tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post1592454437988839401..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: वादाravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-65471852858848420782007-02-25T21:57:00.000+06:002007-02-25T21:57:00.000+06:00सत्य कहने को बस दो शब्द काफ़ी हैं .. कोई जरूरत नहीं...सत्य कहने को बस दो शब्द काफ़ी हैं .. कोई जरूरत नहीं लंबे चौङॆ लेखों की.. धन्य्वाद.Monika (Manya)https://www.blogger.com/profile/02268500799521003069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-27706249269289926262007-02-25T11:23:00.000+06:002007-02-25T11:23:00.000+06:00दो पंक्तियों में ही बहुत कुछ कह दिया आपने। सच तो य...दो पंक्तियों में ही बहुत कुछ कह दिया आपने। सच तो ये है कि ये बरसात भिगोने के लिए होती ही नहीं। अब तो शायद लोग भी परवाह नहीं करते। महज़ अपने नाकारे भाई को कुर्सी पर बिठाने के ख़्वाहिशज़दा हैं लोग। बाक़ी मतलब तो संबंध और पहुंच की धौंस से ही निकल जाता है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17582146888418258654noreply@blogger.com