चालीस के पास रिटायर होना चाहें तो कहां निवेश करें। आज कल निवेश निवेदन कार्यक्रमों में ऐसे सुझाव आते रहते हैं। बुढ़ाने से पहले ही बुढ़ापे का इंतज़ाम। हमने अपने बुज़ुर्गों को उनकी जवानी में परेशान होते हुए नहीं देखा है। वो पूरी जवानी अपने बाल बच्चों को पढ़ाने लिखाने, शादी करने और बाकी बचे पैसे से मकान बनाने में ही खपे रहे। उन्होंने कोई जीवन बीमा की कोई पालिसी नहीं खरीदी। न ही म्यूचुअल फंड खरीदा। वो अपना फर्ज़ पूरा करते रहे। एक जोखिम के साथ जीते रहे कि कोई न कोई बाल बच्चा पूछ ही लेगा। अपनी ज़रूरतें कितनी हैं, दवा दारू का इंतज़ाम हो जाए बस बाकी ज़िंदगी कट जाएगी।
लेकिन अब ऐसा नहीं है। आप जवानी के साथ साथ बुढ़ापे का भी इंतज़ाम कर रहे हैं। रिटायरमेंट प्लान खरीद रहे हैं। मेडिकल इंश्योरेंस करवा रहे हैं। आप जानते हैं कि बुढ़ापा आपका बोझ होने वाला है। बच्चों का नहीं होगा। बच्चे अपनी जवानी का बोझ उठाने में मशगूल रहेंगे। अब बाप अकेला है। पहले उसके पास कई लोग होते थेँ। हालांकि तब भी बाप को यह खतरा होता था कि बेटा नहीं पूछेगा तो क्या होगा। यही दिलासा देते रहते थे कि जो भी पेंशन मिलेगा काम चल जाएगा। बुढ़ा-बुढ़ी हरिद्वार जाकर ज़िंदगी काट लेंगे। ऐसे बचे खुचे बुज़ुर्गों को कोई बता देता कि हरिद्वार में प्रोपर्टी प्राइस बढ़ गया है। वहां यूं ही जाकर बुढ़ापे का गुज़ारा नहीं किया जा सकता। हरिद्वार में जाना एक निवेश है। जिसके लिए आपको रामदेव के आश्रम के पास बन रहे हाउसिंग कालोनी में फ्लैट बुक कराना होगा। जिनका नाम स्वर्गाश्रम, हैवन एन्क्लेव होता है।
हमारा समाज और हम हर दिन बदल रहे हैं। वैसे बाप को, जिनके दो चार बच्चे हैं, तनाव से गुज़रना पड़ रहा है। क्योंकि इनके बच्चे अपने बुढ़ापे के लिए जीवन बीमा की पालिसी खरीद रहे हैं। इनके पास बाप के बुढ़ापे के लिए कोई पैसा नहीं है। हाल ही में दिल्ली के एक बाप ने अपने बच्चों पर मुकदमा कर दिया। अदालत ने भी बेटों से कमाई का हिसाब किताब मांगा है। जवानी के तूफान में हम उम्र की हकीकत को नहीं देख पाते।
सर्वे में कहा जाता है कि भारत की आबादी युवा हो रही है। फिर भी लोग बुढ़ापे की पालिसी की जमकर मार्केंटिंग कर रहे हैं। उन्हें बुढ़ापे का भय दिखा रहे हैं। एक तरह से बता रहे हैं कि आपने जिस तरह अपने बाप को नहीं पूछा, या पूछा तो देख लिया होगा कि कितना महंगा होता है, बुढ़ापे में बाप का ख्याल रखना। इसलिए आप रिटायरमेंट पालिसी खरीद लीजिए। क्योंकि आपके पास इतने सारे बच्चों के आप्शन नहीं होंगे। डर लगता है। हम इस नश्वर जीवन को कितना कंक्रीट बनाएंगे। रिश्ते बनाने निभाने की पालिसी नहीं है। अपना अपना गुज़ारा करने के लिए तमाम पालिसी है। इतना ही नहीं बुढ़ापे को भी रंगीन बनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर पालिसी खरीदी होगी तो साठ साल के बाद विदेशों का भ्रमण कीजिए, माल में शौपिंग कीजिए और रेस्त्रां में खाना खाइये। बुढ़े लोगों की दुनिया भी बदल रही है। बदलेगी ही। जो नौजवान जवानी भर सिर्फ अपने बुढ़ापे के लिए बचत करता रहा, उसके पास पैसा तो होगा ही। और वो पैसा कहां खर्च होगा। लिहाज़ा उसे भी खर्च कराने के तमाम पालिसी निकल रही हैं। भाई साहब बीमाओं का बुढ़ापा कब आएगा। एक चक्र लगता है जिसमें जवानी में आप फंसते हैं और बुढ़ापे में उलझ जाते हैं।
3 comments:
ravish bhai
samjh me nahi aaya
कलयुग में ये समय भी आना ही था रवीश जी।
अब पुत्र - पौत्र की जगह पोलिसियाँ ही बुढापे का सहारा हुआ करेंगी
कीतिर्श जी सही कह रहे हैं।
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