दुतल्ला पार्किंग
अपार्टमेंट में जगह कम है। मेरे पड़ोस में एक अपार्टमेंट बन रहा है। इसमें इलेक्ट्रानिक पार्किंग की व्यवस्था है। स्विच दबाइये और एक गाड़ी ऊपर और फिर नीचे वाले तल में दूसरी गाड़ी। पहले पार्किंग रेलवे स्टेशन या सिनेमा हॉल में ही होती थी। वहां भी कार से ज़्यादा साइकिल की पार्किंग बड़ी होती थी। एक पर एक लदी साइकिलें। घर में जहां कार खड़ी होती थी उसे गराज कहते थे या फिर कुछ नहीं कहते थे। अब तो जहां भी कार खड़ी कीजिए उसे पार्किंग कहते हैं। अपार्टमेंट में भी गाड़ियों की ठेलमठेल है। इसी से निपटने के लिए अब इस तरह की पार्किंग आ रही है। फिर धीरे धीरे इतनी कारें हो जाएंगी कि पार्किंग का यह तल्ला बढ़ता चला जाएगा और आप अपनी बालकनी के बगल में कार खड़ी कर सकेंगे। लिफ्ट से उतरने की बजाय कार में बैठिये, बटन दबाइये और कार में बैठे बैठे नीचे पहुंच जाइये। बार बार उतरने बैठने का झंझट खत्म।
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8 comments:
अपनी बालकनी के बगल में कार खड़ी कर सकेंगे। लिफ्ट से उतरने की बजाय कार में बैठिये, बटन दबाइये और कार में बैठे बैठे नीचे पहुंच जाइये।
अच्छी युक्ति है, जल्दी सफल हो|
वैसे दुतल्ला शब्द सुनकर मन बड़ी खुश हुआ|
lucky guy!
अच्छी व्यवस्था है।
"...लिफ्ट से उतरने की बजाय कार में बैठिये, बटन दबाइये और कार में बैठे बैठे नीचे पहुंच जाइये। बार बार उतरने बैठने का झंझट खत्म।..."
यह कलियुगी भारत देश है. पहले यह जांच पड़ताल कर लेना आवश्यक होगा कि बिजली की सप्लाई २४ घंटे उपलब्ध है या नहीं...नहीं तो बटन दबाते ही रह जाओगे :)
सोचिये रविश जी जब १० फ्लोर की बिल्डिंग में ५ फ्लोर की कार पार्किगं और छत पर हैलिपैड.. (मुकेश अंबानी जैसे)...
मजा़ आयेगा रोड पर चलने का.. जब इच्छा हो पैदल चल लो.. मन करे कार में बैठ लो.. कालका शिमला टाय ट्रेन जैसा..:)
Iske Alwa koi Chara bhi to nahi hai
बाहर सड़क पर गाड़ी खड़ी करने का रिस्क भी कम हो जायेगा।खटका हुआ तो, खिड़की खोल कर देख लिया और चैन की नींद सो गये।
agar car parking se gir gayee to harjana kaun dega?
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