सोचा तुम्हें एक ख़त लिखूँ । तुमसे बात करूँ । तुम मेरे राज़दार हो । हमने हर ख़्वाब तुम्हारी चादर के नीचे देखे हैं । कब कौन अजनबी आया तुमको पता है । किसे देख मुस्कुराया ये तुम जानते हो । हमारी सारी चाहतें तुमने देखी हैं । किसके आने की आहट में करवटें बदलता रहा तुम मेरे सिरहाने सब देखते रहे हो । हर वो स्केच जो अपने भीतर बनाता रहा हूँ,उसे सबसे पहले तुमने देखा है ।
मेरा जो भी बाहर है वो भीतर नहीं है । जो भी भीतर है बाहर नहीं है । तुम्हारे भीतर मेरे अनगिनत 'मैं' हैं । शातिर मैं और क़ातिल मैं । ज़ाहिर मैं और माहिर मैं । आदमी भीतर से ही अनगिनत होता है । ख़्यालों के साये में हम अपने अनगिनत मैं को लपेटते खोलते रहते हैं । मुझे नहीं मालूम कि मैं किन किन के ख़्यालों में रहता हूँ । कैसे रहता हूँ । किसका होके रहता हूँ । मुझे मालूम है मेरे ख़्यालों में कौन कौन रहता है । कोई तो है जिसे मैं देख नहीं पाता मगर बात करते रहता हूँ । वो निराकार कौन है । वहाँ मुझे सुनने वाला और कौन है । दिखते नहीं मगर होते हो ।
हमने वक्त से भी ज़्यादा वक्त ख़्यालों में बिताया है । एक ही साथ मैं बाहर भी होता हूँ और भीतर भी । हमने यहाँ लम्हों में सदियाँ गुज़ारी हैं । चुपके से बिना इजाजत़ किसी का हाथ पकड़ा है । किसी के साथ चला हूँ । कोई मेरे साथ चला है । वो कौन थे जो मेरे ख़्यालों में आए । तुम मेरे भी हो क्या । कोई तो है जो आता है मगर दिखता नहीं । वो कौन है जिससे मैं ख़्यालों में बतियाता हूँ । वो एक है या अनेक ।
ख़्याल, मेरा पता तो तुम हो । तुमने जाना है मुझे । मैं सब तुम्हें ही बताया । अलग से । कभी किसी रोज़ आकर कहना तो मेरे बारे में । सुनाना तो ज़रा इस दुनिया को । मुझसे अलग होकर मेरा ही ख़्याल मुझे कैसे बयां करता है जानने को बेताब हूँ । तुमने जो देखा है वो मैंने भी नहीं देखा है । मैं सुनना चाहता हूँ ।
तुम न होते तो मैं न होता । तुम न होते तो मेरा कोई अपना न होता । हमारी आहें और रातें सब बेकार होतीं । असल में होने के लिए ख़्यालों में होना ज़रूरी है । दरवाज़ा न छत फिर भी मकां । तुम जन्नत नहीं जहाँ हो मेरी ।
तुम्हारा
मैं
30 comments:
ख़्याल पे मेरा बहुत ही पसंदीदा शेर है :)
मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है,
सरे-आईना मेरा अक्स है, पसे-आइना कोई और है। -- सलीम कौसर
har roz in bohut se mai me se ek ban k nikalta hu mai...
Bahut khub sir.
ख्याल ए मोहब्बत ना होती तो इज़हार क्या करता ,
ख़ाकसार तेरे लिए इस कलाम की बेगार क्या करता।
lage rahiyr Ravish Bhai ,
kuch apne khayalo me kuch mere me
aap khayalo me bas yu hi muskurate rahiye,
tassavur me hamare khayalt me aate rahiye .
मेरे ख़्याल से आपका ख़्याल सही है !
"ख़्याल, मेरा पता तो तुम हो " .... वाह। इसी का इंतज़ार था। बहुत दिनों से हर जगह चुनावी /राजनीती सम्बंधित ब्लॉग/लेख ही पढ़ने को मिल रहा था । वाजिब भी है । पर मुझे तो इसी का इंतज़ार था। अभी जल्दी से सरसरी तौर पर पढ़ा है। ज़ाहिर है अभी कुछ चंद बार और पढ़ना बाकी है। अपने किसी मैं से आपके किसी ख्याल की मुलाक़ात कराना बाकी है।
Hat's off u sir for prime time 2day & yesterday..i also belong bihar..i proud of u for ur honesty reporting..jaha sare media bjp ki jagir ho gai hai aur journlist bandhua majdur..waha aapke raste alag..
behad accha lagta hai....
jab aap itni sadgi se jaane kitni gahri baate kahte hain.........
Hamko maloom hai jannat ke haqeeqat lekin,
dil ke khush rakhne ko, ghalib ye khyaal acha hai
bahut dino se modi ,politics aur na jaane kaun kaun si chunavi baatein padh raha tha.ye khayal padh ke dil ko kuch alag hi khusi mili ki kam se kam modi wave ke atiritk kuch baatein karne ke liye ab bhi hain.
रविशजी,मेरे नही हमारे नही सबके गुजरात मे भी एक बार पधारे
रविशजी,मेरे नही हमारे नही सबके गुजरात मे भी एक बार पधारे
रविशजी,मेरे नही हमारे नही सबके गुजरात मे भी एक बार पधारे
रविशजी,मेरे नही हमारे नही सबके गुजरात मे भी एक बार पधारे
रविशजी,मेरे नही हमारे नही सबके गुजरात मे भी एक बार पधारे
Bhaut acha khyal hai isi ka intjar tha
Behad khoobsoorat hai ye khayalo se khud ko samjhn Pana , jara hat kar .. Itne gahra sochne ke liye Bhi kuchh ekant chahiye , kaha mil pata hoga
with respect
: Modi Ghaziabad rally was on Apr 1, Ravish Broadcasted it today on 11th April.. BJP requested not to show before Delhi elec. low turnaround
Khyal - beautifully written!
A welcome break from political rallies and election noise!
ati man-mohak
ati man-mohak
ati man-mohak
कुरता ,अस्पताल का मैसेज और अब ये मैं का पत्र | भाई रवीश कभी कोई माई का लाल प्रकाशक इन्हे पुस्तकाकार रूप में छापने का साहस करे तो हमे बताइयेगा |
कुरता ,अस्पताल का मैसेज और अब ये मैं का पत्र | भाई रवीश कभी कोई माई का लाल प्रकाशक इन्हे पुस्तकाकार रूप में छापने का साहस करे तो हमे बताइयेगा |
theek to hain raveesh ji!!! ye kaisi behki-2 baatein kar rahe hain....dhyan rakhie apna..
SIR JI what a deep thought?
nishabd kar diya
Lajawab abhivyakti
सुंदर मनोमंथन !!
आंतरखोज व अंतरखोज एक साथ? वाह!शूरवीर आत्मा हो आप तो:) वैसे तभी अंतर-मन ~वचन~कर्म में अंतर का जाहेर स्विकार कर सकते हो :)
वैसे जहाँ स्त्रीलिंग लिखा जाता है पुल्लिंग?:) :-p
अच्छे जानकार हैं उर्दू के जनाब!!
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