाया है आपने। विचार होना चाहिए। भैंस का भी और भैंसनुमा लोगों का भी।Satyendra Prasad Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/11602898198590454620noreply@blogger.com