ए गुड़िया तू कैसी है
रानी जैसी लगती है
राजमहल तो है नहीं
फिर काहे को रानी है
दुनिया एक कहानी है
न राजा है न रानी है
सुख दुख की रवानी है
फिर काहे को रोती है
फिर काहे को हंसती है
चाँद के जैसे निकलती है
रात भर घटते बढ़ती है
चंदा मामा तेरा दुष्टू है
तारा मामी तेरी बुद्दू है
क्यों इनसे बातें करती है
क्या क्या इनसे कहती हैं
सूरज ही तेरा भैया है
रात के डर से छुपता है
दिन के साथ निकलता है
तब तो तू बस सोती है
ऐ गुड़िया तू कैसी है
गोद में मेरी रोती है
कंधे पे मेरे सोती है
उचक उचक कर हंसती है
जाने क्या क्या कहती है
घर ऐसा भी कहीं होता है
तेरा हर कोई पहरा देता है
बिस्तर कितना छोटा है
तकिया कितना मोटा है
काजल कितना काला है
सांवली है तू कि गोरी है
पर गुड़िया बड़ी प्यारी है
छोटा सा संसार तुम्हारा
प्यारा सा घर-बार तुम्हारा
तू तो एक कहानी है
गुड़िया बड़ी सयानी है
फिर काहे तू रोती है
फिर काहे तू सोती है
((आजकल अपने बेटी को गोद में लिये लिये कुछ गुनगुनाने लगता हूं। फिर टाइप कर देता हूं। जब वो बड़ी होगी तो दिखाऊंगा।))
18 comments:
बहुत खुब ! एक एक शब्द मे जबरदस्त भाव भरल बा ! बेहतरीन ! मरम से भरल भावनात्मक लहर मे उमडत बेटी से बाप के प्यार , एक एक छन इतिहास के एगो पाना ना खुद इतिहास बा !
अदभुत अभिव्यक्ति !
wah bhaiya,kavita dil me sama gayi aur aanson baahar
TOOOOOOOO EMOTIONAL........................
Bohot achchi aarzoo hai aapki.
TOOOOOOOO EMOTIONAL........................
बड़ी ही प्यारी, गुड़िया जैसी..
Apni beti k liye apki ye snehabhivyakti adbhut hai. Nanhi pari ko mera sneh....
क्या खूब ," बिन बेटियों के घर -घर नहीं लगता है ,महलों में गुडिया न हो ,खंडहर सा लगता है |"
bahoot khoob...dil se nikli hui baten lag rahi hain .....
Bahut badiya hai....
Ati uttam
kya baat kya baat kya baat
और गुड़िया हम सबके कमेट भी पढ़ेगी बड़ी होकर.
wah............. kya bat hai. hakikat ke karib me jakar kisi vishay vastu par likhne ka anand hi kuch or hota hai.
wah............. kya bat hai. hakikat ke karib me jakar kisi vishay vastu par likhne ka anand hi kuch or hota hai.
aapki nanhi si raajkumari ko dhersara pyaar........
achha hai sirji..
so sweeeeeeeet!!! lots of love 2 ur lovely daughter
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