जिस दिन धरती से चिड़िया ख़त्म हो जाएगी उसी दिन आदमी भी समाप्त हो जाएगा । गाइड अमरपाल की यह बात भरतपुर के वीरान जंगलों में ऐसे गूँजी जैसे आदमियों में सबसे पहले मैं ही ख़त्म होने वाला था । क्यों ? साहब ये जो चिड़िया है न तमाम तरह को कीड़ों को चुग लेती हैं । ये न होंगी तो ये कीड़े हमारी साँसों से फेफड़े तक में पहुँच कर हमें समाप्त कर देंगे । पूरे दिन अलग अलग प्रकार की चिड़िया कीड़ों को खोज खोज कर खाती रहती हैं । मेरी बेटी ने सवाल किया कि सबसे ख़तरनाक कौन है । जवाब दिया आदमी सबसे ख़तरनाक है । जानवर नहीं ।
भरतपुर के केवलादेव पक्षी विहार की दुनिया बेहद ख़ूबसूरत है । साढ़े तीन सौ से अधिक पक्षियों के इस संसार का नाम भगवान शिव पर क्यों हैं बात समझ में नहीं आई । क्या इसका नाम किसी एक पक्षी पर नहीं हो सकता था । गाइड ने बताया कि नब्बे फ़ीसदी हिन्दुस्तानी पक्षी माँसाहारी होते हैं । विदेशी शाकाहारी । जितने भी नर पक्षी होते हैं वो मादा की तुलना में ज़्यादा ख़ूबसूरत मिलेंगे । सलीम अली के प्रिय पक्षी ग्रे हार्नबिल की कहानी भी काफी दिलचस्प लगी । सुनते सुनते लगा कि हर पति को हार्नबिल की तरह होना चाहिए । जब मादा हार्नबिल अंडे का सेवन करती है तो नर हार्नबिल कोटर को जाल से ढंक देता है । इसके लिए वो काफी मेहनत करता है । एक छोटा सा छेद भर छोड़ देता है जिसके ज़रिये बाहर से दाना लाकर अंदर डालता है । नर और मादा इस दौरान दूर हो जाते हैं । दोनों वियोग में रोते हैं । हार्नबिल देखकर अच्छा लगा ।
गाइड ने एक और बात कही । आदमी स्वार्थी होता है । हम बच्चों को इस तरह सीखाते हैं कि वो बुढ़ापे का सहारा बने । चिड़िया अपने बच्चों को दो ही महीने में सबकुछ सीखा कर विदा कर देती है । वो अपने बच्चों को इस तरह सीखाती है कि वे खुद ज़िंदगी को जीने लगें । इन सब बातों को सुनता हुआ कभी किंगफ़िशर तो कभी जंगल कोतवाल तो कभी भारद्वाज को देखता जा रहा था । भारद्वाज पक्षी का आधा शरीर कौए का और आधा कोयल सा होता है । सेवन सिस्टर को चिल्लाते देखा जो अपनी आवाज़ से साँप तक को भगा देती हैं । पहली बार जीवन में बुलबुल चिड़िया को देखा । ये तस्वीर किंगफ़िशर की है ।
ये पनकौआ है । स्नेक बर्ड । पानी में डुबकी लगाकर मछली पकड़ता है । तब ऐसे लगता है जैसे साँप चल रहा हो । अमरपाल ने बताया कि सारे पक्षियों के पंख वाटर प्रूफ़ हैं सिर्फ इसी का पंख गीला हो जाता है । यह उड़ नहीं पाता इसलिए मछली खाने के बाद डाल पर बैठ घंटों पंख सुखाता है । ज़रा देखिये किस शेखी से पंख सुखा रहा है ये ।
अचानक कोबरा पर भी नज़र पड़ी । डर तो गया लेकिन जब संभला तो देर तक देखता रहा । दोनों तरफ़ देख समझ कर कोबरा सड़क पार करने लगा । ज़हरीला होते हुए भी ख़ूबसूरत । बगल में मानिटर लिज़ार्ड । देख कर ही कंपकंपी छूट गई ।
नीचे जो तस्वीर देख रहे हैं बबूल के पेड़ों की है । चिड़िया बबूल के पेड़ों पर बच्चा देने और पालने के लिए घोंसले बनाती है । बीट में एसिड होने के कारण पत्ते तक जल जाते हैं । दक्षिण भारत से प्रिंटेड स्टार्क यहाँ कई महीनों के लिए आती है । अंडा देने और बच्चों को बड़ा करने । बच्चे जब उड़ने लायक हो जाते हैं तो गूँगे हो जाते हैं । बहुत ख़ूबसूरत चिड़िया है । आय फ़ोन की जितनी औकात है उतनी क्वालिटी की तस्वीर है । जब भी भरतपुर जायें बढ़िया कैमरा लेकर जायें । पेड़ों पर चिड़ियों की भरमार देखकर लगा जैसे कोई अपार्टमेंट हो और हर फ़्लैट से कोई चिड़िया झाँक रही हो ।
भरतपुर शहर देखकर लगता है कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी ख़ास मौजूदगी दर्ज कराने वाले इस शहर को सरकारों ने कूड़े की तरह रखा हुआ है । भरतपुर की वर्तमान स्थिति कई सरकारों और कई ज़िलाधिकारियों की कारस्तानी की निरंतरता की गवाह है । खैर ये सब चलता रहेगा । बेटी के लिए कुछ ख़रीदना था तो बाज़ार गया । दुकान ढूँढने में ही काफी वक्त लग गया । दुकानदार ने बड़ी इज़्ज़त से चाय पिलाई । वहाँ से लौटते वक्त एक दूसरे दुकानदार मेहरा साहब ने अपना कार्ड पकड़ा दिया । होटल पहुँच कर जब फ़ोन किया तो अपने कई दोस्तों के साथ मिलने आ गए । भरतपुर का कलाकंद ले आए । बंसल स्वीट्स । बहुत बढ़िया । उनके साथ आए लड़कों में एक ने कहा कि आपकी छुटंकी भी आई है । हम उसके लिए कुछ लाये हैं । मैंने कहा आपको कैसे पता छुटंकी के बारे में । उन्होंने कहा कि मैं आपको ट्वीटर पर फौलो करता हूँ । मैं थोड़ा सेंटी हो गया । कोई कुछ देता है तो मन भारी हो जाता है । सोचता रह जाता हूँ कि क्यों लिया । मगर उस वक्त गला भर आया ।
हिन्दी की पत्रकारिता ने भले ही अपने पाठकों को तीसरे दर्जे की पत्रकारिता दी है मगर उसकी तुलना में पाठकों ने अपने पत्रकारों को बहुत प्यार दिया है । आपको यक़ीन न हो तो भरतपुर संस्करण के अख़बारों को देखियेगा । ठोंगा बनाने लायक तो है हीं । पत्रकार तो होंगे ही अच्छे मगर जिस स्तर के अख़बार ज़िला संस्करणों के नाम पर निकल रहे हैं वो किसी काम के नहीं । एक ही काम है यूरिया ट्रैक्टर डीलरों, स्कूलों और घटिया चमकदार अस्पतालों से विज्ञापन लेना । खैर राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता ने विश्लेषण के अलावा ख़बरों में कौन सा तीर मार लिया है । लक बाइ चांस की मलाई खा रहे हैं हम टीवी एंकर ।
33 comments:
sir sach me aapko padh ke aur aapki speech dene ki jo theory hai us se aadmi khud ko connect hone se nhi rok pata hai na cahte hue bhi aapke es post ko padhte padhte aankho me aansu aa gye aur dil ko bahut gahre tak chhu gya, ye feeling jab bhi kumar vishwas ka poem sunta hu tab bhi aa jaata hai...
aapko padhte hue sunte hue aisa lagtahai jaise dada ji saath me baith ke koi kissa suna rahe ho barbas hi dada ji ki yaad aa gyi...thanks
es busy life me bahut baar aapko padh ke achanak se unka yaad aa jata hia and kucch kucch khali lagne lagta hia, aapka kurta wala post ne to rula hi diya tha...really aap bahut kind aur emotional ho.
रविश जी, यदि इस पक्षी अभ्यारण्य का नाम भगवान् शिव के नाम पर है तो इसमें आप को क्या आपत्ति हैं. यह अँधा हिन्दू विरोध छोड़ दो, आप लोग भी हिन्दू ही हो...
शीर्षक देखकर सोचा था कि ’लुट गया’ टाईप कमेंट किया जाये लेकिन पोस्ट पढ़कर ’लूट लिया’ कमेंट उचित लग रहा है। पोस्ट बेहद अच्छी लगी।
are sir ..bharatpur se thode aage Ahmedabad bhi aa jayiye :)
ravish ji aap ke blog ho chahe pics ho sab apne aap mein ek kahani keh dete hai.aap bahut ache writer bhi ho.every time jab bhi aap ka blog read karti hoon lagta hai mein bhi jaise uss story ka hissa hoon jaise ki mein bhi sab apni ankhon se dekh rehi hoon.amazing ,really u r awesome
प्रकृति के संतुलन को तोड़ने के प्रयास में कहाँ मार पड़ेगी, पता नहीं चलता है।
भरतपुर की अच्छी कैमरे की तस्वीरे तो कई बार देखी है..लेकिन आपके नज़र से इस bird sanctuary को देखने का आनंद ही कुछ और है। :)
aapki chutanki ko kaun nahi janta,aapke har tweet ka vishleshan karte hai hm aur phir baat baat par unhe yaad krke kabhi haste hai toh kabhi "nostalgic" ho jate hai :)
कोई भला इतनी सादगी से हर बात कैसे कह सकता है। ये कोई आपसे सीखे। अब समझ आ रहा हैं आप फेसबुक के कमेंट लाइक प्रथा से इतना दूर क्यों रहते हैं।
रवीश भाई, " और हर वक़्त कुछ न करने का मन करता है।" लाइन दिखी नहीं , समझ में आता है कि अब हर वक़्त आपका कुछ करने का दिल करता है, चाहे वह निद्रा लेना या सोना हो कुछ न करना भी तो कुछ करना ही है। समझ में आ गया कि आप सपरिवार भरतपुर का आनंद लेकर वापस आ गए। अब तो कुछ नया देखने को मिलेगा प्राइम टाइम और हमलोग में।
आप सत्य स्वाभाविक तरीके से लिखते ही हैं साथ ही आप एक बहुत अच्छे फोटोग्राफर भी हैं। जय माँ दुर्गे।
शंकरजी पर यह नाम तो पुरातन है। अब तो इसका नाम भरतपुर बर्ड सैंक्चुअरी / पक्ष्हिविहार ही है। लोग कह सकते है कि रवीश कुमार का नाम लेखक कुमार, पत्रकार कुमार या हमलोग कुमार आदि आदि क्यों नहीं है ? लोग भरतपुर बर्ड सैंक्चुअरी के नाम से ही जानते हैं, रवीशकुमारजी लेखक , पत्रकार, टी वी एंकर से ही जाने जाते हैं , वैसे तो दिल्ली में ही हजारों रवीश कुमार मिल जायेगे,
aap hamare shahar me aaye,jankar achchha laga.kash mein bhi aapse mil pati,khwahish hai aapse milne ki shayad kabhi poori ho jae.Ravish ji aapke vicharon se mein bahut kam sahmat rehti hoon lekin iske bavjood bhi aap mujhe bahut pasand hain.
Ravishji meri tarah aapke bahot se chahane vale aapse milna chahte he. apko ek bar hum sab se milne ka koi aayojan karna chahiye..
aapko padhne ki betabi hamesha raheti he.. aap jitni achhi or imandar tarike se rajniti bayan karte he utani hi achhi tarah se kudarat aur paryavarn bhi..
salute sir
जानकर ख़ुशी हुई की आप भरतपुर घूमने गए थे. भरतपुर में आर्मी ka Madhya भारत ka सबसे बड़ा आयुध भंडार भी है. कभी मौका लगा तो जरूर घूमने जायेंगे bade वाले कैमरे के साथ . गाइड अमर पाल की बातों में बहुत बड़ा संदेस छुपा है.
'यायावर' :-) ऐसी पंछीओं की ही नहीं लेखक की भी पहचान होती है :-) कानपुर के विद्वान है शायद या फ़िरोज़ाबाद के :)
raveesh Ji.. aap Bharatpur Mere Home Town gaye the ... kaash mai wahan hota sab kuch chor kar aapse milne aata..Ghana Bird Century(KNP) ghoome aap.. bahut accha laga pics dekh kar.. Metros ki Bhagam-bhag ki life se nikal kar bharatpur mai samay vyateet krna bhut sukkon deta hai... maine bht ghooma hai Ghana Bird Century ko( ham bharatpur ke log Keoladev National park ko Ghana bulate hain).. last time 2011 Dec(Christams Vacation par gya tha Wife ko ghumane nayi-2 shaadi k baad.. ummed hai aapne rikhaw ki savari hi li hogi per Hours rate wali as Motor vehicles are not allowed there after check post.. pata nh abh wahan Boating ho rh thi ya nh... ummed karta hun aapne Canteen ki chai ka taste lia hoga aur wahan lage boards ko bh padha hoga jo ghane ki poori History batate hain...agar aap yahan pehle bata kar jate to mai aap ko bharatpur ki best sweet shop batata.. Saini Misthan Bhandar.. Best Sweet shop of bharatpur...3 branches hai city mai.. Laxman Mandir wali sabse purani hai... pata nh aapne kitna city ghoome hoge but dunia k kuch rare temples wahan hain.. GANGA mandir and LAXMAN mandir.. bhagwaan raam ka mandir aap ko sab jagah milenge but laxman ji ka temple aap ko sirf bharatpur mai hi milega...beech city mai bilkul... aur haan wahan ka local news paper bht hi bekar hota hai . i thinnk aapne BHARATPUR BHASKAR hi padha hoga... DAINIK BHASKAR group ka.. aur haan us city ko sach mai wahan k leaders ne barbaad kia hua hai.. MAHARAJA VISHVENDRA SINGH aaj bh wahan k log unhe RAJA Sahab Bolte hain.. aaj bh unka Darbar lagta hai roz subah.. Unk Leter head par likhi hui baat bharatpur ka koi bh officer nh taal sakta.. Bharatpur ka Kumher JAAT-JATAV riots 90's wala aapko shayad yaad ho.. usmain bh unki main bhoomika thi... bahut kuch hai bharatpur k bare main aap ko batane k lie.. kaash aap se bharatpur mai mil pata.. Ravish ji agar aap is sab ko padhe to please ek baar ek bht chota sa message chor de mujhe reply mai.. bahut khushi milegi n santushti bh ki aapne mera post padha.. ho sake to please ek reply de dijiyega.. aapka bahut bada pranshask.. Shashank Dalela
aur haan aap k post ko apni FB par share kar rh hu..
Sir kabhi north India bhi aana, bahot kuch hai Chandigarh, Himachal Pradesh or Punjab mein
Sir aap ke bina twitter suna lagta hai hum to ab aap ke blog padkar he santosh mante hai
आदमी तो ख़तरनाक होता ही है ... उसमे भी दिमाग़दार आदमी और ख़तरनाक ... वैसे जानवर बहुत देखे है जिनको देखकर डर लग जाता है, कोई चिड़िया नही देखा जिससे डर लग जाए .. इनको देख कर दिल खूष हो जाता है ... लगता है कायानात ने इनको ही सब्से सुंदर दिल दिया है, और इनको सबसे खूष भी बनाया है..
सही बोला आपने इस पनछी-विहार का नाम इनके ही नाम पर होना चाहिए ...जो जहा रहता है उसका ही नाम होना चाहिए ना .. किसी शिव मदिर का नाम किस पंचिी के नाम पर है क्या ?
वाह ! मीलों दूर बैठे बैठे आपने हमें भरतपुर की सैर करवा दी। शुक्रिया !
मेरा अधिकतर जीवन जिस जगह गुज़रा है , वहां एक नेशनल पार्क था। घर के बहुत पास। साथ ही वहीँ पास में, डैम/कैचमेंट एरिया, झील, आदि भी थे। तस्वीर देखकर "घर" याद आ गया। स्कूल में पढ़ते वक़्त, बायोलॉजी क्लास में एक चैप्टर चिड़ियों पर भी था। सलीम अली की बुक हाथ में लेकर हम दोस्त निकल पड़ते थे डैम, आदि के आस-पास दिखती खूबसूरत चिड़ियों की शिनाख्त करने। अभी, यादों का एक पंछी, सीधा वहां से उड़कर, फिर मेरे करीब आ बैठा है। शुक्रिया !
ओह! अब पता चला आप भरतपुर की सैर पर थे। हम रोज प्राइम टाइम में आपका इंतजार करते थे। खैर अब एकबार तो हमें भी भरतपुर जाना बनता है आपने इतना बेहतर जो लिखा है।
भरतपुर हमारे ननिहाल करौली से काफी नज़दीक है, इस पक्षी अभ्यारण के बारे में सुना भी था, पर आज पता चला ये इतना खुबसूरत है l आपकी पत्रकारिता के साथ साथ photography भी कुछ ख़ास है l अमरपाल जी ने भी यह प्रमाण दे दिया की, आम आदमी की सोच so called buddhijiviyon से काफी आगे और logical है
PT वहीं से करते तो ये सब लाईव दिखता न
दोस्तो, देवनागरी - हिन्दी मे convert करने का एक साइट है - http://www.quillpad.in/index.html#.UlhLDdIWIko
चिड़ियाँ देखने का शौक रखते हैं तो www.birding.in पर जाईए.... एक से एक खूबसूरत पक्षी मिलेंगे....
लेख बहुत अच्छा लगा और खास कर गाइड की ज्ञान भरी टिप्नी. प्रवीण गुप्ता का कॉमेंट ठीक है क्योंकि इस अभ्यारंण का नाम एक शिव मंदिर जो इस साइट के अंदर है के नाम से रखा गया था.यहाँ अमेरिका में भी जो मूल नाम है उसको बदला नही जाता कभी कभी मूल नाम की वजह से स्थान का महत्व बढ़ जाता है. रविष्कुमार की बात ठीक है कि हिन्दी और हिन्दी पत्रकरातिव का स्थान निम्न स्तर पर है, शायद इसलिय भी क्यों क़ि अँग्रेज़ी बोलने वालों को हम सब मिलकर (सरकार सहित) ज़यादा महतव देते हैं.
गाइड यह बताना भूल गया इसी जगह पर 1930 में करीब 4000 पक्षी शिकार किए गये थे. यह अच्छी बात है कि 1982 से यह वर्ल्ड हेरिटेज साइट है
Jaankar khushi hui bharatpur me log aaj bhi ghumne aa rhe hain. I guess pehle bhi log keh chuke hain, par fir bta deta hun, vahan pe ek shiv ji ka mandir hai, jinhe kevladev ke naam se log jaante hain, isliye ye kevladev national park hai. Baki to kalakanda aap kha hi chuke ho, ghevar bhi kha lete, bada acha banta hai vahan!
sir i m big fan of your's really real
ly i just want 2 ask question
are u really married???????
i'm big fans of yours are u really married???
हाँ, शादीशुदा है :-[
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