आजकल मैं पत्र लिखने में व्यस्त हो गया हूँ । जब से लोग तार के बंद होने पर लोग नानी को याद करने की तरह नोस्ताल्जिया का उत्सव मना रहे हैं तब से पत्र लेखन के बंद होने की आशंका में लिखने लगा हूँ । तो प्यारे कुत्ता जी तुम भारतीय राजनीति के भी वफ़ादार हो । तुम हिन्दू हो कि मुसलमान हो ये नहीं मालूम लेकिन तुम कुत्ता हो यह पता है । तुम मुस्लिम राष्ट्रवादी हो या हिन्दू राष्ट्रवादी यह नहीं मालूम पर तुम एक कुत्ता हो यह पता है । टीवी के एंकर और प्रवक्ता बेवजह तुम्हारी तुलना इंसानों की ज़ात से कर रहे हैं । कुत्ता सिर्फ कुत्ता होता है । कुत्ते का बच्चा भी कुत्ता होता है ।कुत्ते का पापा भी कुत्ता होता है । कुत्ते की मम्मी भी कुत्ता होती है । कुत्ता कार के नीचे आ जाता है । जब आता है कार का ड्राइवर ब्रेक भी नहीं मारता । कुचलता हुआ चला जाता है । पीछे से आती गाड़ी भी मरे कुत्ते को कुचलती चली जाती है । कुत्ता कुचलता रहता है । सड़क पर भी और राजनीति में भी । सड़क का ड्राइवर कुचलकर भाग जाता है । कभी किसी ड्राइवर को कुत्ते की मौत के ग़म में रोते नहीं देखा । कुचलने के बाद भागता नहीं है वो बस अपनी रफ़्तार में चलता रहता है । रोज़ कुत्ते कुचले जा रहे हैं । क़ानून भी तुम कुत्तों के कुचल देने पर सज़ा नहीं देता । एक नहीं सौ कुत्ते कुचल जायें किसी आदमी को सज़ा नहीं मिलेगी । तुम कुत्तों को कुचल देना किसी क़ानून में अपराध नहीं है । जितना मैं जानता हूँ । कम से कम राजनीति में तुम्हारे कुचले जाने का दुख है । बहुत है । कुचले तो तुम मम्मी पापा भी जाते हो मगर जब तुम्हारा पप्पी कुचला जाता है तब दुख होता है । भारतीय संस्कृति में जीवन का सम्मान न होता तो यह दुख ज़ाहिर भी न होता । बल्कि सवाल ही न होता । तुम आए दिन कुचले जाते हो क्या ये कुचलने वाले भूटान संस्कृति से आते होंगे । टीवी को कोई काम नहीं है । दुख दुख होता है । दुख कुत्ता नहीं होता । कुत्ता हिन्दू मुसलमान नहीं होता । बात का बतंगड़ है । चारों तरफ़ अंधड़ है । रायटर टाइम्स के लोग कुत्ते का मर्म समझते हैं । भारतीय और मीडिया तुम कुत्तों को हिक़ारत की निगाह से देखते हैं । देसी कहते हैं । गली का कुत्ता कहते है । कुत्ता कुत्ता गाली देते हैं । कुत्ते को लात मारते हैं । सारे भारतीय जैकी श्राफ नहीं होते । तेरी मेहरबानियां नहीं देखते हैं । फिर भी कहते हैं कि भारतीय संस्कृति में जीवन का सम्मान है । शायद कुत्ते का नहीं है । तुम युधिष्ठिर जी के साथ स्वर्ग चले गए थे । काहे आ गए । वहीं रहना था । तभी कहता हूँ पैराग्राफ़ मत बदलो । एक साँस में बोलो और लिखो । व्याकरण प्राधिकरण है । मत डरो । तो सुनो हिन्दुस्तान के कुत्तों, तुम कुत्ता हो । तुम भाजपा हो न कांग्रेस हो । टीवी मत देखो । वहाँ कुत्तों के नाम पर भेड़ों की लड़ाई हो रही है । तुमको इंसान बनाकर भी लतियाया जा रहा है । गरियाया जा रहा है । सड़क पर सँभल कर चलो । कुचले जाने से बचो । भारत के लोग देसी कुत्ता नहीं पालते हैं । विदेशी पालते हैं क्योंकि विदेशी कुत्ते सड़कों पर नहीं कुचले जाते । घरों में पाले जाते हैं । विदेशी मीडिया और विदेशी कुत्तों की बात ही कुछ और है । देश में कुछ और बचा नहीं । कुछ हुआ नहीं । कुत्ता तुम नेशनल न्यूज़ हो । फिर भी तुम टीवी मत देखना । आदमी तुम्हारे कुचले जाने पर दुखी होने का स्वाँग कर रहा है । तुम आज भी कहीं न कहीं कुचले गए होगे । रायटर को बताना कि कौन दुखी हुआ है । सिर्फ और सिर्फ कुत्ते के लिए । इंडियन मीडिया को मत बताना । बहस बकवास है । राजनीति में सब हगवास है । बाक़ी सब बदहवास हैं । कुत्ता कुत्ता है । देसी तो और भी कुत्ता है ।
तुम्हारा
रवीश कुमार
कुत्ताभीरू पत्रकार
27 comments:
कुत्ते को बड़ा सम्मान प्राप्त है। युधिष्ठिर के साथ जाने से उसकी न्यायप्रियता को एक नैतिक बल प्राप्त हो चुका है। हम मानवों ने ईर्ष्यावश उसे बहनाम कर रखा है।
हिंदी में किसी को कुत्ता कह दीजिए, उसे गाली लगेगी । लेकिन किसी को Lucky Dog कहके देखिए ! लार टपकाने लगेगा !
एक अच्छा कुत्ता लेख
Bulleh Shah ka Hindi anuvaad:
Saari raat karein ibaadat
Raat bhar bhonkein kutte
Khasam apne ka ghar no chorrein
Jitne parr jain joote
Bulleh inko peer bana le
Nahin to baazi le gaye kutte
Sir please give me your e-mail I'd. Have been following you for years. Agar aapko Yaad ho to fb par ek baat aapse ek vishay ko le kar vivaad bhi ho gaya tha Josie baad aapne mjhe frnd list se delete bhi kar diya tha parantu mere msgs k baad badapan dikhate hue aapne khud he request bhi bhej di thi. Shayad na Yaad ho aapko. Keegan k Ek do rahe par hun aur aapka Kuch sujhaav chahiye tha....aapke anukarniya aadarshon se bhali bhaanti parichit Hun aur kisi favour ki aasha nahi karta Hun . Sirf thoda sa guidance chahiye sir. Please. Meri e-mail Id h ashishkedia.niet@gmail.com please message kar k apne I'd se avgat karaien. Jyada distrb nhi krunga sirf ek do mails ka adaan pradaan ki akansha h. Dhanyawaad.
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बहुत बढिया रवीश बाबू ,आपका ये वाला पत्र अपने पल्ले नही पडा आपमे कई बार लगता है स्व.राजेन्द्र अवस्थी (कादम्बिनी वाले) की आत्मा घुस जाती है और आप कालचितंन दुरुह ब्लाग लिख जाते है ।बहरहाल आप मीडिया चैनल वाले बडी नाइंसाफी कर रहे हो भाई ,भाजपा प्रवक्ताओ के साथ,जबरा मारे रोने ना दे वाला सलुक । कल तो सारी मीडिया को मिर्गी-----साॅरी साॅरी मोदी का दौरा पड गया था । गेट वेल सून भारतीय मीडिया
शानदार कुत्तई... :P मज़ा आ गया... वैसे मोदी जी से दशक भर पहले मैंने तय पाया था कि आदमी कुत्ता होता है और तब हमारा मित्र रंगनाथ नाराज़ हो गया था... उसका दावा था कि कुत्ता कुत्ता होता है और आदमी आदमी।
धरमिंदर पा जी ने भी कहा था "कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा" | ये सब भाजपा वाले ऐसे ही हैं :) :) :)
kutta hamesha kutte ki maut marta hai .....kyuki wo kutta hota hai kya unko sirf kutto ki maut ka gum hai aur bhi kai kuchle gaye wo bhi kutte ki maut hi maare gaye the badkismati se ( gaali nahi hai haqeeqat hai )
काल्पनिक कुत्ते की मौत पर विलाप !
अच्छा लगा लम्बे अरसे बाद राजनितिक होते हुए भी व्यक्तिगत लाइकिंग डिसलाइकिंग नहीं शाश्वत अहंकार भी नहीं लेख रोचक है
मोदी जी से सवाल जबाब
सवाल : असली मोदी कौन, हिंदू नेता या कारोबार समर्थक मुख्यमंत्री?
मोदी ने कहा : मैं देशभक्त हूं। राष्ट्रभक्त हूं। मैं जन्म से हिंदू हैं। इस तरह मैं हिंदू राष्ट्रवादी हूं। जहां तक काम के प्रति जुनूनी जैसी बातें हैं, तो ये उनकी हैं जो ये कह रहे हैं। इसलिए दोनों का कोई विरोध नहीं है। यह एक ही है।
प्रश्न : लोग आपको अब भी 2002 के दंगों की नजरों से देखते हैं, क्या झुंझलाहट नहीं होती?
उत्तर : लोगों को आलोचना का अधिकार है। यहां हर किसी का अपना दृष्टिकोण है। मुझे परेशानी तब होती, जब मैंने कुछ गलत किया होता। झुंझलाहट तब होती, जब आप सोचते हैं कि मैं पकड़ा गया।
प्रश्न : 2002 में जो कुछ हुआ उस पर आपको अफसोस है?
उत्तर : भारत का सुप्रीम कोर्ट दुनिया में अच्छी अदालत के तौर पर जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट के बनाए विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में मुझे पूरी तरह क्लीनचिट दी गई। इससे अलग एक बात... कोई भी व्यक्ति जो कार ड्राइव कर रहा हो और हम पीछे बैठे हों। कुत्ते का एक छोटा बच्चा पहिए के नीचे आ जाए तो दुख होगा कि नहीं? जरूर दुख होगा। मैं मुख्यमंत्री हूं या नहीं, लेकिन मैं एक इंसान हूं... यदि कहीं कुछ बुरा होता है तो यह स्वाभाविक है कि बुरा लगेगा।
प्रश्न : लेकिन क्या आप समझते हैं कि 2002 में आपने सही किया?
उत्तर : बिलुकल। ईश्वर ने जितनी बुद्धि दी, जो भी मेरा अनुभव था और उन परिस्थितियों में जो संभव था वह मैंने किया। एसआईटी ने भी यही कहा।
प्रश्न : भारत को सेकुलर लीडर चाहिए?
उत्तर : जरूर... लेकिन सेकुलरिज्म की परिभाषा क्या हो? मेरे लिए धर्मनिरपेक्षता है इंडिया फस्र्ट। मेरी पार्टी की फिलॉसफी है ‘सभी के लिए न्याय, तुष्टिकरण किसी का नहीं’।
प्रश्न : अल्पसंख्यकों से वोट कैसे मांगेंगे?
उत्तर : हिंदुस्तान के नागरिक वोट करते हैं। हिंदू और मुस्लिम, मैं इसे बांटने के पक्ष में नहीं हूं। मैं इस पक्ष में भी नहीं हूं कि हिंदू और सिख को बांटा जाए। सभी नागरिक, वोटर मेरे देश के लोग हैं। धर्म आपके लोकतांत्रिक प्रकिया का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
प्रश्न : विरोधी कहते हैं आप तानाशाह हैं, समर्थक कहते हैं निर्णायक नेता हैं। असली मोदी कौन है?
उत्तर : आप खुद को नेता कहते हैं तो आपको निर्णायक होना होगा। आप निर्णायक हैं तो आपके नेता बनने की संभावना अधिक है। लोग उनसे निर्णय चाहते हैं। तभी वह नेता स्वीकार्य होता है। यह गुण है, इसे बुरा नहीं मानना चाहिए। दूसरी बात यह है कि यदि कोई व्यक्ति तानाशाह है तो वह कई वर्षों तक सरकार कैसे चला सकता है।
सवाल : सहयोगी आपको विवादित मानते हैं?
उत्तर : इस बारे में अब तक मेरी पार्टी या मेरे सहयोगी दलों में से किसी का भी औपचारिक बयान न मैंने सुना है और न ही पढ़ा है। मीडिया में ऐसी बातें आती होंगी। लेकिन यदि आप किसी का नाम बताएं तो मैं इस सवाल का जवाब दे सकता हूं।
प्रश्न : आपकी पार्टी के लोग ही कहते हैं कि आप धु्रवीकरण करते हैं?
उत्तर : यदि अमेरिका में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के बीच ध्रुवीकरण न हो तो लोकतंत्र कैसे काम करेगा? यह होना ही है। यह लोकतंत्र की बुनियादी प्रवृत्ति है। यदि सब लोग एक ही दिशा में जाने लगे तो क्या आप इसे लोकतंत्र कहेंगे?
सवाल : कहा जाता है आप आलोचना पसंद नहीं करते।
उत्तर : मैं हमेशा कहता हूं कि लोकतंत्र की ताकत ही आलोचना है। यदि आलोचना नहीं है तो इसका मतलब है कि लोकतंत्र नहीं है। और यदि आप बढऩा चाहते हैं तो आलोचना को जरूर आमंत्रित करिए। और मैं उन्नति चाहता हूं, मैं आलोचनाओं को आमंत्रित करता हूं। लेकिन मैं आरोपों के खिलाफ हूं। आलोचना और आरोपों के बड़ा फर्क है। आलोचना के लिए आपको रिसर्च करना होगा। घटनाओं की तुलना करनी होगी। लेकिन आरोप लगाना आसाना है। लोकतंत्र में आरोप हालात बेहतर नहीं करते। इसलिए मैं आरापों के खिलाफ हूं। लेकिन आलोचना आमंत्रित करता रहता हूं।
सवाल : जनमत सर्वेक्षणों में आप अधिक लोकप्रिय बताए जा रहे हैं, कैसे?
उत्तर : 2003 के बाद से कई सर्वे हुए। लोगों ने मुझे सबसे बेहतर मुख्यमंत्री चुना। सबसे अच्छे मुख्यमंत्री के तौर पर सिर्फ गुजरात के लोगों ने नहीं चुना, राज्य के बाहर लोगों ने भी वोट दिए। एक बार तो मैंने इंडिया टुडे समूह के अरुण पुरी को चिट्ठी भी लिखी। मैंने उनसे कहा हर बार मैं ही विजेता होता हूं। इसलिए अगली बार से गुजरात को छोड़ दिया जाए। ताकि किसी और को भी जीतने का अवसर मिले। नहीं तो मैं ही जीतता रहूंगा। कृपया मुझे प्रतियोगिता से बाहर करिए।
सवाल : यदि आप प्रधानमंत्री बने तो किस नेता का अनुकरण करेंगे?
उत्तर : पहली बात तो ये कि मेरी लाइफ की एक फिलॉसफी है मैं कभी कुछ बनने के सपने नहीं देखता। मैं कुछ करने के सपने देखता हूं। मुझे रोल मॉडल से प्रेरणा लेने के लिए मुझे कुछ बनने की जरूरत नहीं है। यदि मैं वाजपेयी से कुछ सीखना चाहूंगा तो मैं उसे फौरन गुजरात में अमल में लाऊंगा। इसके लिए मुझे दिल्ली के सपने देखने की जरूरत नहीं है। यदि मुझे सरदार पटेल की कोई बात अच्छी लगेगी तो मैं उसे गुजरात में लागू कर सकता हूं। यदि मुझे गांधीजी में कुछ बात अच्छी लगेगी तो मैं उसे लागू कर सकता हूं। प्रधानमंत्री पद के बारे में बहस करने के बदले हमे इस पर बात करनी चाहिए कि हम हर किसी से कुछ सीख सकते हैं।
सवाल : अगली सरकार के सामने क्या लक्ष्य होना चाहिए?
उत्तर : जो कोई भी नई सरकार बनाए, उसका पहला लक्ष्य होना चाहिए लोगों के टूटे हुए भरोसे को फिर से कायम करना। नीतियों में निरंतरता होनी चाहिए। यदि लोगों से कोई वादा किया है तो उसका सम्मान करना चाहिए। उसे पूरा करना चाहिए। तब आप खुद को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर सकेंगे।
सवाल : लोग कहते हैं कि गुजारत की आर्थिक तरक्की हवा बनाई गई है...
उत्तर: लोकतंत्र में फाइनल जज कौन है? सिर्फ वोटर। यदि यह सिर्फ हवाई बातें होतीं तो लोग रोज देख रहे हैं। मोदी कहते हैं कि उन्होंने पानी पहुंचाया। तो लोग कहते मोदी झूठ बोल रहा है। पानी नहीं मिला। तो वे मोदी को क्यों पसंद करते? भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र में इतने सारे सक्रिये पार्टियों के बीच यदि कोई तीसरी बार जीत कर आता है, दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के करीब पहुंचता है तो इसका मतलब है कि लोग महसूस करते हैं कि जो कहा गया वह सही था। सड़कें बनी हैं, कम हुआ है, बच्चों को शिक्षा मिल रही है, सेहत सुधरी है। 108 सेवा हर कहीं दिख रही है। कोई कह सकता है कि हवा बनाई जा रही है, लेकिन लोग इस पर भरोसा नहीं करेंगे। और उनमें बहुत ताकत है।
मोदी जे इसमें ऐसा क्या गलत कह दिया जो इतनी हाय तौबा , क्या हिन्दू होना और कहना वाकई शर्मनाक है, क्या हम गर्व से हिन्दू है नहीं कह सकते ,
गाड़ी के नीचे दो ही जानवर आ सकते है या तो कुत्ता, या बिल्ली अब वो गाड़ी के नीचे हाथी आने की बात तो कह नहीं सकते थे ! मान लीजिय की वो कहते की बकरी का बच्चा नीचे आ गया तो क्या आप लोग उनका पीछा छोड़ देते , नहीं छोड़ते वो कुछ भी कहें किसी भी सन्दर्भ में कहे बात का बतंगड़ तो बनना ही है , बिना पढ़े , बिना सुने , बिना देखे अतिवादी प्रतिक्रिया देना ही अब अभिव्यक्ति है. वोही सेक्युलर है ! अल्प्श्यनखक केवल मुस्लमान नहीं है हिंदुस्तान में , लेकिन किसी दुसरे अल्प्श्यनखक समुदायों की बात कोई नहीं करता.. क्यों करे इससे फायदा भी क्या ? वो तो इसाईओं को छोड़ दे तो बाकि सब है तो हिन्दू धर्मं का ही ही कोई न कोई हिस्सा ! हाँ मुसलमानों की बात कर तथाकथित सेक्युलर कह्लायंगे, प्रगतिशील कह्लायंगे ! अन्यथा तो बाकि सब कट्टर है फासीवादी है, पिछड़े, गंवार, जाहिल , मानसिक तौर पर दिवालिया आदि है ....
आप गूगल देवता की चर्चा तो बहुत करते है कभी ओवेसी का you tube पर वीडियो सर्च करकर सुनियेगा फिर उनकी मोदी से तुलना कीजियेगा और ओवेसी की कट्टर सोच, फासीवादी, कुत्ता बिल्ली पर चर्चा कीजियेगा तब हम भी समझे की दम हैं ! ओवेसी की धरम निरपेक्ष छवि पर आप प्रोग्राम करेंगे उस दिन की प्रतीक्षा में...
उधार का कमेन्ट है लेकिन शायद मुझे भी इंतज़ार है इसलिए.... मोदी को लेकर तो सैकड़ों शो कर चुके हैं आप, एक शो ओवैसी के बारे में भी कर के उसको भी धर्मनिरपेक्षता सिखाने का माद्दा दिखाईये...
आप गूगल देवता की चर्चा तो बहुत करते है कभी ओवेसी का you tube पर वीडियो सर्च करकर सुनियेगा फिर उनकी मोदी से तुलना कीजियेगा और ओवेसी की कट्टर सोच, फासीवादी, कुत्ता बिल्ली पर चर्चा कीजियेगा तब हम भी समझे की दम हैं ! ओवेसी की धरम निरपेक्ष छवि पर आप प्रोग्राम करेंगे उस दिन की प्रतीक्षा में...
रवीश जी, आपने शीर्षक तो कुत्ता लिया है, मगर आपने उसे व्यंग मे, आज के मोजूं मे लिया है....... मैं कुत्ते के सांद्रभ मे कुत्ते के बारे मे ही कुछ कहना चाहता हूँ....... सबेरे जब साइकल लेकर अपने हृदय को मजबूत रखने की कयावाद करने निकलता हूँ.... ना जाने कहाँ से कुचले जाने से बचे ढेर सारे कुत्ते यहाँ वहाँ से निकल कर डराने आ जाते हैं.... बाद की हृदय की मजबूती का तो पता नहीं..... उस समय मेरा हृदय ज़रूर कमजोर होकर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है...... बचपन मे सुने 14 टीके ध्यान आ जाते हैं सर...... रोज Discovery channel देखता हूँ....... कभी तो बताएँगे........ मगर वो भी कम्बखत शेर, तेंदुआ, भालू, और ना जाने किस किस से बचने के उपाय बताते रहते हैं,,,,,,, सीधे खड़े रहें, पीठ ना दिखाएँ, कंधे ना झुकाएँ,..... भैया कभी कुत्ते से भी बचना सिखा दो.....मेनका गाँधी जी, आप ही कुछ रक्षा करें,.... चाहें तो हमे कुत्ते से बदतर समझ लें.... परवा नही.... मगर कुत्तों के प्रकोप से बचाएँ...........
आपका
संजय चांदना
(लिखने में नही, सचमुच में कुत्ताभीरू आम नागरिक)
"राजनीति में सब हगवास है" सत्य वचन
"राजनीति में सब हगवास है" सत्य वचन
स्पॉट फिक्सिंग : क्रिकेट बनाम राजनीति
अभी हाल ही में IPL में हुए स्पॉट फिक्सिंग का मुद्दा मीडिया में बुरी तरह से छाया रहा . क्रिकेट जो की भद्र ( ?) खेलों में शामिल है , उस पर एक और दाग .... भारत के क्रिकेट प्रेमियों को बहुत बड़ी निराशा हाथ लगी इस बार और शायद इसका अगले IPL पर बहुत व्यापक असर देखने को मिलेगा . इसके चाहने वालों में भारी गिरावट आएगी .....
दिल्ली पुलिस ने जिस तत्परता से स्पॉट फिक्सिंग करने वाले खिलाडियों की नकेल कसी वो वास्तव में काबिले तारीफ है और इसके लिए दिल्ली पुलिस बधाई की पात्र है .....
पर , आखिर असलियत में IPL है क्या ....???
अब यहाँ यह कहने की जरूरत तो है नही कि किस कदर क्रिकेट को व्यवसाय का रूप देकर खुले आम खिलाडियों की बोली लग रही है और धन बल का इसमें भौंडा प्रदर्शन हो रहा है , खिलाडी अपने मालिक के लिए खेल रहा है .....
स्पॉट फिक्सिंग में हुआ ये की कुछ खिलाडियों ने अपने मालिकों के प्रति वफादारी नही निभाई और उन्हें जिस काम के पैसे दिए जा रहे थे उसमें दगाबाजी की .... मैं समझता हूँ की इसमें इससे ज्यादा कुछ नही हुआ ,क्योंकि IPL एक व्यापार से ज्यादा कुछ नही है।
इसके लिए दिल्ली पुलिस की इतनी कार्यकुशलता , मानना पड़ेगा ....
एक समय के लिए तो ऐसा लगा की स्पॉट फिक्सिंग से पूरे आ गई देश में भूचाल आ गया . मीडिया ने जिस तरह से इसे दिखाया मनो यही देश की सबसे बड़ी समस्या है .....
मैं यहाँ ये नही कहता की स्पॉट फिक्सिंग मामूली सी बात है और बेवजह शोर मचाया जा रहा है ....
पर
देश में अनवरत हो रही स्पॉट फिक्सिंगपर किसी मीडिया , किसी कनून की कोई नज़र कभी जाती ही नही ..... यह स्पॉट फिक्सिंग हो रही है राजनीती में .... अनवरत , अविरल , बिना किसी रोक टोक के ... सब देख रहे हैं पर सबकी आँखे बंद है और सभी इसे मौन स्वीकृति प्रदान किये बैठे है…
सरकार बनाने के लिए दुसरे का समर्थन चाहिए , तो चुकाओ कीमत और ले लो समर्थन , बना लो सरकार। सबने देखा की कितनी चुकाई पर फिर भी आँखे बंद है ....
किसी दल के मुट्ठी भर सांसद या विधायक हैं पर सरकार बनाने के नाम पर उन्हें मंत्री पद चाहिए .. मंत्री पद देकर कीमत चुकाओ और बन गई सरकार .... हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....पूरा देश देख रहा है , मीडिया में इस राजनितिक खेल पर बहस जारी है , पर सब चुप…
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया , आंकड़े खुलेआम प्रस्ताव के पक्ष में हैं, वोटिंग हुई और प्रस्ताव ध्वस्त , सरकार जीत गयी .... सबको पता है कैसे हुआ , फिर भी।।।
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
खेल में सिद्धांत होते हैं , पैमाने होते हैं इमानदारी के , उसमे बेईमानी हमें स्वीकार्य नही पर यहाँ पूरे देश का सवाल है , संविधान की इज्ज़त का सवाल है तो भी कोई सिद्धांत ,कोई नैतिकता का पैमाना नही और सारा देश चुप .....!!
स्पॉट फिक्सिंग का सबसे ताजा उदाहरण ....
FDI पर सरकार को समर्थन चाहिए , अधिकांश दल विरोध में मीडिया के सामने भाषण दे रहे हैं , FDI का खुल विरोध कर रहे हैं और वोटिंग में जानबूझकर बाहर ताकि सरकार जीत जाए ...
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
हजारों हजार स्पॉट फिक्सिंग के गंदे उदाहरणों से भरी पड़ी है देश की राजनीती ...
आखिर क्यों इसके लिए कोई मापदंड नही है ? क्यों कोई पैमाना नही है ?
क्यों मीडिया क्रिकेट के स्पॉट फिक्सिंग की तरह इस मुद्दे को नहो उठती है ?
क्यों कोई पुलिस , कोई कानून इस पर स्वयं संज्ञान नही लेता है ?
और आखिर कब तक देश की राजनीती में ये स्पॉट फिक्सिंग चलती रहेगी ....???
राहुल अग्रवाल
RAVEESH JEE, I want ur email addres ...plz..
main chata hoon ki is mudde ko prime time me jagah dijiye... plz
स्पॉट फिक्सिंग : क्रिकेट बनाम राजनीति
अभी हाल ही में IPL में हुए स्पॉट फिक्सिंग का मुद्दा मीडिया में बुरी तरह से छाया रहा . क्रिकेट जो की भद्र ( ?) खेलों में शामिल है , उस पर एक और दाग .... भारत के क्रिकेट प्रेमियों को बहुत बड़ी निराशा हाथ लगी इस बार और शायद इसका अगले IPL पर बहुत व्यापक असर देखने को मिलेगा . इसके चाहने वालों में भारी गिरावट आएगी .....
दिल्ली पुलिस ने जिस तत्परता से स्पॉट फिक्सिंग करने वाले खिलाडियों की नकेल कसी वो वास्तव में काबिले तारीफ है और इसके लिए दिल्ली पुलिस बधाई की पात्र है .....
पर , आखिर असलियत में IPL है क्या ....???
अब यहाँ यह कहने की जरूरत तो है नही कि किस कदर क्रिकेट को व्यवसाय का रूप देकर खुले आम खिलाडियों की बोली लग रही है और धन बल का इसमें भौंडा प्रदर्शन हो रहा है , खिलाडी अपने मालिक के लिए खेल रहा है .....
स्पॉट फिक्सिंग में हुआ ये की कुछ खिलाडियों ने अपने मालिकों के प्रति वफादारी नही निभाई और उन्हें जिस काम के पैसे दिए जा रहे थे उसमें दगाबाजी की .... मैं समझता हूँ की इसमें इससे ज्यादा कुछ नही हुआ ,क्योंकि IPL एक व्यापार से ज्यादा कुछ नही है।
इसके लिए दिल्ली पुलिस की इतनी कार्यकुशलता , मानना पड़ेगा ....
एक समय के लिए तो ऐसा लगा की स्पॉट फिक्सिंग से पूरे आ गई देश में भूचाल आ गया . मीडिया ने जिस तरह से इसे दिखाया मनो यही देश की सबसे बड़ी समस्या है .....
मैं यहाँ ये नही कहता की स्पॉट फिक्सिंग मामूली सी बात है और बेवजह शोर मचाया जा रहा है ....
पर
देश में अनवरत हो रही स्पॉट फिक्सिंगपर किसी मीडिया , किसी कनून की कोई नज़र कभी जाती ही नही ..... यह स्पॉट फिक्सिंग हो रही है राजनीती में .... अनवरत , अविरल , बिना किसी रोक टोक के ... सब देख रहे हैं पर सबकी आँखे बंद है और सभी इसे मौन स्वीकृति प्रदान किये बैठे है…
सरकार बनाने के लिए दुसरे का समर्थन चाहिए , तो चुकाओ कीमत और ले लो समर्थन , बना लो सरकार। सबने देखा की कितनी चुकाई पर फिर भी आँखे बंद है ....
किसी दल के मुट्ठी भर सांसद या विधायक हैं पर सरकार बनाने के नाम पर उन्हें मंत्री पद चाहिए .. मंत्री पद देकर कीमत चुकाओ और बन गई सरकार .... हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....पूरा देश देख रहा है , मीडिया में इस राजनितिक खेल पर बहस जारी है , पर सब चुप…
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया , आंकड़े खुलेआम प्रस्ताव के पक्ष में हैं, वोटिंग हुई और प्रस्ताव ध्वस्त , सरकार जीत गयी .... सबको पता है कैसे हुआ , फिर भी।।।
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
खेल में सिद्धांत होते हैं , पैमाने होते हैं इमानदारी के , उसमे बेईमानी हमें स्वीकार्य नही पर यहाँ पूरे देश का सवाल है , संविधान की इज्ज़त का सवाल है तो भी कोई सिद्धांत ,कोई नैतिकता का पैमाना नही और सारा देश चुप .....!!
स्पॉट फिक्सिंग का सबसे ताजा उदाहरण ....
FDI पर सरकार को समर्थन चाहिए , अधिकांश दल विरोध में मीडिया के सामने भाषण दे रहे हैं , FDI का खुल विरोध कर रहे हैं और वोटिंग में जानबूझकर बाहर ताकि सरकार जीत जाए ...
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
हजारों हजार स्पॉट फिक्सिंग के गंदे उदाहरणों से भरी पड़ी है देश की राजनीती ...
आखिर क्यों इसके लिए कोई मापदंड नही है ? क्यों कोई पैमाना नही है ?
क्यों मीडिया क्रिकेट के स्पॉट फिक्सिंग की तरह इस मुद्दे को नहो उठती है ?
क्यों कोई पुलिस , कोई कानून इस पर स्वयं संज्ञान नही लेता है ?
और आखिर कब तक देश की राजनीती में ये स्पॉट फिक्सिंग चलती रहेगी ....???
राहुल अग्रवाल
स्पॉट फिक्सिंग : क्रिकेट बनाम राजनीति
अभी हाल ही में IPL में हुए स्पॉट फिक्सिंग का मुद्दा मीडिया में बुरी तरह से छाया रहा . क्रिकेट जो की भद्र ( ?) खेलों में शामिल है , उस पर एक और दाग .... भारत के क्रिकेट प्रेमियों को बहुत बड़ी निराशा हाथ लगी इस बार और शायद इसका अगले IPL पर बहुत व्यापक असर देखने को मिलेगा . इसके चाहने वालों में भारी गिरावट आएगी .....
दिल्ली पुलिस ने जिस तत्परता से स्पॉट फिक्सिंग करने वाले खिलाडियों की नकेल कसी वो वास्तव में काबिले तारीफ है और इसके लिए दिल्ली पुलिस बधाई की पात्र है .....
पर , आखिर असलियत में IPL है क्या ....???
अब यहाँ यह कहने की जरूरत तो है नही कि किस कदर क्रिकेट को व्यवसाय का रूप देकर खुले आम खिलाडियों की बोली लग रही है और धन बल का इसमें भौंडा प्रदर्शन हो रहा है , खिलाडी अपने मालिक के लिए खेल रहा है .....
स्पॉट फिक्सिंग में हुआ ये की कुछ खिलाडियों ने अपने मालिकों के प्रति वफादारी नही निभाई और उन्हें जिस काम के पैसे दिए जा रहे थे उसमें दगाबाजी की .... मैं समझता हूँ की इसमें इससे ज्यादा कुछ नही हुआ ,क्योंकि IPL एक व्यापार से ज्यादा कुछ नही है।
इसके लिए दिल्ली पुलिस की इतनी कार्यकुशलता , मानना पड़ेगा ....
एक समय के लिए तो ऐसा लगा की स्पॉट फिक्सिंग से पूरे आ गई देश में भूचाल आ गया . मीडिया ने जिस तरह से इसे दिखाया मनो यही देश की सबसे बड़ी समस्या है .....
मैं यहाँ ये नही कहता की स्पॉट फिक्सिंग मामूली सी बात है और बेवजह शोर मचाया जा रहा है ....
पर
देश में अनवरत हो रही स्पॉट फिक्सिंगपर किसी मीडिया , किसी कनून की कोई नज़र कभी जाती ही नही ..... यह स्पॉट फिक्सिंग हो रही है राजनीती में .... अनवरत , अविरल , बिना किसी रोक टोक के ... सब देख रहे हैं पर सबकी आँखे बंद है और सभी इसे मौन स्वीकृति प्रदान किये बैठे है…
सरकार बनाने के लिए दुसरे का समर्थन चाहिए , तो चुकाओ कीमत और ले लो समर्थन , बना लो सरकार। सबने देखा की कितनी चुकाई पर फिर भी आँखे बंद है ....
किसी दल के मुट्ठी भर सांसद या विधायक हैं पर सरकार बनाने के नाम पर उन्हें मंत्री पद चाहिए .. मंत्री पद देकर कीमत चुकाओ और बन गई सरकार .... हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....पूरा देश देख रहा है , मीडिया में इस राजनितिक खेल पर बहस जारी है , पर सब चुप…
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया , आंकड़े खुलेआम प्रस्ताव के पक्ष में हैं, वोटिंग हुई और प्रस्ताव ध्वस्त , सरकार जीत गयी .... सबको पता है कैसे हुआ , फिर भी।।।
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
खेल में सिद्धांत होते हैं , पैमाने होते हैं इमानदारी के , उसमे बेईमानी हमें स्वीकार्य नही पर यहाँ पूरे देश का सवाल है , संविधान की इज्ज़त का सवाल है तो भी कोई सिद्धांत ,कोई नैतिकता का पैमाना नही और सारा देश चुप .....!!
स्पॉट फिक्सिंग का सबसे ताजा उदाहरण ....
FDI पर सरकार को समर्थन चाहिए , अधिकांश दल विरोध में मीडिया के सामने भाषण दे रहे हैं , FDI का खुल विरोध कर रहे हैं और वोटिंग में जानबूझकर बाहर ताकि सरकार जीत जाए ...
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
हजारों हजार स्पॉट फिक्सिंग के गंदे उदाहरणों से भरी पड़ी है देश की राजनीती ...
आखिर क्यों इसके लिए कोई मापदंड नही है ? क्यों कोई पैमाना नही है ?
क्यों मीडिया क्रिकेट के स्पॉट फिक्सिंग की तरह इस मुद्दे को नहो उठती है ?
क्यों कोई पुलिस , कोई कानून इस पर स्वयं संज्ञान नही लेता है ?
और आखिर कब तक देश की राजनीती में ये स्पॉट फिक्सिंग चलती रहेगी ....???
राहुल अग्रवाल
RAVEESH JEE, I want ur email addres ...plz..
main chata hoon ki is mudde ko prime time me jagah dijiye... plz
Hi Ravish,
So much impressed by you. The way you speak, the way you comment, the way you argue, the way you dress and your decent and stunning dressing as well as hair style. Esa lagta he jese, har rat tumhari class me sab aake appne kan pakdke bethak lagate he.
A blog on the Dog is quite thoughtful. Just to share with you..I pronounce TV news channels as "Musical political news channels"(Kabhi gor karna..see various new channels for an hour..u wd not find any thing else than dhamakedar music and politics). Want to write on other issues too...
Suddenly today I thought to know about you, so did some surfing on web..and got this blogspot...naisadak...
सब कुछ ठीक है रवीश भाई.. पर आप भी कुत्ते की तरह कांग्रेस के पीछे दुम तो मत हिलाओ.. तुम्हारे जैसे पढ़े लिखे को ये शोभा देता है क्या.. आत्मा बेचकर क्या मिल जाता है... दो वक़्त की रोटी... उसका जुगाड़ तो स्वाभिमानी भी कर ही लेते हैं... सुबह से शाम आपकी जुबान बस मोदी पे आके टिक गयी है... देश में और भी बहुत चीजे हैं.. आपके सामने पर आपकी इच्छा पे निर्भर करता है आप किसे ज्यादा महत्व देते हो...
hahahha.....gajab ka kutta lekhh. aapke blog ko bahut dino se follow kar raha hu. Comment pehli baar. kabhi kabhi sochta hu ki kaha se ye soch le ke aate hai aur fir kitne behtarin tarike se use sabdo me utaarte hai.
I am sorry if I m wrong brother do u really have only one topic to discuss modi and modi only modi
sar ji ye dekhiye kutton ke sath kya ho raha hai ...
http://aajtak.intoday.in/story/-in-madhya-pradesh-meal-tasting-order-goes-to-dogs-1-737224.html
Ravishiji,
That ways cable TV is pretty sensitive about dogs. I get dedicated channel for dogs called DOG TV. Wish I could understand their world instead of anything else. Behehaal.....
Many congratulations for being "The Journalist of the Year!"
RESPECT!!!!!!
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