मिथुन चक्रवर्ती को सबसे पहले मृगया में देखा था। उसके बाद हम पांच में। पतला दुबला एक लड़का जल्दी ही बालीवुड का पहला डांसिंग स्टार बन गया। मिथुन से पहले डांस के नाम पर शम्मी कपूर की छवि सामने आती थी। उन्होंने गानों को ऐसी रफ्ताशर दी कि लोग सिनेमा घरों से लौट कर डांस करने का अभ्यास करने लगे। मिथुन दा के बोलने का अंदाज़, बाहर निकली शर्ट,और झूलते बाल।
मिथुन के टाइम में एक डिस्को शर्ट भी काफी लोकप्रिय हुआ था। पटना में सरस्वती और दुर्गा की मूर्ति भंसाने के लिए निकलने वाली टोलियों में ये डिस्को शर्ट खूब दिखते थे। रिक्शे पर लाउडस्पीकर से करकराती हुई आवाज़ को चिरता हुआ डिस्को डांसर का गाना और सर पर पट्टी बांधे मोहल्ले के नौजवान आयोजक अबीर-गुलाल से नहाये हुए डांस करते थे। अमिताभ बच्चन की जादुई छवि के बीच मिथुन दा एक ब्रेक की तरह आए और अपने स्टाइल से छा गए।
मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म यात्रा पर लेख या कोई और काम नज़र नहीं आया। मुझे मिथुन चक्रवर्ती काफी अच्छे लगते थे। डिस्को डांसर का गाना शानदार था।‘दोस्तों,मेरी ज़िंदगी,गीतों की अमानत है,कि लोग कहते हैं मैं तब भी गाता था,जब बोल पाता नहीं था’,इस गाने में मिथुन का डांस अभिनय लाजवाब है। फिल्मों में काम करने वाले लोग इस गाने की एडिटिंग से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसमें कितनी मेहनत और परिपूर्णता है। मिथुन अपने अभिनय यात्रा में नाचते ही रहे। कई फिल्में ऐसी भी की जिसमें उन्होंने डांस न के बराबर किया।‘मुजरिम न कहना मुझे लोगों,मुजरिम तो सारा ज़माना है’या फिर‘तुमसे मिल कर न जाने क्यों,और भी कुछ याद आता है’,‘प्यार कभी कम नहीं करना’,ये वो गाने थे जिनमें मिथुन एक संजीदा इश्किया हीरो लगते थे। फाइट सीन में सबको एक ही बार में ध्वस्त करने देने का मिथुन दा का अंदाज़ अलग था।
डांस डांस में मिथुन और स्मिता पाटिल ने बेजोड़ अभिनय किया था। भाई और बहन बन कर दोनों ने डांस के पेशे को उस वक्त सार्वजनिक जीवन में घुसेड़ने की कोशिश की थी जब बारात या फिर मूर्ति भसाने के अलावा डांस करने के मौके कम थे। अब तो आप बर्थ डे पार्टी से लेकर दफ्तर की पार्टी में डांस करते हैं। डिस्को खुल गए हैं। शायद उन्हीं की पैदा की हुई पीढ़ी होगी जिसमें से बेस्ट डांसर चुनने के लिए मिथुन दा डांस इंडिया डांस टाइप के शो में जज बन जाते हैं। अस्सी के दशक के बंद समाज के भीतर चुपचाप गीतों को थिरकने के लिए मिथुन दा ने एक जगह बना दी थी।
अपने बचपने में सुना करता था कि मिथुन चक्रवर्ती नक्सल थे। पता नहीं यह बात कितनी सच है लेकिन इस स्टार ने किसी से कम हमारा मनोरंजन नहीं किया है। कई हिट फिल्में दी हैं तो कई सरदर्द फिल्में भी। मिथुन की अभिनय प्रतिभा पर तो चर्चा करना गुनाह समझा जाता है। ग़ुलामी में मिथुनी की एंट्री हिन्दी सिनेमा की शानदार एंट्रियों में से एक है। आप भूल नहीं सकते। ‘कोई शक’ कहने का उनका अंदाज़। गुलामी में उनके भीतर स्टारडम का आत्मविश्वास दिखा था। मैंने यह फिल्म कोई दस दिनों तक लगातार देखी थी। सिर्फ मिथुन की एंट्री और अनिता राज के साथ वो गाना सुनने के लिए,‘सुनाई देती है जिसकी धड़कन वो मेरा दिल और तुम्हारा दिल है‘। इसी फ़िल्म में जब मिथुन के साथ धर्मेंद्र डांस करने की कोशिश करते हैं तो बेजोड़ सिक्वेंस बनता है। अग्निपथ में मिथुन ने कृष्णन अय्यर एमए के किरदार को यादगार बना दिया था। मिथुन सफेद पतलून,शर्ट और जूते वाले जितेंद्र की छुट्टी कर दी। जितेंद्र डांस कम करते थे, दौड़ते कूदते ज़्यादा थे। तोहफा सीरीज़ की फ़िल्मों में उनके डांस को याद कीजिए। डांस के मामले में मिथुन जैसी वेरायटी जितेन्द्र के पास नहीं थी। मिथुन की बात ही कुछ और है। ‘प्यार हमारा अमर रहेगा याद करेगा ज़माना’….
22 comments:
सर मिथुन दा ने बीच में कुछ बी ग्रेड फिल्मे भी की, फिर भी उनका रुतबा उतना ही बना रहा. उनके एक खास दर्शक थे. पर अब छोटे परदे में आने के बाद और एक सानदार इंसान होने के कारण उन्होंने अपनी value और बड़ा दी है. बाकी नक्सल वाली बात है तो शायद उस समय नकसली शायद हिंसक नहीं थे, हा सरकार बिरोधी हो सकते है.
सर में आज सुबह सोच रहा था की आपने कई दिनों से पोस्ट नहीं लिखी.और सुबह मेने देखा की ५ मं पहेले आपने पोस्ट पब्लिश की है. क्या बात है सर. धन्यबाद. मुझे पता है आप इसमें भी कमेन्ट नहीं देंगे. पर सर में भी इन्तजार करूँगा की कभी आप मेरे कमेन्ट में कमेन्ट करे या मेरे ब्लॉग में आये . धन्यबाद
मुझे मिथुन की घटिया-से-घटिया फ़िल्में भी पसंद हैं.
उनकी बंगाली फिल्म 'ताहादेर कथा' देखिये. बेजोड़ फिल्म है.
मिथुन चक्रवर्ती जी का जलवा ही कुछ ऐसा है कि जब पता चला कि डांस इण्डिया डांस के जज मिथुन चक्रवर्ती हैं तो उनके चक्कर में मैंने प्रोग्राम के सारे एपीसोड डाउनलोड कर संभाल कर रख लिए...
बढ़िया आलेख
मिथुन दा की बात ही अलग है...शनदार पोस्ट..बधाई.
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'शब्द-शिखर' पर ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!
मिथुन दा एक कलाकार ही नहीं अच्छे इन्सान भी हैं और कोई कामयाबी और लोकप्रियता के साथ-साथ इंसानियत को भी तरजीह देता हो तो उसकी जितनी तारीफ की जाय वो कम होगी /एक नेक इन्सान को सम्मान देती पोस्ट के लिए आपका धन्यवाद / दिल्ली में कल पूरे देश के ब्लोगरों के सभा का आयोजन किया जा रहा है जो ,नांगलोई मेट्रो स्टेशन के पास जाट धर्मशाला में 3 से 6 बजे तक किया जा रहा है ,आप सबसे आग्रह है की आप लोग इसमें जरूर भाग लें और एकजुट हों / ये शुभ कार्य हम सब के सामूहिक प्रयास से हो रहा है /अविनाश जी के संपर्क में रहिये और उनकी हार्दिक सहायता हर प्रकार से कीजिये / अविनाश जी का मोबाइल नंबर है -09868166586 -एक बार फिर आग्रह आप लोग जरूर आये और एकजुट हों /
अंत में जय ब्लोगिंग मिडिया और जय सत्य व न्याय
आपका अपना -जय कुमार झा ,0981075230
"मिथुन दा की फिल्मों का एक उद्देश्य होता था..."
मिथुन चक्रवर्ती , ना केवल एक अच्छे अभिनेता थे बल्कि एक बेहद अच्छे इंसान थे ! उनके बारे में मै जितना जानता हूँ , उससे ये पता चलता है की किस प्रकार वो एक छोटे से रूम से स्टारडम तक का सफ़र अपनी काबिलियत के बल पर किया, उनके जीवनकाल में कई बड़े उतर चढाव आये पर अंततः वो एक मिशाल हैं, और हमारी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा श्रोत भी हैं !
आपने उनके बारे में ये पोस्ट लिखकर सचमुच एक बार फिर उन यादों को ताजा कर दिया है !
धन्यवाद !
mithun da......kya baat hai..kya baat hai...kya baat hai....unka ye naya jumla aajkal khoob lokpriy ho raha hai :))))))
kya baat hai! kya baat hai! kya baat hai! mithun ji ka sprit dance ban ab juz bankar bhi kya baat hai icon ban gaye.
मिथुन दा का तिरछा-तिरछा चलना हम सब को आज भी याद है। सुना है कि मुंबई आने के बाद मिथुन दा ने राना रेज के नाम से मॉडलिंग भी की और डांस ट्रूप में भी रहे। उनकी पहली शादी भी इसी दौरान हुई थी। बीच में तीन-चार साल के लिये ऊटी में जाकर भी बस गये थे। वो गरीब प्रोड्यूसरों के अमिताभ थे। अमिताभ की दो अनजाने में उनका छोटा सा रोल मुझे अब तक याद है। पाकिस्तान के हिंदू परिवारों मे पिछले 30 सालों से मिथुन नाम सबसे लोकप्रिय है।
अच्छी चर्चा!
इंटरनेट से पता चला कि मिथुन ने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते, और अब वो एक होटल चला रहे हैं (The Monarch, International Hotel Business School, जिसके बारे में कभी टीवी में भी देखा था कि वहाँ कई फिल्मों कि शूटिंग होती है)और एक अंतर्राष्ट्रीय स्कूल भी...
मिथुन पर लेख ? सर जी प्रसंग क्या है । वैसे मिथुन को "पूअर मैन्स अमिताभ" कहा जाता था । कोई उनका प्रसंशक नाराज़ न हो जाय , उनकी लोकप्रियता सिनेमा हॉल की अग्रपंक्ति के दर्शकों मे अधिक थी , उन्होने इस पर हमेशा गर्व ही किया । उन्होने कई बार कहा कि राष्ट्रीय पुरष्कार तो मृगया मे ही जीत लिया था , अब पैसा भी चाहिए , वे अपने संघर्ष के दिनों को याद करते थे जब कभी कभी भूखा भी रहना पड़ा था ।
सॉरी, तमाम बातें पास्ट टेन्स मे लिख गया ।
मृगया फ़िल्म मे शादी के समय टोकरे मे बैठे शरमाते मिथुन आज भी याद है
अनूप जी सबसे पहले मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि बड़े लोग कभी छोटे लोगों की सामान्य सी बात पर टिप्पणी नहीं करते। आप इंतजार करते रहिए न तो रवीश जी आपकी बात का जवाब देंगे और न ही कभी आपके ब्लॉग पर आएंगे टिप्पणी करने की बात बहुत दूर की है। आप उसके ब्लॉग पर टिप्पणी करते रहिए।
दूसरी बात मिथुन चक्रवर्ती पर इस वक्त लिखने की जरूरत क्या है। क्या उनकी कोई फिल्म आ रही है या उनका जन्म दिन है। रवीश जी को भी कुछ नहीं मिला तो मिथुन दा को ही पकड़ लाए। खैर उनकी मर्जी अपने ब्लॉग पर कुछ भी लिखें मैं क्या कहूं।
MITHUN DA..........KOI SHAK
मिथुन दा मतलब ............येके बारे फाटा-फाटी !!
कृष्णन अय्यर एमए नहीं, कृष्णन अय्यर यम ये
ravish ji ko saadar parnaam...bhai ji mithun da ko yaad karate karate naksalwad me kahan chale aaye??...tb naksalwad waisa nahi tha..
Ravishji, is lekh ke liye badhai. hum log shahrukh aur amitabh se uper ya aage jate hi nahi. ek shandar koshish.
aur bhi aise hi kitne jabardast kalakaro ko unke shandar kam ke liye vo pahchan nahi mil payi..Asrani sahib, Pran Sahib,Rajesh khanna, Dharmender sahib, vinod khanna.... log unki charcha aaj us tarah se nahi karte jaise shahrukh,aamir aur amitabh ki karte hai.
mai ab tak shahrukh khan se naraaz hoo ki unhone kis tarah Film Fare award function me Rajesh Khanna sahib se behave kiya tha.
kher....aur bhi aise lekh ki jaroorat hai.
thankyou.
mai
mithun da ki baat hi kuch aalag hai,unka style aaj bhi big model ya actor ko pani pine per majbur karata hai
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