शनि का समारोह
आप सब जानते ही हैं कि शनि महाराज की लोकप्रियता के पीछे की सामाजिक संरचना में मेरी काफी दिलचस्पी रही है। जहां भी शनि महाराज लांच किये जाते हैं मेरी नज़र पड़ जाती है। शनि के तमाम पोस्टरों को ध्यान से देखता हूं। पहली बार किसी मंदिर में मूर्ति की स्थापना को समारोह की तरह पेश किये जाते देखा। किसी दिन शनि पर सेमिनार भी होगा। दिल्ली के मयूर विहार फेज़ वन में यह बोर्ड दिखा। ध्यान से देखिये। बहुत दिनों से दिल्ली में हनुमान जी का मंदिर बनते नहीं देखा है। साई और शनि ही नंबर वन स्पॉट पर चल रहे हैं। बंसल बिल्डर के सौजन्य से शनि जी के लिए मंदिर बन रहा है। ईंट सीमेंट की क्या कमी होगी। सफेद कमाई से मंदिर तो बनने ही चाहिए। आध्यात्मिक शांति मिलती है। काश कोई शोध करता कि सौ मंदिरों के बनने में चंदा से लेकर सामान तक किन किन लोगों ने दान दिया, उनकी सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि क्या थी? अपनी तरह का अलबेला दस्तावेज़ तैयार हो जाएगा।
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6 comments:
इसलिए तो कह रहा हूं कि मंदिर का उद्घाटन(लांचिंग प्रोग्राम)तो हो गया,अब आप रहस्योंद्घाटन कर दें तो मजा आ जाएगा। दान से बननेवाले इन मंदिरों के पीछे की रणनीति औऱ डोनेटर की आर्थिक-सामाजिक हैसियत को जानना वाकई दिलचस्प भी होगा औऱ शायद चौंकानेवाला भी।.
कहां टाइम मिल पाता है। कार रोक कर क्लिक करता हूं तो आस पास खलबली मच जाती है। लोग हैरान हो जाते हैं कि कार से उतर कर फोटो क्यों ले रहा है। पीछे जाम लग जाता है। लेकिन अब इस दिशा में भी काम करूंगा। धीरे धीरे।
जब से प्रचार हुआ है और पता लगा है कि शनि महाराज न्याय के देवता हैं तब से उन के वारे न्यारे हैं। शायद वही बुरे फैसलों से बचा सकें।
शनि पर एक लाईव हो जाय !
शनि पर एक शोध हमारे मित्र ओमप्रकाश तपस ने किया था । वे तब नभाटा ,दिल्ली में थे । शोध के बाद उन्हें धमकियाँ भी मिली थीं । यह गवेषणा छपी भी थी ।
अफ़लातून
शनि के बारे में पहले भी लिख चूका हूँ...फिर भी लिख रहा हूँ की प्राचीन हिन्दुओं के हिसाब से यह सौर मंडल का नौवां और सबसे महत्वपूर्ण गृह है क्यूंकि यह सुदर्शन-चक्र धारी विष्णु, यानि लक्ष्मीपति, का द्योतक है...जो दोनों, शिव को प्रिय पुत्र, कार्तिकेय , और पारवती को प्रिय पुत्र, गणेश के साथ मिलकर ही मानव का आध्यात्मिक और भौतिक कल्याण कर सकते हैं...
Jai mata di!
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