ब्लागईयर

हिंदी लेखन पठन का यह साल ब्लाग लेखन पठन के काल के रूप में जाना जाएगा। यही वो साल रहा जिसमें सैंकड़ों ब्लागर पैदा हुए। तमाम अख़बारों में ब्लागोदय की चर्चा हुई। ब्लाग साहित्य माना जाए या नहीं..इस पर कुछ लोग मायूस नज़र आए। पता नहीं वो क्यों एक मरती हुई विधा की तरह होना चाहते हैं? ब्लागविधा एक नई प्रक्रिया है। आने वाले समय में साहित्य तकनीकी माध्यमों से अवतरित होगा। जिस तरह प्रकाशन ने साहित्य को सुलभ किया उसी तरह ब्लाग साहित्य को पूरे विश्व में एक ही समय में सुलभ करा रहा है। साहित्य को एक नया माध्यम मिला है। तो यह पूरा साल हिंदी ब्लागरों के नाम पर रहा। इसी साल गूगल हिंदी बोलने लगा। इंटरनेट पर हिंदी के लोग अचानक उभरे और कानपुर से लेकर इटली तक आपस में बात करने लगे, बहस करने लगे और बात नहीं करने की धमकी देने लगे। कई तरह के एग्रीगेटर आए। नारद की ऐतिहासिक भूमिका बनी रही। ब्लाग पर तरह तरह के प्रयोग भी हुए। ब्लाग से संबंध बने तो खराब भी हुए। इसलिए यह साल ब्लागईयर के नाम से जाना जाएगा।

9 comments:

bolhalla said...

जय हो ब्‍लॉग मईया की,

Neeraj Rajput said...

नये साल के साथ-साथ इस बात के लिये भी बधाई स्वीकार करे।

Sanjay Tiwari said...

अब इसको थोड़ा विस्तार से भी लिखने की जरूरत है.

Dipti said...

मुझे लगता है ये साल ब्लॉग लेखन पठन के "उदय काल" के नाम से जाना जाएगा। ये तो बस शुरूआत है, पिक्चर अभी बाकी है दोस्त.....

दीप्ति।

Anonymous said...

रवीश इंटरनेट पर हिन्दी सुबिधा आजाने के साथ तो ब्लॉग की दुनिया तेजी आगई है, मैंने कभी डायरी नहीं लिखी पर आज ब्लॉग लिख रहा हूँ................

Anonymous said...

रवीश इंटरनेट पर हिन्दी सुबिधा आजाने के साथ तो ब्लॉग की दुनिया तेजी आगई है, मैंने कभी डायरी नहीं लिखी पर आज ब्लॉग लिख रहा हूँ................

मीनाक्षी said...

सही कहा... मेरे लिए तो इस साल को 'ब्लॉगईयर' कहना ही सही होगा...नौकरी छोड़कर घर बैठना दूभर था लेकिन ब्लॉग ने उस दुख से उबार दिया...

harsh said...

Sirf yah saal hi nahi aane wale kai saal ab blog ke naam rahengen. Aagaj hi jab itnaa achchha hai to natize ka andajaa aap bakhubi laga sakte hain. Jo kaam, tamam Hindi sammelan nahi kar sake, wah blog karegaa. Hindi sahitya me nai jaan funk di hai blog ne. Bas lage rahiye aur dekhte jaiye.

ravish kumar said...

मीनाक्षी,

खाली होने का दुख नहीं बल्कि दोस्तों के अभाव को भी ब्लाग ने कम किया है। इसकी वजह से कई लोगों से संवाद बना। दोस्त बने। उनका लिखा पढ़ा और हमारा लिखा उन्होंने पढ़ा। बेहतरीन काम किया है ब्लाग ने।