भारत एक संदेश प्रधान देश है। हर संदेश कुछ कहता है। करता यही है कि अगले संदेश से पिछले संदेश को मिटा देता है। संदेशों के इस मुल्क में मगज़ की मेमरी चीप का स्पेस इतना भर जाता है कि आप डिलिट मारने लगते हैं। इन संदेशों के भी कई वर्ग हैं। एक संदेश वो है जो अखिल और अखंड भारतीय है। एक संदेश वो है जो पारिवारिक और स्थानिक है। एक संदेश वो है जो गुप्त है। आदि आदि। फ़ैशन के इस दौर में संदेश देती यह पट्टी भी कुछ कह रही है। पढ़िये और भुला दीजिए। फ़ैशन है ही भुला देने की चीज़। वरना नये फैशन का ज़माना कब आएगा।
21 comments:
यह संदेश ईमानदारी का प्रदर्शन करता है।…जी हाँ, मात्र प्रदर्शन ।
raveesh baat theek hai. meri ek kaita hai- vigyapan, mauka lage to padhana.
ओह, इतनी गहरी बात कैसे कह दिये? कहां से कहे?
Gahri soch hai - Doctor bhi kehta hai main upchar karta hoon, wo theek karta hai (guarantee koi nahin)!
ek dum vigyapan waale ne vaidhanik chetavani de daali hai. wardrobe malfunction ho jaye road chalte to ooski jimmewari nahin.
badiya hai....
क्या बात है कितनी गूढ बात ढूँढ कर लाये हैं ....बिल्कुल गीता के ज्ञान की तरह आज तक धरती पर इतनी बड़ी खोज कोई नही कर पाया .... साधूवाद ...
क्यों रवीश जी अच्छा लगा पढकर चाटुकारिता पसंद आयी .... यही पढना चाहते थें न....लेकिन चिंता न करिये इससे भी ज्यादा चाटुकिरता भरी टिप्पणियां अभी आनी बाकी हैं....
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आने का सुअवसर हुआ, देख कर अच्छा लगा। आपकी सोच, आपकी सामाजिक प्रतिबद्धता और आपके तेवरों को मेरा सलाम।
सही कहा आपने, फैशन समुद्र में उठते ज्वार के समान है, जो पता नहीं कब आता है और कब चला जाता है। फिर उसमें गारंटी की बात ही कहाँ से उठती है।
फैशन के दौर में गारंटी...बाबा रे बाबा. लोग सब इतना एड देता है, फैशन के लिए ही न.
बिजारे का जो वैरी सेक्सी वूमेन वेअर का विज्ञापन देखा है...देखते ही आँखे खुल जाती है और लोग सबसे पहले अपनी बीवी और गर्लफ्रेंड को बिजारे का ही कपड़ा दिलाने की जिद करते है..लेकिन टिकाऊ बिल्कुल नही है बिजारे का कपड़ा...क्या करे जो दीखता है वो ही बिकता है.....
एंटी चाटुकारिता फोरम के अनिल जी को मेरा प्रणाम ..डर लग रहा था लिखूं या नही ...बडे बेबाक है आप ...भडासीयों के प्रणेता है ....क्या ददॻ है आपका नही पता ..लेकिन दूसरों को अपने जैसा बताने की क्या जरुरत है
आलोक जी क्या बात है लगता है आप ही हो चाटुकार न. 1 जो मिर्ची आपको ही लगी.........
आलोक हसुआ के बियाह मे खुरपि के गीत यहां भी. समझ मे नहीं आता कि तु विषय पर टिप्पणि देता है या वयक्ति पर.
वैसे मैं वाह वाह करने से पिछे नहीं रहुंगा. इतना मेहनत कर के और ये सोच कर कि मेरे पाठको को ये पसंद आयेगी, रविश जी ने फोटो को लिया होगा.
वाह! वाह! रविश जी.
बिलकुल सही फ़रमाया जनाब , पुराने पजामे मै नयी जींस का मजा कहाँ से आयेगा
गारंटी नाम की चिड़िया पुरातत्व विभाग के शिलालेखों में पायी जाती है। सरकार बने तो चलेगी भी या नही क्या गारंटी। योजना बने पूरी होगी या नही क्या गारंटी.(हाँ योजना अगर गरीबी उन्मूलन टाइप है तो न पूरी होने की गारंटी है )। डिग्रियां बटोरे लो (जेब में नगदी हो तो ) पर नौकरी मिले न मिले क्या गारंटी है।
रविश जी फोटो तो काफी कुछ कहती है . मै आपके ब्लॉग पर पहली बार आया किंतु वादा रहा बार आने का. चित्र काफी कुछ बोल रहा है.
dinkar is new chatukar............
जितना डर आलोक को लगा है उतना ही मुझे भी लग रहा है....अनिल बदले में पता नहीं क्या क्या लिख दें। पर इस डर से लिखना रोक नहीं पा रही। अनिल मैं आपकी बात से सहमत हूं हर ब्लॉग पर जो कुछ ऐसे कमेंट आते हैं उनके पढ़कर लगता है है कि इनको क्यों पोस्ट किया गया है....वाह रवीश जी, बहुत खूब रवीश भाई या क्या बात कही है.... ऐसा ही कोई कमेंट पोस्ट कर देंगें जिसका कोई सेंस नहीं निकलता। लेकिन आप किस तरह लिखते हो चाटुकारो टूट पड़ो रवीश ने कुछ नया लिखा है, रवीश की हर पोस्ट पर तुम्हारा भी एक ऐसा ही कमेंट जरूर मिलता है जिसका कोई सेंस नहीं होता। रवीश जी भी उसे पोस्ट जरूर करते हैं ताकि और सभी को में ये मैसेज जाए कि आप अपनी आलोचनाओं को भी कितने आराम से स्वीकार लेते हैं...आलोचना.प्रशंशा इन सबसे ऊपर उठ चुके हैं। समझ में नहीं आता अनिल ऐसा कमेंट क्यों करते हैं और रवीश उस कमेंट को पोस्ट क्यों करते हैं....
“Jaki rahi bhavana jaisi, prabhu moorat tin dekhi taisi” – Sant Tulsidas.
Manyata hai ki Bhagwan shunya (‘Fokatiya’ kahlo use :-), arthat matra ek bindu (Nadbindu) se arambh ker anant brahmand tak pahunch gaya. Aur her koi manav uska pratibimba hone ke karan uske kisi ek samaya ki awastha ko darshata hai, jaise her koi apne album mein swayam apne vibhinna chitra, bachpan se aj tak ke dekh pata hai…aur khyalon mein doob sakta hai…
अपराजिता जी ये लोग कुछ भी लिख सकते है खासकर रविश जी के व्लाग पर ये पहरा देते रहने वाले पहरुवे है ..आपके व्लाग पर भी जाकर गाली चिपका देंगे..इनकी एक टोली है जो दूसरों को नसीहत देती है कि हंसुआ केवियाह में खुरपी के गीत मत गा ..लेकिन ये खुद वेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाने बनकर पहुंच जाते है ....
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