भू-चु चैनल- जल्द आ रहा है

यह लेख साल भर पहले जनसत्ता के लिए लिखा था। तब व्यंग्य था अब हकीकत है। हम किसी एक चैनल की आस्था को ठेस पहुंचाएं बिना अपनी बात कहने की इजाज़त चाहते हैं। बल्कि आप यकीन कर सकें तो मान लीजिए कि इस लेख को मैं नहीं लिख रहा हूं। एक भूत जो पहले पत्रकार था मुझसे लिखवा रहा है। ग़ौर फरमाया जाए।

हमारे देश की मान्यताओं के अनुसार आत्मा कभी नहीं मरती। इंसान मरता है और मरने के बाद भूत हो जाता है। मरने वाले इंसान की आत्मा उसके पूर्व कर्मों के अनुसार मुक्ति पाती है। मुक्ति नहीं मिलने पर आत्मा भूत का काम करने लग जाती है। अमर आत्माओं के भी लिंग होते हैं। पुल्लिंग आत्मा को भूत कहते हैं। स्त्रीलिंग आत्मा को चुड़ैल। जब से पाप कर्म बढ़े हैं भूत चुड़ैल की संख्या बढ़ी है। क्योंकि इससे मुक्त होने वाली आत्माओं की संख्या कम हो रही है। ज़ाहिर है भूत बने आत्माओं की परेशानियां भी बढ़ी हैं। हमारी ज़िंदगी में भूतों की मौजूदगी पहले से अधिक हो गई है। एक ताजा सर्वे से बात सामने आई है कि ८० फीसदी भूत युवा हैं। भूत आपके अपार्टमेंट की लिफ्ट से लेकर कार की पिछली सीट तक में बैठे मिल सकते हैं। भूतों की पार्टी हो रही हैं और भूत किताब लिख रहे हैं।

इसे देखते हुए हमारा संस्थान भू-चु चैनल लांच करने जा रहा है। भू-चु नाम हमने भूत चुड़ैल के संक्षेप से बनाए हैं। इसके टारगेट दर्शक की पहचान कर ली गई है। अंधविश्वासी किस्म के किसी भी लिंग और उम्र के दर्शक इसे पसंद करेंगे। भूत चुड़ैलों पर यह दुनिया का पहला चैनल होने जा रहा है। इसमें काम करने वाले पत्रकार इतिहास में याद किए जाएंगे। इसके लिए नए भू-चु चैनल में बड़े पैमाने पर भर्ती शुरू की जा रही है।

बहरवक्त अगर आप भूत, प्रेत, ओझा औघड़ आदि में यकीन और इनसे संबंध रखते हों तो आपके पास पत्रकारिता में भविष्य बनाने का सुनहरा मौका है। आप देश भर में बिखरे भूत प्रेतों की कहानियां घर घर पहुंचा सकते हैं। आवश्यकता है ऐसे संवाददाता की जो भूतों को समझता हो- वो कहां रहते हैं, क्या खाते हैं, किनसे संबंध हैं? उनका जीवन कितना आधुनिक हो रहा है आदि आदि जानता हो। भाषा हिंदी और अंग्रेज़ी नहीं चाहिए। अगर आप चूं- चूं सायं..सायं, गरर, हड़ हड़, खड़ खड़, हू..हू को समझते हों तो हमारे लिए उपयोगी होंगे। हम टेस्ट भी लेंगे। प्रशिक्षु पत्रकारों को जंगल, श्मशान और खंडहरों में कई रातें अकेले गुज़ारनी होंगी। कमज़ोर दिल वाले पत्रकार आवेदन न करें।

प्रेत पत्रकारिता इलेक्ट्रानिक मीडिया का नया क्षेत्र है और इसमें अभी ही प्रवेश कर जाइये। प्रमोशन के चांस हैं। कंपटीशन कम हैं। बस आपके भूतहे सूत्र मज़बूत होने चाहिए। आपके पास तमाम ओझा, औघड़, रूहानी बाबाओं के मोबाइल नंबर होने ज़रूरी हैं। बंगाली तांत्रिकों और रूहानी बाबाओं पर भी ज़ोर होगा। इन्हीं की मदद से आप हमारे चैनल पर सबसे पहले किसी भूत की खबर ब्रेक कर सकेंगे। अगर आप भूत प्रेत का लाइव इंटरव्यू करा सकते हैं तो हम आपका विशेष प्रोमो करायेंगे। अखबारों में विज्ञापन देंगे। रामनाथ गोयनका अवार्ड तक दिलवा सकते हैं। हमारे चैनल में भूत बीट, प्रेत बीट, चुड़ैल बीट, पिशाच बीट, वशीकरण बीट और श्मशान बीट कई तरह के नए विभाग खुल रहे हैं। अपेक्षित संवाददाता भूतों का पीछा करने की क्षमता रखता हो।

हमारा चैनल जेंडर सेंसटीव होगा। इसलिए हम महिला भूत यानी चुड़ैलों की कहानी को भी प्रमुखता से दिखायेंगे। अभी तक किसी चैनल ने चुड़ैलों को प्रमुखता नहीं दी है। भविष्य में हम अलग से चुड़ैल चैनल लांच कर सकते हैं। फिलहाल चुड़ैलों की ज़िंदगी में आ रहे बदलाव पर आधे घंटे का विकली स्पेशल होगा। हमारा एक प्रोग्राम होगा भूत प्रेत इन लव। इसमें भूतों की प्रेम कहानी उनके गाने और तनाव पर चर्चा होगी।

इतना ही नहीं हमारे चैनल को भूत, प्रेत, पिशाच, चुड़ैल से संबंधित ख़बरों को बेहतर दिशा देने के लिए एक योग्य संपादक की भी ज़रूरत है। हम संपादक से उम्मीद करते हैं कि वो तमाम बीटों पर काम करने वाले संवाददाताओं की ख़बरों को ठीक कर सके। संक्षेप में वह भू-प्रे संपादक कहलाएगा। संपादक ग़ायब होने की क्षमता रखता हो तो और बेहतर है। वह उजाले में दिखाई न दे और अंधेरे में बल्ब की तरह जल जाए। ऐसे अनुभवी पत्रकार जल्द संपर्क करें।

इस चैनल में उनके लिए कोई जगह नहीं जो यह नहीं मानते कि भूत होते हैं। हम सिर्फ विश्वास वाले लोगों को रखेंगे। भूतों को भी ऐसे लोगों से चिढ़ है जो सिर्फ विरोध करते हैं। भू-चु चैनल दुनिया का सबसे लोकप्रिय चैनल होगा। जो दर्शक इस चैनल को हर दिन एक घंटा नहीं देखेगा उसे कोई न कोई प्रेतात्मा अपने वश में कर लेगी।

14 comments:

Satyendra Prasad Srivastava said...

एक योग्यता और चाहिए-मेरी राय में। टेलीविजन है, इसलिए अगर भूत-चुड़ैल के विजुअल मिल जायं तो क्या कहने। तो इसके लिए नाट्य रूपांतर के काम में पूरी परिपक्वता होनी चाहिए।

Avinash Das said...

क्या इस चैनल का सीईओ मुझे बनाया जा सकता है? शायद मैं बेहतर उम्मीदवार हो सकता हूं! :)

अफ़लातून said...

साल भर मेँ यह व्यँग्य-कल्पना हकीकत मेँ बदल गयी है बल्कि अन्य माध्यमोँ को भी यह बीमारेे पकड ले तो अचरज नहीँ होगा | साधुवाद |

उमाशंकर सिंह said...

बड़े महत्वाकांक्षी हो अविनाश। जानते हो कि भू-चु चैनल के सीईओ के तौर पर कभी दफ्तर आना ही नहीं पड़ेगा। चैनल तो उसका भूत ही चलाएगा।
पहले हमें अपना हुनर दिखाओ। फिर आगे दूकान सजाना।
बेहतर जानकारी के लिए आप सब भी मेरे ब्लाग पर आमंत्रित हैं।

उमाशंकर सिंह
valley of truth

Sanjeet Tripathi said...

साल भर पहले लिखा आपका आज भी सटीक है!!

अनूप शुक्ल said...

सही है। टी आर पी खूब होगी!

Rajesh Roshan said...

रवीश जी आप ने तो मुझे नया आईडिया दे दिया । आप भूतो का चैनल लाइये मैं सांपो पर लाता हु । डिस्कवरी चैनल कि तरह जानकारी नही परोसुंगा । सापो के डांस और पोटली में ले कर चलने वाले सपेरो का interview. मस्त आइटम । TRP हाई और क्या चाहिऐ.

mr kaushik said...

mujhe desh ke pratham pidhi ke pret patrakaar hone ka gaurav prapt hai ...naukri ka aavedan karta hoon

चलते चलते said...

बेहतर लेख। इस चैनल को यदि बिजनैस डेस्‍क के लिए इंचार्ज की जरुरत हो तो मुझे से संपर्क किया जा सकता है। भूत प्रेत भी तो अपने कारोबार की खबरें जरुर देंगे। आपने इतना बढि़या लिखा है कि सारे टीवी चैनल वाले हो सकता है आपसे ही और आइडिया लेने लग जाए कि अगले साल के लिए क्‍या करें पिछले साल तो आपके कहने से हमने अपने चैलनों को भू चु चैनल बना दिया। कुछ चैनलों पर तो ये प्रोग्राम प्रस्‍तुत करने वाले ही खुद किसी भू चु से कम नजर नहीं आते। कुछ ऐसे हैं जिनके सामने असली भूत या प्रेत आ जाए तो भय के मारे परमात्‍मा को प्‍यारे हो जाएंगे। भूतों के मोबाइल नंबर, उनके कामधाम, उनकी जीवन शैली, उनके ठिकाने, उन्‍हें शरीर से बाहर निकालने जैसी कई रिपोर्टस ज्‍यादातर टीवी चैनलों पर ऐसे आती है मानो अपना देश राजनीतिक आर्थिक महासत्‍ता बनने के बजाय भू और चु का देश बनना चाहता हो। एनडीटीवी ने अपराध के कार्यक्रम बंद कर जो मिसाल कायम की है, उस तरह की मिसाल कायम करना इस समय तो किसी दूसरे टीवी चैनल के बस की बात नहीं है। उन्‍हें देश और समाज के हित से ज्‍यादा अपनी टीआरपी की पड़ी है और शायद उनके बॉस अपनी नौकरी बचाने के लिए भू चु और अपराध की खबरों को अपना सहारा मानते हैं। अगर यही पत्रकारिता है तो हम सभी को एक बार मनन करना चाहिए कि हम समाज को देना क्‍या चाहते हैं। हम किस तरह के समाज का निर्माण करना चाहते हैं। कुछ टीवी चैनल के मित्र कहते हैं कि लोग इसे पसंद करते हैं, लोग तो सीधे सीधे लाइव बलात्‍कार देखना चाहते हैं, लोग तो दूसरे के बेडरुमों के सीन देखना चाहते हैं, लोग तो मर्डर होते देखना चाहते हैं, लोग तो ब्‍लू फिल्‍म देखना चाहते हैं, क्‍यों खबरें दी जा रही है चलो कर बैठ जाओं ब्‍लू फिल्‍में...टीआरपी इतनी बढ़ जाएगी कि महाभारत के संजय की तरह दिव्‍य दृष्टि पानी पड़ेगी। शर्म आती है इस तरह की पत्रकारिता पर। भाई रवीश जी कुछ सामूहिक कार्यक्रम करो, ताकि हमारी बिरादरी भी अपने दायित्‍वों को समझे और सही कार्य करें।

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

एक भूत जो पहले पत्रकार था, उसने आपसे लिखवाया या एक पत्रकार जो पहले भूत था, उसने लिखवाया. आजकल तो कई पत्रकारों को देख कर लगता है कि वे पहले भूत थे. शायद अब भी हैं और आगे भी रहेंगे.

सुबोध said...

मुझे लगता है कि भूत के डर से हमारा पीछा फिलहाल छुटने वाला नही है

Unknown said...

kimujhe to aapke is vyangya lekh mein aapaki sahityik chhatpatahat dikhai deti hai. vastav mein vyangya ke madhyam se aapne patrakarita ke vyavasayik avam vidroop chehare ko tathakathit vikassheel peedhi ke saamne prastut karane ka slaghniya karya kiya hai. isi mein hamare beemar hote loktantra ki awastha ka adhyayan kiya ja sakata hai. nischit roop se aapne apne patrakar hone ke dharm ka nirwah kiya hai. chauthe stambh ki vastwik bhoomika se hi apna desh aur loktantra surakshit rakha ja sakata hai. aapki vyangya lekhani aur teekhee ho yahi shubh kaamana hai.
- Kumar Shailendra

Prabin Barot said...

breaking news main bhi yahi hoga ki aaj ek gav main dikha bhut ka saya.....mast likha hai

anandtiwari said...

सर, नमस्कार आनंद तिवारी, आज रवीश जी का लेख पड़ा लगा...भूत भी पड़ेगा तो गर्व से उसका भी सिर तन जाएगा। वैसै मैं भी कई प्रयास कर चुका कि कही से भूत पर स्टोरी करु...सोचा की एक अघोरी को अमाव्सया या पूणिर्मा के दिन श्मशान में ले जाकर 1000,20000 देकर समझा दूँ कि बाबा शम्शान में जाकर कहना की जैसै ही भूत आएगा चारो और आंधी आ जाएगी...हम कापने लगेगे। पर सब बेकार.। इस लिए एक आवेदन मैने भी भू चू...मे कर दूँ। इस भू चू चैनल को खोलनो का जो फैसला लिया है वो एकदम सही हैं।..और मेरा आवेदन रहेगा .. क्राइम रिपोर्टर के पद पर काम करने के लिए क्योकि....यहां पर से ही तो मैं भूत पर फोनो दे सकूगां..भूत के लाइव शाट दिखा सकूगा। की..आज एक्स मार्केट में धन्श्याम नाम का एक भूत पकड़ाया हैं...बाइट ...उस जिले के भूतिया ड़ीसीपी..मिं...जगतराम देगें। भूत का हुलिया...हाइट..10 फिट हैं..दिखने में थोड़ा...ट्राम कूज की तरह लगता हैं..और उसके साथ उसकी प्रेमिका चुड़ैल...गुलशन पकड़ाई हैं....जिसका फिगर 89,49,89, हैं,,बिल्कुल शकीरा की तरह दिखती हैं। अपराध की दुनिया से इन दोनों का पुराना बास्ता था..वो जो लोखड़वाला इंन्काउटर में मारे गये थे.. माया और बुआ. उनसे भी इनका पुराना रिश्ता था..बताया जाता हैं कि... पिछले हफ्ता ही गुलशन और धन्श्याम ने होटल सोबराज में एक मिंटिग की थी.और वही वुआ और माया के साथ यह फिक्स हुआ था की उनका अगला निशाना...ई कंपनी का बड़ा भाई हैं। जो यमुना पार बैठा हैं। पुलिस तफ्तीश में यह भी पता चला हैं कि..ये अपनी आपराधिक गतिविधियों के साथ साथ ड़्रग्स का गोरखंधंधा भी चलाते थे। भूत की प्रेस कार्फेस शुरु होने वाली थी..सब भूतिया रिपोर्टर भी मौजूद हो गये, और ड़ीसीपी साहव भी..प्रेस काँर्फेस खत्म होते ही पकड़े गये भूत धन्श्याम औऱ गुलशन के शाट भी हो गये। समोसे की जगह मास था..मरे हुए कालिया का..औऱ पीने में कोल्ड डिक्स की जगह..खून था...रानी भदभदा का। नाश्ता इतना बड़िया था की सब पत्रकारों को मजा आ गया। बाइट औऱ शाट सिर्फ मंत्र पड़ने भर से इन्जस्ट हो गये..और बाइट..सिर्फ सोचने भर से कट कर लगा दी गई....लेकिन जब से भू चू चैनल खुला हैं..और कई खू. आ. .भट. चु..( खूनी आत्मा...औऱ भटकती चुड़ैल) नाम के कई और चैनल भी इस दौड़ मे शामिल हो गये थे। अब ब्रेकिंग का चक्कर भी ब़ड़ गया था..वो ऐसे की इंन्जस्ट करने वाला मंत्र जो पहले पड़ लेगा उसके शाट पहले तल जाएगे। और जो पहले बाइट सोच लेगा उसकी बाइट पहले चैनल पर चल जाएगी। अब बताइयें टीआरपी बचानी हैं तो मंत्रो का उच्चारण ठीक से करना आना चाहिए..और जल्दी जल्दी भी। इसी के बलबूते पर तो काम मिलेगा। वैसै तो भू चू की टीआरपी हैं..वो अभी भूतीया चैनल मे नंबर वन हैं। और हो भी क्यो ना..भाई सोते भूत, जागते भूत, दोपहर भूत शाम भूत,बगीचें मे भूत..सड़ास में भूत, बिस्तर पर भूत,तो पीबीआर में भूत,न्यूज चैनलों के दफ्तर में लाइव भूत,तो फोनो पर भूत,गेस्ट भूत,एंकर भूत, चोर भूत ड़ाकू भूत,पुलिस भूत,नेता,अभिनेता भूत, नाले मे म भूत गिलास में भूत, अमेरिका के भूत,जापान के भूत बैल भूत,गाय भूत बंदर भूत.भैसा भूत....भाई अंदाजा लगा सकते हो...दूल्हा भूत दुल्हन चुड़ैल,बराती भूत..व्यजन भूत। मास्टर भूत.छात्र भूत..कहा नही हैं भूत..हर जगह हैं भाई भूत। तो फिर खबर तो रोज मिलेगी....और रोज दिन भर का मसाला भी वो भी ओवी ले जाने की जरुरत नही..बस खबर सोचो...सोच मे ही जिसकी करनी हैं उसको लान अप करो..ड़ीसीपी को लाइन अप सब सोच में और मत्र पड़ो औऱ स्टोरी तैयार... आंसाइन्मेन्ट वाले भी खुश बास भी खुश...और अपनी ठ़डे जाम भी। स्टोरी खत्म हो गई.......आप और हम भूतिया दुनिया से बाहर आए तो....पता चला कि हम तो वही हैं..हां सुना हैं कि दो दिन से नींद की गोली खाकर भूत का फितूर जो दिमाग में सवार हो गया। भूत को भूत ही रहने दिया जाए तो ठीक हैं..वो बेचारे भीव सोचते होगे....नही नही नैं फिर भूत में खो गया...इशलिए बंद करता हूँ।