नक्सल घुस गया शहर में लेकर जूता हाथ, पारा के प्रकोप से भीड़ नहीं दे रही साथ... नेताजी के फंड पर मंडरा रहा है गिद्ध, हमें भी हिस्सा चाहिए पत्रकार है क्रुद्ध... पत्रकार है क्रुद्ध मूंग पैंसठ की भई, फीस बढ़ी बच्चों की, इधर नौकरी गई... नीबूं पानी पांच का, नमक हो गया आठ नेता दिखते चिरयुवा उमर हो गई साठ.. कह अनाम कविराय निजात हम कैसे पावें, कलम कुंद हो जाए तो जूतन काम ही आवे...
रेवेन्यू घट रहा है, टीआरपी घट रही है बड़ा बुरा समय है, पिंक स्लिप बट रही है। कल क्या होने वाला है, क्या तुम्हे खबर है माफ करना मां, अब तो तुम्हारी ही पेंशन पर नज़र है।
फीस वाले मामले पर सरकार की खामोशी साफ करती है स्कूलों और मंत्रियो के बीच कहीं न कहीं सांठगांठ है कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार से कोई पूछे ज़रा कि कि 52 साल देश में राज करने के बाद भी ऐसे हालात क्यों हैं?
14 comments:
कांटे में कीडा लगा
ढील देता है मछुआरा
मछली को खींचने से पहले
खींच से पतंग काटने वाला भी जैसे
ढील देता है पहले :)
बकरा भी कटता है
कहीं हलाल से
तो कहीं झटके से :)
कुछ और भी-
नक्सल घुस गया शहर में लेकर जूता हाथ,
पारा के प्रकोप से भीड़ नहीं दे रही साथ...
नेताजी के फंड पर मंडरा रहा है गिद्ध,
हमें भी हिस्सा चाहिए पत्रकार है क्रुद्ध...
पत्रकार है क्रुद्ध मूंग पैंसठ की भई,
फीस बढ़ी बच्चों की, इधर नौकरी गई...
नीबूं पानी पांच का, नमक हो गया आठ
नेता दिखते चिरयुवा उमर हो गई साठ..
कह अनाम कविराय निजात हम कैसे पावें,
कलम कुंद हो जाए तो जूतन काम ही आवे...
यर्थाथ।
atta bhi dal ho gaya hai
line badi sahi hai.
thanks aisa likhne jo
सामयिक और सटीक।
रेवेन्यू घट रहा है, टीआरपी घट रही है
बड़ा बुरा समय है, पिंक स्लिप बट रही है।
कल क्या होने वाला है, क्या तुम्हे खबर है
माफ करना मां, अब तो तुम्हारी ही पेंशन पर नज़र है।
महंगा भोजन , सस्ता वोट .
नेता उडायें हज़ारों नोट .
लोकतंत्र पर करता चोट .
किसको कहें किसका है दोष .
हम मैं है या व्यवस्था मैं है खोट.
हमे दाल रोटी भी खानी मुश्किल हो गयी है और नेताओ की सुविधाएँ बढती जा रही है...!घर तो जैसे तैसे चला लेंगे पर इस देश का क्या होगा..!
सर अब एकगो कितबिया छपवा ही लें चिरकुट शायरी के नाम से।
dil ke karib
बढिया हैं !
आटा हुआ गीला हर दाल बनी मसूर
बातें करना है सस्ता
बातें ही बातें करो जितना चाहे ऐ हुज़ूर
ekdam satik sahi,bahut hi badhiya.aaj ka haal to yahi hai.
फीस वाले मामले पर सरकार की खामोशी साफ करती है स्कूलों और मंत्रियो के बीच कहीं न कहीं सांठगांठ है
कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार से कोई पूछे ज़रा कि कि 52 साल देश में राज करने के बाद भी ऐसे हालात क्यों हैं?
अच्छे विषय पर लिखा है।
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